Saturday, August 1, 2020

और समाज अपने आप सुधर गया है

*समाज  सुधारक  लोग-* 
सर पटक- पटक कर चले गए ,
गांव- गांव जाकर चप्पलें घिस डाली ,
*पर समाज के लोग सुधरे नही ।*
*अचानक एक चाइनीज वाइरस अवतरित हुआ -*

, *...* 

न सगाई का खर्च,
न बैंड, न बाराती
न शामियाने,
 न दिखावट,
 न सजावट 
न बड़े- बड़े विशाल भोज
 *न अन्न की बरबादी*
न *बाल-विवाह* 
 न शादी का खर्चा ,
न गोद भराई, 
न सूरज पूजा,
न मान न मन्नत,
न चर्तुमास प्रवेश का ताम-झाम
न भव्य अति भव्य जुलूस व न रथयात्राएं
न किसी के मरने पर जमघट 
*न मृत्यु भोज* 
*एक वाइरस ने अपने आप सुधार दिया हमारे समाज को..!!!*
 हे क्रांतिकारी कोरोनावायरस !
 तू तो *गजब का समाज सुधारक *😵😂

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