सिखों में अकाली व निरंकारी हें पर एक दूसरे के मतभेद के बावजूद कभी नहीं लड़ते ।
दिगम्बर जैन और श्वेतामबर जैन दोनों समुदायों में बहुत ज़बरदस्त मतभेद है कि दिगम्बर मुनि नंगे रहते हैं और श्वेताम्बर सिर से पैर तक श्वेत वस्त्र धारण करते हैं, मगर क्या मजाल है कि अपने प्रवचनों के दौरान एक दूसरे की आलोचना करें या कभी गालियों से नवाज़ें ।
ईसाइयों में रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट फ़िरकों के बीच प्रारम्भ में कड़वाहट रही मगर जल्द ही दोनों को अक्ल आ गयी और उन्होंने लड़ना बंद कर दिया ।
पूरी दुनिया में सिर्फ़ मुसलमान ही एक ऐसी कौम है जिसने अपने दीन की छोटी छोटी बातों पर बड़े बड़े विवाद खड़े किये हें और बेशुमार फ़िरके बना डाले। हर फ़िरका अपने आप में एक दीन बन गया और उसने सिर्फ़ खुद को मुसलमान और दूसरे फ़िरकों को काफ़िर कहना और समझना शुरू कर दिया।
जिस कौम का दीन एक, रब एक, रसूल एक, कुरआन एक, और किबला एक हो फिर भी हज़ारों तरह के मज़हबी झगड़े क्यू ?
आखिर अल्लाह हम पर अपनी रहमतें क्यों नाज़िल फ़रमाये ? और क्यों न मुसीबत में डाले, आज जो हालात पूरी दुनिया में मुसलमानों की हैं वो हमारी खुद की गलती और पागलपन का नतीजा है ।
अभी भी वक्त है कि मुसलमान सुधर जायें और अल्लाह की रस्सी (कुरआन) को मज़बूती से थाम लें और एक ठोस उम्मत बन जायें एंव पिछली बेवकूफ़ियाँ न दोहरायें।
मुत्तहिद हो जाओ, तालीम हासिल करो, हर शोबे में अपनी जगह बनाओ, तालीम हासिल करने में क़ौम के हर बच्चे की मदद करो। तभी तुम अपनी क़ौम की फलाह के लिए कुछ कर पाओगे।
आपसी तफर्केबाज़ी से बाहर निकलिए, जहालत छोड़िये, चाहे खुद भूखे रह लीजिये लेकिन अपने बच्चों को आला दर्जे की तालीम दीजिये। क़ौम को मुत्तहिद और मज़बूत करने में अपना योगदान दीजिये।
तुम सय्यद भी हो, मुगल भी हो, मिर्जा भी हो, पठान भी हो,जरा ये तो बताओ, के क्या तुम मुसलमान भी हो ।।।
अल्लाह हम सबको नेक हिदायत दे।
आमीन
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