Tuesday, August 18, 2020

गुजरात में एक बड़ी फैक्ट्री का निर्माण हो रहा था और उस प्लांट को बनाने के दौरान एक बड़ी समस्या थी.

वो समस्या ये थी कि एक भारी भरकम मशीन को प्लांट में बने एक गहरे गढ्ढे के तल में बैठाना था

लेकिन मशीन का भारी वजन एक चुनौती बन कर उभरा

मशीन साईट पर आ तो गयी पर उसे 30 फीट गहरे गढ्ढे में कैसे उतारा जाये

 ये एक बड़ी समस्या थी !!

अगर ठीक से नहीं बैठाया गया तो फाउंडेशन और मशीन दोनों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता।

आपको बता दें कि ये वो समय था जब बहुत भारी वजन उठाने वाली क्रेनें हर जगह उपलब्ध नहीं थीं. 

जो थीं वो अगर उठा भी लेतीं तो गहरे गढ्ढे में उतारना उनके बस की बात नहीं थी।

आखिरकार  हार मानकर इस समस्या का समाधान ढूढ़ने के लिए प्लांट बनाने वाली कम्पनी ने टेंडर निकाला और इस टेंडर का नतीज़ा ये हुआ कि बहुत से लोगो ने इस मशीन को गड्ढे में फिट करने के लिए अपने ऑफर भेजे 

उन्होंने सोचा कि कहीं से बड़ी क्रेन मंगवा कर मशीन फिट करवा देंगे

इस हिसाब से उन्होंने 25 से 30 लाख रुपये काम पूरा करने के मांगे

लेकिन उन लोगो के बीच एक मुलतानी ( लौहार ) था जिसने कंपनी से पूछा कि अगर मशीन पानी से भीग जाये तो कोई समस्या होगी क्या ? ।

इस पर कंपनी ने जबाव दिया कि मशीन को पानी में भीग जाने पर कोई फर्क नहीं पड़ता

उसके बाद उसने भी टेंडर भर दिया ।

जब सारे ऑफर्स देखे गये तो उस मुलतानी ने काम करने के सिर्फ 15 लाख मांगे थे

जाहिर है मशीन बैठाने का काम उसे मिल गया. 

लेकिन अजीब बात ये थी कि उस मुलतानी ने ये बताने से मना कर दिया कि वो ये काम कैसे करेगा, 

बस इतना बोला कि ये काम करने का हुनर और सही टीम उसके पास है

उसने कहा – कम्पनी बस उसे तारीख और समय बतायें कि किस दिन ये काम करना है।

आखिर वो दिन आ ही गया. 

हर कोई उत्सुक था ये जानने के लिए कि ये मुलतानी काम कैसे करेगा? 

उसने तो साईट पर कोई तैयारी भी नहीं की थी

तय समय पर कई ट्रक उस साईट पर पहुँचने लगे. 

उन सभी ट्रकों पर बर्फ लदी थी, जो उन्होंने गढ्ढे में भरना शुरू कर दिया।

जब बर्फ से पूरा गढ्ढा भर गया तो उन्होंने मशीन को खिसकाकर बर्फ की सिल्लियों के ऊपर लगा दिया।

इसके बाद एक पोर्टेबल वाटर पंप चालू किया गया और गढ्ढे में पाइप डाल दिया जिससे कि पानी बाहर निकाला जा सके. 

बर्फ पिघलती गयी, पानी बाहर निकाला जाता रहा, मशीन नीचे जाने लगी।

4-5 घंटे में ही काम पूरा हो गया और कुल खर्चा 1 लाख रुपये से भी कम आया

मशीन एकदम अच्छे से फिट हो गयी और उस मुलतानी ने 14 लाख रुपये से अधिक मुनाफा भी कमा लिया।

वास्तव में बिज़नेस और हुनर बड़ा ही रोचक विषय है. 

ये एक कला है, जो व्यक्ति की सूझबूझ, चतुराई और व्यवहारिक समझ पर निर्भर करता है।


मुश्किल से मुश्किल समस्याओं का भी सरल समाधान खोजना ही एक अच्छे बिजनेसमैन ( हुनरबाज़ ) की पहचान है


 और ये मुलतानी ने साबित कर दिया कि मुलतानियो की सोच सबसे अलग और आगे रहती है 

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