Sunday, November 30, 2025

रहमतुल्लाह अलैह — शफी साहब की आख़िरी सफ़र की इत्तिला

आज दिन इतवार, 30 नवंबर 2025 को मगरिब के वक़्त मुल्तानी बिरादरी के मोक़द्दस बुज़ुर्ग जनाब शफी साहब (उम्र 70 वर्ष) वल्द जनाब मोजू साहब, निवासी ग्राम टयोढी, जिला बागपत (उ.प्र.), क़ज़ा-ए-इलाही से इस फानी दुनिया से हमेशा के लिए रुख़्सत हो गए।

मरहूम अपने पीछे अपनी अहलिया, दो फरज़ंद—जनाब मोहम्मद इरफान साहब और जनाब हाजी शकील साहब—सहित पूरे खानदान, अज़ीज़ो-अक़ारिब और बिरादरी को ग़मगीन छोड़कर अपने रब के हुक्म पर हाज़िर हो गए।

दुआ है कि अल्लाह तआला मरहूम की मग़फिरत फरमाए, उनकी मंज़िल-ए-आख़िर को आसान करे और उनके घराने को सब्र-ए-जमील अता फरमाए। आमीन।


दफन का ऐलान

मरहूम की मय्यत को कल, सोमवार 1 दिसंबर 2025 की सुबह 9 बजे सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
तमाम अहबाब, अज़ीज़ो-अक़ारिब और बिरादरी से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शिरकत कर सवाब-ए-दारेन हासिल करें।


रابطा (Contact)

मय्यत से संबंधित तमाम मालूमात के लिए राबिता करें:
📞 जनाब जावेद साहब – 9350005425
📞 हाजी शकील साहब – 8445807565


एक ज़रूरी ऐलान — इंतकाल की खबर भेजने के लिए अहम् हिदायतें

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि किसी अपने की इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी रहती है, जिसकी वजह से लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि इंतकाल की खबर भेजते वक़्त इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ मुकम्मल पता (असली और मौजूदा)
3️⃣ दफन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स के 1–2 फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मरहूम मर्द हैं तो उनकी तस्वीर
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ बाकी अहल-ए-ख़ाना—मां-बाप, भाई-बहन, औलाद वगैरह

इन तमाम जानकारियों की मौजूदगी से खबर मुकम्मल, साफ़ और भरोसेमंद बनती है, जिससे बिरादरी के लोगों के लिए आसानी होती है।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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पत्रिका में प्रकाशित सामग्री की सत्यता, विश्वसनीयता या किसी भी दावे के लिए लेखक/विज्ञापनदाता स्वयं उत्तरदायी होंगे।
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किसी भी विवाद की स्थिति में न्यायिक क्षेत्र केवल दिल्ली रहेगा।


मुल्तानी समाज — एक खिदमत, एक मिशन

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित
मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित
देश की एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका — “मुल्तानी समाज”

✒️ ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट
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Saturday, November 29, 2025

सच लिखने की सज़ा—मुझे चुप कराने के लिए धमकियों का सिलसिला जारी…

https://youtu.be/0USOXT_oBDs?si=tiNhUsALYuXKZMse

(एक पत्रकार की ख़ामोशियों के पीछे छिपी कड़वी हक़ीक़त)


कभी–कभी कलम उठाना आसान होता है, लेकिन उसे सच के साथ चलाना बेहद मुश्किल। आज मैं, ज़मीर आलम, उसी कड़वी सच्चाई का सामना कर रहा हूँ—जहाँ अपने ही बिरादरी के चंद लोग, जो खुद को खिदमतगार कहते हैं, मेरे सच से इतने बौखला गए कि अब वे मुझे धमकियों के सहारे चुप कराना चाहते हैं।

मुझे लगातार यह धमकी दी जा रही है कि “या तो चैन से पत्रकारिता छोड़ दो, वरना हम तुम्हें चैन से बैठने नहीं देंगे।”
सबसे अफ़सोस की बात यह है कि यह सब किसी गैर ने नहीं बल्कि हमारी ही बिरादरी की एक तंजीम के कुछ शोहदेदारों ने पूरी चालाकी और होशियारी के साथ किया।


📌 मामला शुरू कहाँ से हुआ?

कुछ दिन पहले, हमारे चैनल पर एक शादी का वीडियो—जो खुद बिरादरी के लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल किया था—समाचार के रूप में चलाया गया।
शीर्षक था:
“अब बिरादरी की शादियों में खिदमतगार नहीं, कैमरा और कुर्सी तलाशते ओहदेदार नज़र आते हैं।”

सच्चाई कड़वी थी—इसलिए चुभ गई।
यही वो चिंगारी थी, जिसके बाद मेरे ख़िलाफ़ एक सुनियोजित साज़िश शुरू कर दी गई।


⚠️ दबंग, बाहुबली और साहूकार हाजी जी का इस्तेमाल

इन्हीं शोहदेदारों ने मुज़फ्फरनगर के एक दबंग और बाहुबली हाजी जी को भड़का कर मेरे पीछे लगा दिया।
उनकी धमकी भरी ऑडियो में बार-बार मुझे टॉर्चर किया गया—
“तुमने मेरी शादी की वीडियो ख़बर में क्यों चलाई?”

जबकि मैं इस शादी में मौजूद तक नहीं था।
वीडियो तो उन्हीं शोहदेदारों ने बनाई, उन्हीं ने वायरल की, और उनकी आवाजें आज भी वीडियो में साफ़ सुनाई देती हैं।

जब वीडियो वायरल हुई, तब किसी दबंग हाजी जी को आपत्ति नहीं हुई।
आपत्ति तब हुई जब सच्चाई ख़बर बनकर सामने आई।


❗बार–बार सवाल, धमकियां और उकसावे

अब हालात यह हैं कि रोज़ाना धमकी भरी ऑडियो, वाट्सऐप कॉल और छींटाकशी की जाती है—
“16 गरीब लड़कियों की शादी कहाँ कराई? बच्चों के एडमिशन कहाँ कराए? सबूत दो!”

मैं पूछता हूँ—
क्या मैंने कभी किसी मंच, प्रेस नोट, पोस्ट या बयान में कहा कि मैंने ऐसा किया?
क्या किसी को इससे पहले कभी ऐसा दावा सुनाई दिया?

सवाल उन लोगों से होना चाहिए जिन्होंने वीडियो वायरल की…
लेकिन निशाना मैं हूँ—क्योंकि मैंने सच बोलने की हिम्मत की।


🙏 मेरी अपील (ग़म और अदब के साथ)

मेरी किसी से दुश्मनी नहीं।
ना ही मैं किसी के घर, शादी या इज़्ज़त को निशाना बनाता हूँ।

लेकिन मैं झूठ, ड्रामा, राजनीति और बिरादरी को बपौती समझने वाली मानसिकता के आगे झुकने वाला भी नहीं।

मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ—
मुझे धमकियाँ देना बंद करें।
यदि मानसिक दबाव, डिजिटल टॉर्चर और उकसावे का सिलसिला जारी रहा…
तो मुझे मजबूरन कानूनी कदम उठाने पड़ेंगे।


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✍️ “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए

मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश से
नवेद मिर्ज़ा की ख़ास रिपोर्ट

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📌 27 अप्रैल 2026—जन्म रजिस्ट्रेशन की आख़िरी मोहलत: मुसलमानों के लिए बेहद अहम सरकारी ऐलान

सरकार ने नागरिकों के लिए एक अहम और चौंकाने वाली घोषणा की है—

बिना जन्म रजिस्ट्रेशन वाले लोग अब केवल 27 अप्रैल 2026 तक ही अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे।
सरकार ने साफ़ शब्दों में स्पष्ट किया है कि इस तारीख के बाद किसी भी तरह की डेडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी।

यह फैसला इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन (संशोधन) एक्ट, 2023 को 1 अक्टूबर 2023 से पूरे देश में लागू कर दिया गया है। अब, बर्थ सर्टिफिकेट को नागरिकता, सरकारी प्रक्रियाओं और कई अहम दस्तावेज़ों के लिए एक मुख्य व अनिवार्य “सोर्स डॉक्यूमेंट” माना जाएगा।


📍 मुस्लिम समुदाय के लिए खास संदेश — लापरवाही अब नुकसान पहुँचा सकती है

अक्सर देखा गया है कि बहुत से लोग यह मान लेते हैं कि स्कूल सर्टिफ़िकेट में दर्ज जन्मतिथि ही काफ़ी है।
यह एक बड़ी गलतफहमी है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि आने वाले समय में
बर्थ सर्टिफ़िकेट को नागरिकता का सबसे महत्वपूर्ण सबूत माना जाएगा।
देश में लगभग 75% सीनियर मुसलमानों के पास जन्म और शादी के रिकॉर्ड नहीं हैं—यह चिंता का विषय है।

कई लोग हज जाने से ठीक पहले दस्तावेज़ ठीक कराने की कोशिश करते हैं, जो अक्सर देर हो जाती है।
अब जबकि सरकार ने यह अंतिम मौका दिया है, तो इसे हल्के में लेना सही नहीं।


📌 अब 27 अप्रैल 2026 तक बर्थ रिकॉर्ड में नाम जोड़ने का मौका

पहले यह तारीख 14 मई 2020 तय थी,
अब इसे बढ़ाकर 27 अप्रैल 2026 कर दिया गया है।

अगर किसी का जन्म बिना नाम के दर्ज था—चाहे 1969 से पहले या बाद में—
तो अब 15 साल पुराने बिना नाम वाले जन्म रिकॉर्ड में भी नाम जोड़ा जा सकता है।

इसके लिए दो सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट्स जैसे—

  • स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट
  • 10वीं/12वीं का एजुकेशनल सर्टिफिकेट
  • पासपोर्ट
  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड

के साथ आवेदन किया जा सकता है।


📌 अब तहसील ऑफिस में भी आसानी से जन्म रजिस्ट्रेशन

पहले घर पर डिलीवरी ज़्यादा होने की वजह से कई जन्म रजिस्टर नहीं हो पाते थे।
शहरों में भी कई परिवारों को अस्पताल के रजिस्टर के बावजूद सर्टिफिकेट नहीं मिलते थे।

अब सरकार ने व्यवस्था आसान कर दी है—
तहसील ऑफिस से भी बिना किसी जटिल प्रक्रिया के जन्म रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सभी स्थानीय निकायों को इस संबंध में नोटिफिकेशन भेजा है ताकि लोग आसानी से नाम जुड़वा सकें।


📌 बर्थ सर्टिफिकेट—अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता

सरकार ने इसे एक बड़ा कदम बताते हुए कहा है कि—
अब जन्म/मृत्यु सर्टिफ़िकेट को इंटरनेशनल लेवल पर मान्य पहचान डॉक्यूमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

यह अधिकार

  • जिला मजिस्ट्रेट (DM)
  • सब-डिवीज़नल ऑफिसर (SDO)

को प्रदान किया गया है।

यानी एक बर्थ सर्टिफिकेट न केवल भारत में, बल्कि विदेश में भी कई जगहों पर आपकी पहचान का मजबूत सबूत माना जाएगा।


📌 बिरादरी से अपील — यह जानकारी सभी भाइयों और बहनों तक ज़रूर पहुँचाएँ

इस घोषणा का सीधा असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा।
स्कूल एडमिशन, नौकरी, पासपोर्ट, विदेश यात्रा, सरकारी लाभ—हर जगह बर्थ सर्टिफिकेट अनिवार्य होगा।

इसलिए आप से गुज़ारिश है कि
यह जानकारी अपनी बिरादरी तक सीमित न रखें, बल्कि हर मुसलमान तक पहुँचाएँ।
यह सिर्फ़ दस्तावेज़ नहीं—आपकी पहचान, अधिकार और भविष्य का सबसे मजबूत सबूत है।


📌 मुल्तानी समाज की तरफ़ से एक जागरूकता पहल

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत
दिल्ली से प्रकाशित,
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित
देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” की यह जिम्मेदारी है कि सही जानकारी सभी तक पहुँचे।

इस विशेष रिपोर्ट को तैयार किया—
ज़मीर आलम
(विशेष संवाददाता, मुल्तानी समाज)

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Friday, November 28, 2025

दस्तावेज़ संभालना वक़्त की अहम ज़रूरत: भारतीय मुसलमानों, ख़ासकर मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी के नाम एक जरूरी अपील

आज के दौर में पहचान, दस्तावेज़ और सरकारी रिकॉर्ड आपके अस्तित्व का सबसे ठोस सबूत हैं। तमाम भारतीय मुसलमानों के साथ-साथ मुस्लिम मुल्तानी लोहार और बढ़ई बिरादरी से एक खास, प्यार भरी लेकिन बेहद ज़िम्मेदाराना अपील—अपने और अपने घर के सभी ज़रूरी दस्तावेज़ पूरे, सही और अद्यतन रखें।

सबसे ज़रूरी और प्राथमिक दस्तावेज़

हर मर्द और औरत के पास यह काग़ज़ात सही जन्मतिथि और नाम की एक जैसी स्पेलिंग के साथ ज़रूर होने चाहिए:

  1. बर्थ सर्टिफिकेट (जन्म प्रमाण पत्र)
  2. स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC)
  3. आधार कार्ड
  4. पैन कार्ड
  5. इलेक्शन कार्ड (वोटर आईडी)
  6. राशन कार्ड
  7. पासपोर्ट
  8. बैंक पासबुक (KYC अपडेटेड)
  9. बिजली/अन्य पहचान संबंधी बिल

इन दस्तावेज़ों की एकरूपता आपकी पहचान को मजबूत बनाती है और भविष्य की किसी भी सरकारी प्रक्रिया में बड़ी आसानी देती है।


अब ये अतिरिक्त ज़रूरी दस्तावेज़ भी ज़रूर बनवाएं

  1. मैरिज सर्टिफिकेट (निकाहनामा)
  2. डोमिसाइल / मूल निवासी प्रमाण पत्र
  3. इनकम सर्टिफिकेट (आय प्रमाण पत्र)
  4. ओबीसी प्रमाणपत्र (जाति प्रमाण पत्र)
  5. डेथ सर्टिफिकेट
    • माँ-बाप
    • दादा-दादी
    • नाना-नानी
      जिनका इंतक़ाल हो चुका है और जिनका प्रमाणपत्र नहीं बना, वह फ़ौरन जारी करवाएँ।
  6. घर/जायदाद के काग़ज़ात
    • प्रॉपर्टी कार्ड
    • घर पटी
    • रजिस्ट्रेशन
      इनमें नाम और स्पेलिंग बिल्कुल सही हों—यह पक्का कर लें।

पुराने दस्तावेज़ = अमानत

घर में मौजूद हर पुराना काग़ज़, चाहे कितना ही साधारण क्यों न लगे—उसे संभालकर रखिए।
सभी दस्तावेज़ों का लैमिनेशन करवाकर सुरक्षित जगह रखें।

ये काग़ज़ ही मुश्किल वक़्त में आपकी आवाज़ बनते हैं।


अपनी बिरादरी और पड़ोस की मदद ज़रूर करें

अगर आपके सारे दस्तावेज़ दुरुस्त हैं, तो अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों, दोस्तों की भी रहनुमाई करें। जो ग़रीब हैं, अनपढ़ हैं—उनकी मदद करना सिर्फ इंसानी फर्ज़ नहीं, बल्कि सदक़ा-ए-जारिया है।
किसी का दस्तावेज़ ठीक करवा देना उसके भविष्य को सुरक्षित करने जैसा है।


आगे बढ़ाएं… यह संदेश हर घर तक पहुंचे

यह अपील सिर्फ सलाह नहीं, बल्कि एक सामाजिक जागरूकता मुहिम है।
इस संदेश को हर मुस्लिम ग्रुप, हर बिरादरी, हर गली तक पहुंचाएँ।


मुल्तानी समाज की सामाजिक ज़िम्मेदारी की खास पेशकश

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रिपोर्ट : ज़मीर आलम
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पासपोर्ट — आपकी पहचान, आपकी हिफ़ाज़त और आपका सबसे बड़ा दस्तावेज़

दुनिया में जहां भी आप खड़े हों, आपकी पहचान किस मुल्क से है — इसका सबसे बड़ा और मुकम्मल सबूत सिर्फ एक ही दस्तावेज़ है: पासपोर्ट

और यही वजह है कि यह दस्तावेज़ दुनिया के किसी भी और काग़ज़ से बड़ा, मजबूत और ज़्यादा एहमियत रखने वाला माना जाता है।

आज के दौर में जब दस्तावेज़ी पहचान और कानूनी स्थिति को लेकर तरह–तरह की बहसें और उलझनें मौजूद हैं, ऐसी सूरत में पासपोर्ट की अहमियत और भी बढ़ जाती है।


पासपोर्ट क्यों है सबसे बड़ा और ताक़तवर दस्तावेज़?

पासपोर्ट किसी मुल्क का राष्ट्रपति अपने नागरिक को जारी करता है, यह कहते हुए कि —
"यह शख़्स हमारी सरज़मीं का नागरिक है और हम इसके अंतरराष्ट्रीय सफ़र की ज़िम्मेदारी लेते हैं।"

यह सिर्फ एक आईडी नहीं, बल्कि एक वैश्विक प्रमाण है कि आप कौन हैं, किस देश से ताल्लुक रखते हैं, और दुनिया आपको किस नज़र से पहचानेगी।

आधार, पैन, वोटर कार्ड — ये तमाम काग़ज़ ज़रूरी हैं, लेकिन ये नागरिकता का अंतरराष्ट्रीय सबूत नहीं हैं।
पासपोर्ट एकमात्र ऐसा दस्तावेज़ है जो पूरी दुनिया को बताता है कि:
“यह व्यक्ति भारत गणराज्य का नागरिक है।”


पासपोर्ट को क्या बनाता है सबसे खास और बे-मिसाल?

फ़ोटो प्रूफ़
पता प्रूफ़
जन्म-तिथि प्रूफ़

तीनों का एक साथ सबसे मजबूत, सरकारी और अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्वीकार किया जाने वाला दस्तावेज़ — यही पासपोर्ट है।

इसमें शामिल होते हैं:
— पुलिस वेरिफिकेशन
— फिजिकल सत्यापन
— दस्तावेज़ों की गहन जांच
— कोर्ट एफिडेविट / मार्कशीट का मिलान

यानी यह दस्तावेज़ कई स्तर की जांच के बाद जारी होता है।
इसीलिए इसका मुकाबला कोई दूसरा पेपर कर ही नहीं सकता।


गरीब तबक़े में दस्तावेज़ों की सबसे ज्यादा कमी क्यों?

हक़ीक़त ये है कि सबसे ज्यादा दस्तावेज़ी कमी गरीब और पिछड़े तबके में पाई जाती है।
समाज के बाकी लोग, जो वक्त–बे–वक्त फालतू बहसों और व्यर्थ चर्चाओं में लगे रहते हैं, अगर इन परिवारों की मदद कर दें —
तो न जाने कितने लोगों की ज़िंदगी सुधर सकती है।

बच्चों की जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) वक़्त पर बनवाना सबसे ज्यादा जरूरी है।
इसमें देरी आगे चलकर बड़े मुसीबतों का सबब बन जाती है।


एक अहम चेतावनी — काग़ज़ पूरे न हों तो परेशानी बहुत बड़ी होती है

दुनिया में दस्तावेज़ों की जांच बेहद सख्त हो चुकी है।
गलत पहचान, अधूरी जानकारी या दस्तावेज़ों की कमी की वजह से कई बार लोग ऐसी मुसीबत में फंस जाते हैं जिससे निकल पाना बहुत मुश्किल होता है।

डिटेंशन सेंटर में जाने के बाद वापसी आसान नहीं होती।
जो दूसरे मुल्क से आया हो — वह बाहर जाए, इसमें कोई बुराई नहीं।
लेकिन कोई ऐसा शख़्स न फंस जाए जो इसी मिट्टी का बेटा हो —
बस यही बात सबसे ज़्यादा एहम और क़ाबिल-ए-तवज्जोह है।

और एक बात याद रखिए —
ऐसे मामलों में बड़े–बड़े ओहदेदार, रिश्तेदार और पदाधिकारियों की भी सीमाएँ होती हैं।
सब कुछ काग़ज़ पर ही तय होता है।


क़ौम और बिरादरी के लिए ज़िम्मेदारी का पैग़ाम

यह वक्त है कि हम अपने भाइयों की, अपने गरीब तबके की, और उन परिवारों की मदद करें जिनके काग़ज़ आज भी अधूरे हैं।
उनके दस्तावेज़ पूरे करवाना, उन्हें जागरूक करना और सही रास्ता दिखाना —
यही आज की सबसे बड़ी समाजी ज़रूरत है।


मुल्तानी समाज की ओर से एक जरूरी अपील:

पासपोर्ट बनवाएँ।
अपने बच्चों का भी पासपोर्ट बनवाएँ।
और दस्तावेज़ों को वक़्त रहते पूरा करें।
भविष्य की सुरक्षा काग़ज़ों से ही होती है।


मुल्तानी समाज के लिए ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

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इन्तेकाल की तीन दर्दनाक ख़बरें — मुल्तानी समाज की गहरी हमदर्दी के साथ

आज का दिन मुल्तानी बिरादरी के लिए बेहद भारी और ग़मगीन साबित हुआ। तीन अलग–अलग जगहों से लगातार ऐसी खबरें आईं जिन्होंने पूरे समाज को रंजो–ग़म में डुबो दिया। “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, पूरी बिरादरी की तरफ़ से मरहूमीन की मग़फ़िरत और उनके लवाहित की सब्र–ए–जमील के लिये दुआगो है।


1️⃣ दिल्ली से ख़बर — हाजी मोहम्मद इक़बाल खान (सूजरा वाले) का इ़न्तेकाल

निहायत ही दुःख और अफ़सोस के साथ यह इत्तिला दी जा रही है कि
हाजी मोहम्मद इक़बाल खान (सूजरा वाले)
हाल निवासी भजनपुरा, जिला उत्तर पूर्वी दिल्ली – 53
का कल दिन जुमेरात, 27 नवंबर 2025 को इंतकाल हो गया।

अल्लाह तआ’ला मरहूम की मग़फ़िरत फरमाए और उनके तमाम घर वालों को सब्र–ए–जमील अता फरमाए… आमीन।

मरहूम की नमाज़–ए–जनाज़ा आज दिन जुमा, 28 नवंबर 2025 को दोपहर 1:50 बजे,
अजीज़िया मस्जिद, गामड़ी में अदा की गई।
इसके बाद मय्यत को कच्ची खजूरी कब्रिस्तान में सुपुर्दे ख़ाक किया गया।


2️⃣ शामली, उत्तर प्रदेश से — जेबुन्निसा बी (70 साल) का इंतकाल

एक और बेहद अफ़सोसनाक ख़बर शामली से मिली।
आज दिन जुमा, 28 नवंबर 2025 को
जेबुन्निसा बी (उम्र 70 साल)
अहलिया जनाब हाजी अनीस साहब
का तक़रीबन सुबह 8:30 बजे कज़ा–ए–इलाही से इंतकाल हो गया।

मरहूमा अपने पीछे अपने शौहर, तीन बेटे —
मोहम्मद एहसान, मोहम्मद रिज़वान, मोहम्मद अरशद
और बड़े कुनबे को हमेशाहमेशा के लिए ग़मजदा छोड़कर इस फ़ानी दुनिया से पर्दा कर गईं।

इंतकाल दिल्ली में हुआ, लेकिन घर वाले मय्यत को उनके पुश्तैनी मकान शामली लेकर पहुंचे, और वहीं दफनाया जाएगा।

मरहूमा का मायका: कस्बा थानाभवन, जिला शामली
वे जनाब मोहम्मद इशाक साहब मरहूम (कुतुबगढ़ वाले) की सुशिगर्फ़्ता बेटी थीं।

मालूमात के लिए संपर्क:
मोहम्मद एहसान साहब — 9643463620


3️⃣ रुड़की, उत्तराखंड से — मोहम्मद सुहेल मिर्जा का इंतकाल

रुड़की से आने वाली खबर ने भी दिलों को हिला दिया।
आज मोहम्मद सुहेल मिर्जा, पुत्र अतीक मिर्जा,
निवासी — इमली रोड, पॉपुलर मोहल्ला, महीग्रान (रुड़की), जिला हरिद्वार,
का इंतकाल हो गया।

मरहूम कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे।
अल्लाह उन्हें जनन्नत–उल–फ़िरदौस में बुलंद मक़ाम अता फरमाए… आमीन।


एक ज़रूरी ऐलान — इंतकाल की खबर भेजने का सही तरीका

अक्सर अधूरी जानकारी आने की वजह से बिरादरी के लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते।
इसलिए “मुल्तानी समाज” पत्रिका तमाम अहबाब से गुज़ारिश करती है कि खबर भेजते वक़्त निम्न बातें ज़रूर शामिल करें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम + वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ स्थायी और मौजूदा पता
3️⃣ दफन का सही वक़्त और कब्रिस्तान
4️⃣ घर के जिम्मेदार दो लोगों के मोबाइल नंबर
5️⃣ अगर मरहूम मर्द हो तो फोटो (अगर मुनासिब हो)
6️⃣ इंतकाल की वजह (इख्तियारी)
7️⃣ घर वालों के नाम — औलाद, भाई, बहन, माता–पिता

इन जानकारियों से खबर मुकम्मल बनती है और बिरादरी को सही वक़्त पर सूचित करना आसान होता है।


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Wednesday, November 26, 2025

NRC और डिटेंशन सेंटर: एक ख़ामोश तूफ़ान और हमारी अनदेखी | मुल्तानी समाज स्पेशल रिपोर्ट

भारत में एनआरसी (NRC) को लेकर बहस अचानक नहीं उठी—यह एक लंबी राजनीतिक और प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है जिसने मुल्क के एक बड़े तबक़े में बेचैनी और संदेह पैदा किया है। ख़ास तौर पर उन लोगों में, जिनके दस्तावेज़ अधूरे हैं या जिनके पास अपनी नागरिकता साबित करने का कोई सटीक रिकॉर्ड नहीं है।

आज जब राज्य सरकारें डिटेंशन सेंटर बना रही हैं, यह सवाल पहले से ज़्यादा गहरा और ज़रूरी हो गया है:
क्या हम इस संभावित संकट के लिए तैयार हैं?


NRC क्या है और यह क्यों चर्चा में है?

NRC यानी National Register of Citizens—एक ऐसी सूची जिसमें उन नागरिकों के नाम शामिल होंगे, जो अपने भारतीय होने का प्रमाण पेश कर सकें।
लेकिन भारतीय समाज की जटिलता और करोड़ों ग़रीब नागरिकों की दस्तावेज़ी कमज़ोरियाँ इसे एक बेहद संवेदनशील मसला बना देती हैं।

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डिटेंशन सेंटर: भविष्य का खामोश इशारा

जब गृह मंत्रालय राज्यों को डिटेंशन सेंटर तैयार करने का निर्देश देता है, तो यह केवल “अवैध विदेशियों” का मुद्दा नहीं रह जाता—बल्कि एक बड़ा सामाजिक प्रश्न बन जाता है।

असम का अनुभव क्या बताता है?

  • लाखों लोगों के नाम NRC सूची से बाहर रह गए
  • क़ानूनी प्रक्रिया लम्बी और बेहद महंगी थी
  • जिनके पास दस्तावेज़ नहीं थे, वे सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए

इसीलिए यह सवाल अब सिर्फ़ इलज़ाम या डर नहीं—बल्कि वास्तविक जमीनी अनुभव पर आधारित है।

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सियासी कमज़ोरी: एक बिखरी हुई आवाज़ का दर्द

भारतीय लोकतंत्र में एक बड़ी आबादी होने के बावजूद मुसलमानों की राजनीतिक हैसियत बेहद कमज़ोर हो चुकी है।
बहुत से नेता, संगठन और पार्टियाँ ज़मीनी काम से ज़्यादा मंच और माइक्रोफोन पर भरोसा करती हैं।

जबकि NRC जैसा मसला:

  • मजबूत नेतृत्व
  • लीगल टीम
  • जनजागरण
    सब कुछ एक साथ चाहता है।

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हमारी ग़फ़लत: काग़ज़ से बड़ी कोई दलील नहीं

सच्चाई यह है कि आज नागरिकता भावनाओं से नहीं—दस्तावेज़ों से तय होती है।
जिनके पास ये नहीं, उनका सबसे पहले नंबर आता है:

  • मज़दूर
  • देहाती आबादी
  • किरायेदार
  • ग़रीब परिवार
  • बाढ़/हादसे से दस्तावेज़ खो चुके लोग

यह वही तबक़ा है जो किसी भी बड़ी सरकारी प्रक्रिया में सबसे पहले जोखिम में होता है।

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अब क्या करना चाहिए? — सबसे ज़रूरी अमली कदम

1. दस्तावेज़ सुरक्षित, अपडेट और उपलब्ध रखना

  • आधार कार्ड
  • राशन कार्ड
  • वोटर आईडी
  • जन्म प्रमाणपत्र
  • तालीमी सर्टिफ़िकेट
  • ज़मीन/किराए के काग़ज़
  • पुरानी सरकारी रसीदें

इन सबको डिजिटल + हार्ड कॉपी दोनों रूप में रखें।

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2. क़ानूनी और सामाजिक जागरूकता

लोगों को यह बताना कि:

  • दस्तावेज़ कैसे बनते हैं
  • कैसे सुधारे जाते हैं
  • किन दस्तावेज़ों की वैल्यू सबसे ज़्यादा है
  • कौनसी अफ़वाहों से बचना है

मस्जिद, मदरसा, सामाजिक संगठन—सबको इसमें आगे आना होगा।

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3. समाजी इत्तिहाद

यह वक़्त फ़िरक़ों, जमातों, सियासी पसंद-नापसंद में उलझने का नहीं—बल्कि एक कौमी बिरादरी बनकर खड़े होने का है।
इक़्तिलाफ़ ज़िंदगी की हकीकत है—but इत्तिहाद ज़रूरत


4. उलमा, बुद्धिजीवी और संगठनों की जिम्मेदारी

अगर आज यह अमानत पूरी न हुई तो कल हालात हमारे इख़्तियार से बाहर हो सकते हैं।
लोगों को डर से नहीं—तथ्य और दस्तावेज़ों की तैयारी से मज़बूत किया जाए।


नतीजा: डर नहीं, तैयारी ज़रूरी

डिटेंशन सेंटर की इमारतें एक ख़ामोश चेतावनी की तरह खड़ी हैं—
कहती हैं कि वक़्त बहुत कम है और तैयारी बहुत ज़रूरी।

NRC का मुद्दा भावनाओं से ज़्यादा तैयारी और दस्तावेज़ का है।
सवाल यह नहीं कि “क्या होगा?”
बल्कि यह है कि “हम कितने तैयार हैं?”


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
दिल्ली से प्रकाशित ‘मुल्तानी समाज’ के लिए
ज़मीर आलम की विशेष रिपोर्ट

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नसीम बी (आपा जी ) का इंतकाल — मुल्तानी समाज की तरफ़ से गहरे रंज व ग़म के साथ इत्तिला

मुल्तानी समाज गहरे दुख और अफसोस के साथ यह इत्तिला दे रहा है कि मोहल्ला रैति सराय, क़स्बा थानाभवन, जिला शामली (उ. प्र.) की बुजुर्ग और खानदान की मुखबिर शख्सियत नसीम बी आपा जी (अहलिया — जनाब गुलज़ार साहब, मरहूम) का 26 नवंबर 2025, दिन बुधवार, रात लगभग 12 बजे क़ज़ा-ए-इलाही हो गया।

अल्लाह तआला मरहूमा की मग़फिरत फ़रमाए, उनकी रूह को जन्नत-उल-फ़िरदौस में आला मक़ाम अता करे और तमाम घर वालों को सब्र-ए-जमील दे।
إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعون


मरहूमा का तारूफ़ और खानदान की जानकारी

  • नाम: नसीम बी आपा जी
  • उम्र: 65 साल
  • ननिहाल: मोहल्ला खेल, क़स्बा थानाभवन, जिला शामली
  • पिता का नाम: जमील अहमद
  • औलाद:
    • एक बेटा (जिसका इंतकाल तीन साल पहले हो चुका)
    • पाँच बेटियाँ — सभी अपने-अपने घर बार में आबाद

मरहूमा की बेटियों का तफ़्सीलवार परिचय

1️⃣ नसरीन जहां — अहलिया जनाब नदीम साहब (नगले वालों के यहाँ), शामली
2️⃣ हसीन जहां — अहलिया जनाब हाजी इमरान साहब, मोहल्ला न्याज़पुरा, मुज़फ्फरनगर
3️⃣ यास्मीन जहां — अहलिया जनाब इसरार साहब, पानीपत
4️⃣ मोबिना जहां — अहलिया जनाब फैजान साहब, क़स्बा गंगोह
5️⃣ रुकैया जहां — अहलिया जनाब अफ़ज़ाल साहब, मुज़फ्फरनगर

अल्लाह तआला मरहूमा की सभी औलाद, घरवालों और अज़ीज़-ओ-क़ारिब को इस बड़े सदमे को सहने की ताक़त अता फ़रमाए। आमीन।


दफ़न का वक्त व मुक़ाम

मरहूमा की मय्यत को
आज दिन जुमेरात, तारीख़ 27 नवंबर 2025 — नमाज़-ए-असर के बाद
क़स्बा थानाभवन स्थित ‘गोरे-ग़रीबा कब्रिस्तान’ में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।

(समय में किसी तब्दीली की सुरत में घर वाले मुनासिब तौर पर इत्तिला करेंगे।)


मुल्तानी समाज की अहम गुज़ारिशें

इंतकाल की खबर के साथ सही और मुकम्मल जानकारी देना बिरादरी के लिए बेहद ज़रूरी है।
खबर भेजते वक्त इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम व वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता
3️⃣ दफ़न का सही वक्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स का फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मरहूम पुरुष हों तो फोटो शामिल करें
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ घर के तमाम अहम रिश्तेदार — औलाद, भाई, बहन, माता-पिता

इससे खबर मुकम्मल होती है और बिरादरी को सही व समय पर जानकारी पहुँचती है।


मरहूमा के लिए दुआ

🕊 "अल्लाह तआला नसीम बी आपा जी की रूह को जन्नत में आला मक़ाम अता फ़रमाए, उनकी तमाम मग़फिरत फ़रमाए, और उनके घरवालों, औलाद व सारे कुनबे को सब्र-ए-जमील अता करे। आमीन।"


संपर्क

  • मोहम्मद शकील साहब: 9927274868
  • मोहम्मद ग़फ्फ़ार साहब: 9675588585

✍️ मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए

ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित
मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका

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अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान: दो दशकों की ख़ामोशी पर उठते सवाल

लेखक: अलीहसन मुल्तानी, बड़ौत जिला बागपत, उत्तर प्रदेश
(मुल्तानी समाज — विशेष रिपोर्ट)

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से पंजीकृत और दिल्ली से प्रकाशित, मुल्तानी इंजीनियर, मुस्लिम मुल्तानी लोहार तथा बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” की इस विशेष रिपोर्ट में आज हम बीते लगभग तीन दशकों में रजिस्टर्ड सोसायटी—
“अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान, बड़का मार्ग, बड़ौत (जिला बागपत, उप्र)”
की गतिविधियों को लेकर समाज में उठ रही चिंताओं और सवालों को सलीके से पेश कर रहे हैं।

यह रिपोर्ट किसी पर इल्ज़ाम नहीं, बल्कि समाज की सोच और भावनाओं का सजग दस्तावेज़ है

1999 से 2025 तक—कई राष्ट्रीय व स्थानीय मौकों पर अंजुमन की अनुपस्थिति

लंबे वक़्त से समाज के लोगों का ये कहना है कि 1999 के कारगिल युद्ध से लेकर 2025 तक राष्ट्रीय और सामाजिक परिस्थितियों में अंजुमन की भूमिका नगण्य रही है।

कारगिल युद्ध 1999
देशहित में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।

बाबरी मस्जिद फैसले 2010 व 2019
अमन-चैन की अपील या कोई सामाजिक पहल दर्ज नहीं हुई।

मुज़फ्फरनगर कवाल काण्ड 2013
क्षेत्र में तनाव के समय अंजुमन की सक्रियता नहीं दिखी।

चिकनगुनिया महामारी 2016
जनता मुश्किल में थी लेकिन अंजुमन नदारद रही।

नोटबंदी 2016
लोगों को राहत देने की कोई गतिविधि सामने नहीं आई।

पुलवामा हमला 2019
देश शोक में था, पर अंजुमन की प्रतिक्रिया अनुपस्थित रही।

कोविड महामारी 2020
यह समय सामूहिक सेवा का था, लेकिन अंजुमन कहीं दिखाई नहीं दी।

2025 पहलगांव हमला और पंजाब बाढ़
राष्ट्रीय दर्द के इन मौकों पर भी कोई बयान या सहयोग दर्ज नहीं हुआ।

स्थानीय गतिविधियों में भी नज़रअंदाज़

1995 से 2025 तक दर्जनों दीनी जलसे और इजलास हुए—अंजुमन की मौजूदगी नहीं रही।

हर साल सैकड़ों हाजी हज यात्रा पर रवाना होते हैं—अंजुमन कभी खिदमत में नहीं दिखी।

समाज की कई ज़रूरतों पर भी वर्षों से कोई गतिविधि दिखाई नहीं दी।

समाज में उठ रही आवाज़ें

कई वरिष्ठ लोगों का मानना है कि अंजुमन अपने उद्देश्य से भटक चुकी है।
इसी संदर्भ में मुहम्मद समीर वल्द सईद अहमद वल्द हाजी अब्दुल रसीद का बयान काफ़ी चर्चा में है:

> “अंजुमन को खंडहर बना दिया गया है।”



समाज के कई लोग इस कथन को मौजूदा स्थिति का प्रतिबिंब मानते हैं।

क्या अब नई शुरुआत व समय की ज़रूरत है?

अंजुमन एक रजिस्टर्ड सोसायटी है—और समाज का मानना है कि इसका सक्रिय होना समय की मांग है।
युवाओं को जोड़कर, ईमानदार नेतृत्व लाकर और पारदर्शी काम शुरू करके अंजुमन फिर से अपने पहले वाली पहचान हासिल कर सकती है।

निष्कर्ष

यह रिपोर्ट किसी की आलोचना नहीं, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए उठाई गई चिंताओं का संकलन है।
उम्मीद है कि अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान अपने पुराने वजूद को ताज़ा करेगी, और आने वाले समय में समाज, क्षेत्र और देशहित की गतिविधियों में आगे बढ़कर काम करेगी।

संपर्क व स्रोत

लेखक: अलीहसन मुल्तानी
स्थान: बड़ौत, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश
पत्रिका: मुल्तानी समाज
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Monday, November 24, 2025

🕊️ इंतकाल की अफसोसनाक खबर — बिरादरी से एक और रोशन चिराग रूख़्सत हुआ

निहायत ही दुःख और अफसोस के साथ तमाम बिरादराना हज़रात को यह इत्तला दी जाती है कि बीती रात बरोज़ पीर, तारीख़ 24 नवंबर 2025 को बुढ़ाना रोड कस्बा खतौली, जिला मुज़फ्फरनगर (उ.प्र.) की सम्मानित हस्ती जनाब रशीद अख़्तर साहब वल्द हाजी जमालुद्दीन साहब (मरहूम) खेड़े वालो, का कज़ा-ए-इलाही से इंतकाल हो गया।

अल्लाह तआला मरहूम पर अपनी रहमतों की बारिश फ़रमाए, उनकी मग़फ़िरत फ़रमाए और घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए। आमीन।

🕯️ सुपुर्द-ए-खाक का एलान
मरहूम की मय्यत को आज, बरोज़ मंगल, 25 नवंबर 2025 सुबह 11 बजे सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
तमाम अहबाब, अकरिबा और बिरादरी के लोगों से गुज़ारिश है कि जनाज़े में पहुँचकर सवाब-e-दारेन हासिल करें।

नोट 🚫 मय्यत के सिलसिले में और ज्यादा मालूमात के लिए जनाब अफजाल साहब कुशावली वालो के मोबाईल नंबर - 8077790947 पर राब्ता क़ायम करके पूरी जानकारी हासिल की जा सकती है।


📌 एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने के लिए अहम् हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि इंतकाल की खबर देर से या अधूरी जानकारी के साथ मिलती है, जिसकी वजह से लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से दरख़्वास्त करती है कि खबर भेजते वक़्त निम्न बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम / मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत या शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता – मूल निवासी और मौजूदा पता
3️⃣ दफ़ीने का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार लोगों के 1–2 फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम की तस्वीर
6️⃣ इंतेकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे औलाद, भाई-बहन, माँ-बाप आदि

इन तमाम जानकारियों के साथ खबर मुकम्मल होती है और बिरादरी तक सही और समय पर पहुंचती है।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

पत्रिका में प्रकाशित किसी भी प्रकार की ख़बर, लेख, विचार, संपादकीय, प्रेस विज्ञप्ति या विज्ञापन लेखक/संवाददाता/विज्ञापनदाता के व्यक्तिगत विचार हैं।
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प्रकाशित सामग्री की सत्यता, विश्वसनीयता या किसी भी प्रकार के दावे के लिए संबंधित लेखक/विज्ञापनदाता स्वयं उत्तरदायी होंगे।
पत्रिका एवं प्रबंधन किसी भी कानूनी, सामाजिक या वित्तीय जिम्मेदारी से पूर्णतः मुक्त रहेंगे।

किसी भी विवाद, शिकायत या न्यायिक कार्यवाही की स्थिति में न्याय क्षेत्र (Jurisdiction) केवल दिल्ली रहेगा।


✍️ ज़मीर आलम
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Sunday, November 23, 2025

🌙 इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिउन — मोहम्मद इक़बाल साहब के इंतकाल पर मुल्तानी समाज की ख़ास रिपोर्ट

बड़ी अफ़सोसनाक और रंज़ो-ग़म के साथ यह इत्तिला तमाम बिरादराने इस्लाम तक पहुंचाई जाती है कि आज दिन इतवार, 23 नवंबर 2025 को जनाब मोहम्मद इक़बाल साहब वल्द जनाब अब्दुल मजीद (हाथी करोदा वाले), हाल मुक़ीम मोहल्ला नौ कुआँ, शामली (उ.प्र.) का तकरीबन पौने दो बजे दिन में कज़ा-ए-ईलाही से इंतकाल हो गया।

मरहूम मोहम्मद इक़बाल साहब उम्र 70 साल, बीते कुछ अरसे से बीमारियों में मुब्तिला थे।
अल्लाह तआला मरहूम की मगफिरत फरमाए, उनकी कब्र को रौशन करे और घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाए। आमीन या रब्बुल आलमीन।


🌿 मरहूम का परिवार

मरहूम अपने पीछे:

  • 5 लड़के,
  • 2 लड़कियाँ,
    सहित पूरे कुनबे, रिश्तेदारों और अज़ीज़ो-कारिब को रोता-बिलखता छोड़कर इस फानी दुनिया से हमेशा के लिए रुख़्सत हो गए।

🕌 अंतिम संस्कार (दफीना) की व्यवस्था

मरहूम की मय्यत बाद नमाज़-ए-इशा सुपुर्द-ए-ख़ाक की जाएगी।
जो भी हज़रात शिरकत कर सकें, मरहूम के लिए दुआ-ए-मगफिरत अवश्य फ़रमाएँ।


📞 तफ़सीलात के लिए संपर्क करें

अगर मय्यत या दफीने के बारे में और जानकारी चाहिए तो:
मिस्त्री इकराम साहब — 9528835553


📢 एक ज़रूरी ऐलान — इंतकाल की खबर भेजते समय इन हिदायतों का खास ख्याल रखें

अक्सर देखा गया है कि खबर देर से पहुँचती है या अधूरी होती है, जिसकी वजह से लोग जनाज़े में शामिल नहीं हो पाते।
“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि खबर भेजते समय ये बातें ज़रूर लिखें—

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत/शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता — मूल निवास और वर्तमान निवास।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त, दिन और कब्रिस्तान।
4️⃣ घर के जिम्मेदार एक-दो लोगों के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल है तो मरहूम का फोटो।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम — औलाद, भाई, बहन, माँ-बाप आदि।

इन जानकारी से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी तक सही खबर पहुंचाना आसान रहेगा।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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किसी भी विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र केवल दिल्ली माना जाएगा।


📌 “मुल्तानी समाज” — मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी की आवाज़

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Thursday, November 20, 2025

“SIR फ़ॉर्म: आपकी पहचान, आपका कल — लापरवाही नहीं, जागरूकता की पुकार”

आज के दौर में जब नागरिकता, पहचान और मताधिकार सबसे अहम संवैधानिक अधिकार हैं, ऐसे समय में SIR फ़ॉर्म को लेकर समाज में बढ़ती लापरवाही वाक़ई चिंता का विषय है। कुछ लोग इसे मामूली काग़ज़ समझकर टाल रहे हैं, जबकि यही दस्तावेज़ आने वाले कल में आपकी भारतीय नागरिकता और वोटर पहचान का सबसे महत्वपूर्ण आधार बनने वाला है।

जिस दस्तावेज़ पर आपके वोट, पहचान और भविष्य की नींव रखी जा रही हो—उसमें ज़रा-सी भी कोताही बेहद भारी साबित हो सकती है।


SIR फ़ॉर्म क्यों है ज़रूरी?

SIR फ़ॉर्म सीधे-सीधे आपकी नागरिकता और मताधिकार से जुड़ा है।
यदि 7 फ़रवरी 2026 को प्रकाशित होने वाली अंतिम सूची में आपका नाम नहीं मिलता, तो आप भारत के मतदाता नहीं माने जाएंगे और आपकी नागरिकता भी संकट में पड़ सकती है।


9 दिसंबर 2025 – सबसे अहम परीक्षा

इस दिन प्रारंभिक ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होगी।
अगर इस सूची में आपका नाम न मिले, तो आपकी पहचान की बड़ी जाँच इस क्रम में होगी—

1️⃣ SDM स्तर की जाँच

दस्तावेज़ संतोषजनक — आपका नाम आगे बढ़ेगा।
नहीं तो फाइल DM के पास जाएगी।

2️⃣ DM स्तर की जाँच

DM संतुष्ट — राहत मिल सकती है।
असंतुष्ट — मामला राज्य के CEO के पास पहुँच जाएगा।

3️⃣ जयपुर – मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के पास अंतिम सुनवाई

अगर CEO को आपके दस्तावेज़ पर भरोसा है— नाम जुड़ सकता है।
अगर CEO असंतुष्ट — अंतिम सूची से आपका नाम हट जाएगा और फिर नागरिकता तक प्रभावित हो सकती है।


लापरवाही क्यों घातक है?

आज बहुत से लोग परेशान हैं कि उनके माता-पिता, दादा या रिश्तेदारों का नाम 2003 की सूची में नहीं है —
अब उन्हें अपनी पहचान साबित करने के लिए तमाम दफ़्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

इसी हक़ीक़त को एक शेर में यूँ बयां किया गया है—

**“लम्हों ने खता की,

सदियों ने सज़ा पाई।”**

आज की लापरवाही कल आपके बच्चों को अंधेरे में धकेल सकती है।


वेबसाइट ओवरलोड — समय सीमित

अभी पोर्टल खुला है, लेकिन लगातार बढ़ते ट्रैफ़िक के कारण कभी भी धीमा या बंद हो सकता है।
BLO भी अपनी सरकारी ड्यूटी के साथ यह काम कर रहे हैं, इसलिए वे बार-बार कह रहे हैं—

“4 दिसंबर से पहले–पहले SIR फ़ॉर्म ज़रूर जमा कर दें।”

आज BLO साहब हर घर का चक्कर लगाकर लोगों को समझा रहे हैं, मगर यदि कल कोई गड़बड़ी हुई,
तो तहसील तक भागते-भागते हम ही परेशान होंगे।


अब सबसे बड़ा सवाल — क्या करना चाहिए?

बहुत सरल बात है—
अपने और अपने हर घर के सदस्य का SIR फ़ॉर्म तुरंत भरें, चाहे ऑनलाइन करें या ऑफलाइन।
यही आपकी नागरिकता और आपके वोट के अधिकार को सुरक्षित रखने का सबसे महत्वपूर्ण कदम है।


✒️ विशेष रिपोर्ट

अब्दुल क़ादिर मुल्तानी, राजस्थान
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
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पैदायशी इंजीनियर, मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित
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“घर की रौनक बुझ गई — जवान बहू शबनम बी की अचानक मौत ने पूरे खानदान को सदमे में डाल दिया…”*

आज का दिन बिरादरी और खास तौर पर मोहम्मद इरशाद उर्फ़ इलू के घराने के लिए एक गहरा सदमा लेकर आया।

निहायत ही दुःख और रंज के साथ यह इत्तला दी जाती है कि जनाब हाजी मोहम्मद उमर साहब (बूढ़पुर वाले) के बहू और मोहम्मद इरशाद उर्फ़ इलू की अहलिया मरहूमा शबनम बी (उम्र 35 साल) आज तड़के क़ज़ा-ए-इलाही से इस फ़ानी दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गईं।

जुमे का मुबारक दिन, तारीख़ 21 नवंबर 2025—लेकिन इलू परिवार और बिरादरी के लिए यह दिन हमेशा एक गहरे ज़ख़्म की तरह याद रहेगा।
एक जवान, नेक-सिरत, खुश-मिज़ाज बहू… जिसकी मौजूदगी से घर में चहल-पहल रहती थी, आज उसी घर की चौखट पर सन्नाटा पसरा हुआ है।

🌿 अचानक मौत… और टूटते हुए सपने

ऐसे हादसे जब अचानक पेश आते हैं तो घर का हर कोना गवाही देता है कि किस तरह एक मुस्कुराती हुई ज़िंदगी पल भर में ख़ामोश हो जाती है।
मरहूमा शबनम बी की उम्र ही क्या थी—सिर्फ़ 35 साल।
जिंदगी तो जैसे अभी शुरू ही हुई थी…
लेकिन अल्लाह को कुछ और मंज़ूर था।

उनके छोटे-छोटे काम, उनका हंसना-बोलना, घरवालों का ख्याल रखना, रिश्तेदारों से बैठना… सब यादों के रूप में पीछे छूट गया।
खानदानी मोहब्बत और अदब से रहने वाली यह बहू आज अपने पीछे सवालों और सदमों से भरा माहौल छोड़ गई।
इलू परिवार के लिए यह सिर्फ़ एक मौत नहीं, बल्कि घर का उजाला बुझ जाने जैसा गम है।

🕌 नमाज़-ए-जनाज़ा और दफ़न

मरहूमा की मय्यत को बाद नमाज़ जुमा
बड़का रोड गोरे ग़रीबा कब्रिस्तान, बड़ौत, जिला बागपत
में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।

बिरादरी के तमाम लोग से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाब-ए-दारेन हासिल करें और घरवालों के दुख को हल्का करने में अपना हिस्सा डालें।

🤲 दुआएं और ताज़ियत

अल्लाह तआला मरहूमा की मग़फ़िरत फरमाए,
उनकी कब्र को रोशन करे,
और घरवालों—खासकर उनके शौहर मोहम्मद इरशाद उर्फ़ इलू—को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।
आमीन

📞 मालूमात के लिए संपर्क

मरहूमा से संबंधित किसी भी तफ्सील के लिए
मोहम्मद इलियास साहब (मोबाइल: 9911998311) से राब्ता करें।


📢 एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने के लिये अहम हिदायतें

(जैसा कि “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका का बिरादरी से तआवुन की गुज़ारिश है)

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता—असली और मौजूदा।
3️⃣ दफ़न का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार दो लोगों के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम की तस्वीर।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घरवालों के नाम—जैसे औलाद, माँ-बाप, भाई-बहन आदि।

यह हिदायतें इसलिए ताकि खबर मुकम्मल तरीके से बिरादरी तक पहुंचे और कोई जनाज़े से महरूम न रह जाए।


📰 डिस्क्लेमर

पत्रिका में प्रकाशित लेख, समाचार, विचार, टिप्पणी आदि लेखक या संवाददाता के अपने विचार होते हैं।
पत्रिका, संपादक, प्रकाशक या प्रबंधन इनके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।
किसी भी विवाद की सूरत में न्याय क्षेत्र केवल दिल्ली रहेगा।


**✍️ ज़मीर आलम

“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका — दिल्ली
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Wednesday, November 19, 2025

इंतेकाल की गमगीन खबर — बिरादरी में सदमे की लहर ,मरहूम मिस्त्री मोहम्मद शफीक (55) का इंतकाल — अल्लाह तआला दर्जात बुलंद फरमाए

✍️ ज़मीर आलम | “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका

अहले मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को बड़े ही रंज‐ओ‐ग़म के साथ यह इत्तला दी जाती है कि आज दिन बुध, 19 नवंबर 2025, को हमारे बिरादरी के बुज़ुर्ग और मुहतरम शख्स मिस्त्री जनाब मोहम्मद शफीक (55 साल) वल्द मिस्त्री चमन साहब, निवासी गांव खेड़ा हटाना, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश तथा हाल मुक़ीम राशिद कॉलोनी, दिल्ली रोड, बागपत शहर का तकरीबन शाम 5 बजे क़ज़ा‐ए‐इलाही से इंतकाल हो गया।

मरहूम काफी अरसे से बीमारी में मुब्तिला थे।
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिउन।


🌼 मगफिरत की दुआ

हम दुआगो हैं कि
अल्लाह तआला मरहूम की मगफिरत फरमाए, उनकी क़ब्र को रोशन फरमाए और दर्जात को बुलंद से बुलंदतर फरमाए।
अल्लाह उनके तमाम घरवालों को सब्र‐ए‐जमील अता फरमाए। आमीन।


⚰️ तदफ़ीन की जानकारी

मरहूम की तदफ़ीन कल दिन जुमेरात, 20 नवंबर 2025, सुबह 10 बजे, बागपत में की जाएगी, इंशाअल्लाह।


📢 एक जरूरी ऐलान — इंतेकाल की खबर भेजने वालों के लिए अहम हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि इंतकाल की खबर देर से पहुँचने या अधूरी जानकारी होने के कारण अहबाब जनाज़े में शामिल नहीं हो पाते।
“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुजारिश करती है कि खबर भेजते समय इन बातों का खास ख्याल रखें—

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम
2️⃣ वल्दियत या शौहर का नाम
3️⃣ स्थायी पता व वर्तमान निवास
4️⃣ तदफ़ीन का सही वक़्त व कब्रिस्तान का नाम
5️⃣ घर के जिम्मेदार व्यक्तियों के फोन नंबर
6️⃣ मरहूम (मर्द) का फोटो
7️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
8️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम — माता-पिता, भाई-बहन, औलाद आदि

इन जानकारियों से खबर मुकम्मल बनती है और बिरादरी तक सही जानकारी पहुंचती है।


📰 डिस्क्लेमर

पत्रिका में प्रकाशित किसी भी लेख, समाचार, विचार, विज्ञापन आदि का उत्तरदायित्व लेखक या विज्ञापनदाता का स्वयं का होगा।
पत्रिका एवं प्रबंधन किसी भी कानूनी, सामाजिक या वित्तीय जवाबदेही से पूर्णतः मुक्त रहेंगे।
किसी भी विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र केवल दिल्ली रहेगा।


✍️ “मुल्तानी समाज” — बिरादरी की आवाज़
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित
मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका

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Monday, November 17, 2025

🌙 साया-ए-ग़म में डूबी मुल्तानी बिरादरी — एक दर्दनाक ख़बर 🌙

— अल्लाह मरहूम पर अपनी राहतें और मग़फिरत नाज़िल फ़रमाए —

निहायत ही अफ़सोस और रंजो-ग़म के साथ तमाम मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादराना हज़रात की सेवा में यह इत्तिला पेश की जा रही है कि मोहल्ला लुहारी सराय, क़स्बा नगीना, जिला बिजनौर (उ.प्र.) आज सुबह एक दर्दनाक ख़बर से ग़मगीन हो गया।
बिरादरी पर जवान मौत का पहाड़ टूट पड़ा और हर तरफ़ सन्नाटा-सा छा गया।


🌑 इंतेकाल की दर्दभरी इत्तिला

आज बरोज़ मंगल, 18 नवंबर 2025, सुबह 9 बजे,
हमारे मुल्तानी बिरादरी के प्यारे नौजवान

जनाब अब्दुल ख़ालिक मुल्तानी

वल्द मरहूम अब्दुल वासे मुल्तानी
क़ज़ा-ए-इिलाही से इस दुनिया-ए-फ़ानी से रुख़्सत कर गए।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन

उनके इंतकाल की यह खबर सिर्फ़ घर वालों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी बिरादरी के लिए सदमे और गहरे ग़म का सबब बनी है।


🤲 अल्लाह से दुआ

अल्लाह तआला मरहूम की
मग़फिरत फ़रमाए,
उनकी तन्हाइयों को नूर से भर दे,
क़ब्र को जन्नत की वादी बना दे,
और घर वालों—अज़ीज़ों—रिश्तेदारों को
सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए।
आमीन या रब्बुल आलमीन।


📌 नोट (Important Update)

मरहूम के दफ़न व जनाज़े की तारीख व वक़्त जल्द अपडेट कर दिया जाएगा।
मरहूम के क़रीबी या घर के ज़िम्मेदार शख़्स कृपया "मुल्तानी समाज" न्यूज़ नंबर
📞 8010884848
पर संपर्क करें ताकि जानकारी मुकम्मल और सही तरीक़े से बिरादरी तक पहुँचाई जा सके।


📢 एक ज़रूरी एलान — इंतेकाल की खबर भेजने के लिए अहम् हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि अधूरी या देर से मिली खबर की वजह से कई लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादरी से गुज़ारिश करती है कि इत्तिला भेजते समय निम्न बिंदुओं का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम व वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता — कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रहते थे
3️⃣ दफ़न का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के ज़िम्मेदार 1–2 लोगों के फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल है तो मरहूम की तस्वीर
6️⃣ इंतेकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम — माता-पिता, भाई, बहन, औलाद वगैरह

📌 इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी को सही-सही इत्तिला मिलेगी।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

पत्रिका में प्रकाशित आलेख, समाचार, विचार, टिप्पणी, विज्ञापन आदि लेखक, संवाददाता या विज्ञापनदाता के निजी विचार हैं।
पत्रिका, संपादक व प्रबंधन इन सामग्री की सत्यता या विश्वसनीयता के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।
किसी भी विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र (Jurisdiction) सिर्फ़ दिल्ली रहेगा।


✒️ “मुल्तानी समाज” के लिए ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित
मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित
देश की एकमात्र समाचार पत्रिका — मुल्तानी समाज

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🌺 रौशन मुकद्दस रस्म-ए-निकाह की प्यारी इत्तिला 🌺

🌸 बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम 🌸
🌸 बिस्मिल्लाह वस्सलातु वस्सलाम अला रसूलिल्लाह ﷺ 🌸


🌺 रौशन मुकद्दस रस्म-ए-निकाह की प्यारी इत्तिला 🌺

— मुल्तानी समाज के लिए एक खुशनुमा, पाक और मोहब्बत भरी खबर —

मुल्तानी बिरादरी के सम्मानित अहल-ए-खानदान को السلام علیکم ورحمۃ اللہ و برکاتہ

अल्लाह तआला के फजल व करम और सरवरे दो आलम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ के सदके में, बड़ी ख़ुशी और मोहब्बत के साथ यह पाक तहरीर पेश की जा रही है कि:

मरहूम मोहम्मद इब्राहीम साहब डडियाल के नेक कुल से ताल्लुक रखने वाले
हाजी मोहम्मद फ़ारूक साहब डडियाल के फ़रजंद

🌟 मोहम्मद फ़ुरकान साहब

का निकाह आपसी रज़ामंदी और ख़ुशनुमा माहौल में तय पाया है — हस्ब-ए-प्रोग्राम खाना-आबादी की तमाम रसूमात अल्लाह तआला के करम से अमन व सुख़ूनत के साथ मुकम्मल होंगी, इंशा अल्लाह।

🌸 दुल्हन-ए-शरीफ़ा

सना कौसर साहिबा
बिन्ते हाजी मोहम्मद आरिफ भुट्टो साहब


🌹 रस्म-ए-निकाह

चाँद की तारीख: 23 शव्वाल 1447 हिजरी
अंग्रेज़ी तारीख: 12 अप्रैल 2026, बरोज़ इतवार
वक़्त: नमाज़-ए-मगरिब के बाद
मक़ाम: हस्ब-ए-जेल प्रोग्राम, बड़ा अदब व सकून


🌿 सरपरस्त

  • हाजी अब्दुल रशीद साहब भट्टी (मामाजी)

🌿 अद्दाईयान

  • मोहम्मद सिद्दीक डडियाल
  • हाजी मोहम्मद फारूक डडियाल
  • मोहम्मद इस्माइल डडियाल

🌿 चश्मे-बराह

मोहम्मद इरफान — मोहम्मद फैजान — मोहम्मद अली — मोहम्मद हसनैन — अंसार अली


🌺 دعوتِ ولیمہ (वलीमे की दावत)

13 अप्रैल 2026 | बरोज़ पीर | नमाज़-ए-मगरिब के बाद
मेज़बान: हाजी मोहम्मद फ़ारूक साहब
मोबाइल: 9414472133, 8696897638, 8005858128
पता: 37 लोहार कॉलोनी, आयड, उदयपुर — राजस्थान


✒️ मुल्तानी समाज के लिए ख़ास रिपोर्ट

अब्दुल कादिर मुल्तानी
(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत—दिल्ली से प्रकाशित,
मुल्तानी लोहार/बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” की विशेष रिपोर्ट)

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दुआ

अल्लाह तआला इस पाक रिश्ता-ए-निकाह को रहमत, बरकत, मोहब्बत और सकून का ज़रिया बनाए।
दोनों घरानों को ख़ुशियों, राहतों और कामयाबी से नवाज़े।
आमीन या रब्ब-उल-आलमीन।


🌙 ग़मज़दा इत्तला — अख़्तरी बी का इंतकाल, अल्लाह अपनी रहमतों से ढाँप ले 🌙

निहायत ही अफ़सोस और रंज के साथ तमाम बिरादराने इस्लाम को यह इत्तला दी जाती है कि बरोज़ पीर, 17 नवंबर 2025 को कस्बा नजीबाबाद, ज़िला बिजनौर (उ.प्र.) की मक़बूल-ओ-मुहतरमा अख़्तरी बी (90 साल) अहलिया मरहूम हकीम रोशन मुल्तानी, मुक़ाम मोहल्ला सेवाराम, कस्बा नाज़ीबाबाद का क़ज़ा-ए-इलाही से इंतेकाल हो गया।

इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैहि राजिऊन।

अल्लाह तआला मरहूमा की मग़फ़िरत फ़रमाए, उनकी तन्हाइयों को अपनी नूरानी रहमतों से भर दे, और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए — आमीन।

मरहूमा अपने पीछे 4 बेटे
मोहम्मद राशिद मुल्तानी, मोहम्मद आसिफ़ मुल्तानी, मोहम्मद आमिर मुल्तानी, मोहम्मद आसिम मुल्तानी,
और एक बेटी क़मर जहाँ,
इसके अलावा पूरा कुनबा, खानदान, रिश्तेदार और अज़ीज़-ओ-क़रीब को ग़मजदा छोड़कर इस फ़ानी दुनिया से हमेशा के लिए रुख़्सत कर गईं।

जनाज़ा नमाज़-ए-ईशा के बाद किया जाएगा और तदफ़ीन जायज़ तरीक़े से संपन्न होगी।
तमाम हजरात से दरख्वास्त है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाब-ए-दारेन हासिल करें।

नोट:
मय्यत के बारे में तफ़सीली जानकारी के लिए
जनाब ताबिश मुल्तानी — 9762258518 पर राब्ता करें।


📢 एक ज़रूरी ऐलान — इंतेकाल की खबर भेजने के लिए अहम हिदायतें

अकसर देखा गया है कि किसी मरहूम/मरहूमा के इंतेकाल की खबर देर से या अधूरी मिलती है, जिससे कई लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि खबर भेजते समय इन बातों को ज़रूर शामिल करें—

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम और वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता और निवास
3️⃣ दफन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के 1–2 जिम्मेदार लोगों के मोबाइल नंबर
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल है तो फोटो
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर मुनासिब हो)
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम — औलाद, भाई, बहन, माँ-बाप वगैरह

इन जानकारी से खबर मुकम्मल बनती है और बिरादरी तक सही-सही जानकारी पहुँचती है।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

पत्रिका में प्रकाशित आलेख, समाचार, विचार या विज्ञापन लेखक व विज्ञापनदाता के अपने हैं।
इनसे संपादक, प्रकाशक, प्रबंधन या संस्थान की सहमति आवश्यक नहीं है।
सत्यता और दावों के लिए लेखक स्वयं जवाबदेह होंगे।
किसी भी विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र सिर्फ दिल्ली होगा।


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित,
बिरादरी को समर्पित "मुल्तानी समाज"
के लिए जमीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

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अल्लाह मरहूमा अख़्तरी बी को जन्नतुल फ़िरदौस में आला मुक़ाम अता फ़रमाए — आमीन।

Sunday, November 16, 2025

🌙 ग़मगीन अहसास के साथ — गढ़ी पुख़्ता के एक प्यारे रफ़ीक़-ए-हयात का इंतकाल, बिरादरी शोकज़दा 🌙


निहायत ही रंज व अलम के साथ तमाम बिरादराना हजरात को यह इत्तला दी जाती है कि जनाब मोहम्मद शफीक़ साहब (उम्र 58 साल) वल्द जनाब सलीमुद्दीन साहब मरहूम (गढ़ी पुख़्ता वाले), मुक़ाम मोहल्ला आज़ाद चौक शामली—हाल मुक़ीम गांव खेड़ी करमू, जिला शामली—का कल दिन इतवार, 16 नवंबर को तक़रीबन शाम 4 बजे क़ज़ा-ए-इलाही से इंतकाल हो गया।

अल्लाह तआला मरहूम की मग़फ़िरत फ़रमाए, उनकी तन्हाईयों को नूर से भर दे और घरवालों को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए। आमीन।

मरहूम कई सालों से बिस्तर पर थे और अनेकों बीमारियों में मुब्तिला रहे। अपने पीछे वह अपनी अहलिया, दो बेटों, एक बेटी सहित पूरा कुनबा, खानदान और अज़ीज़-ओ-अक़ारिब को रोता-बिलखता छोड़कर इस फ़ानी दुनिया से रुख़्सत हो गए।

उनके पाँच भाइयों में—नफ़ीस अहमद मरहूम, मुशर्रफ़ साहब, सनव्वर साहब (पानीपत), असलम साहब, और दो बहनें—नफ़ीसा बी मरहूमा (गंगोह) तथा रोशन बी (लखनौती) शामिल हैं।


📿 दफ़िने का वक़्त व मुक़ाम

मरहूम की मय्यत को आज दिन पीर, 17 नवंबर 2025 को सुबह 10 बजे
मोहल्ला गुलशन नगर, टायर मार्किट, शामली स्थित कब्रिस्तान
में सपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
तमाम हजरात से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शिरकत फ़रमाकर सवाब-ए-दारेन हासिल करें।


📞 ज़रूरी मालूमात के लिए संपर्क

मय्यत से संबंधित जानकारी के लिए
मरहूम के भतीजे — मोहम्मद एहसान साहब
मोबाइल: 9756156658
से संपर्क किया जा सकता है।


📢 इंतेकाल की ख़बर भेजने के लिए जरूरी हिदायतें

“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका की गुज़ारिश है कि खबर भेजते समय इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम व वल्दियत
2️⃣ पूरा पता — असली और मौजूदा
3️⃣ दफ़ीने का वक़्त व कब्रिस्तान
4️⃣ जिम्मेदार शख़्स के फ़ोन नंबर
5️⃣ (मर्द के इंतकाल पर) फोटो
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम


📰 डिस्क्लेमर

पत्रिका में प्रकाशित किसी भी लेख, विचार, खबर या विज्ञापन की ज़िम्मेदारी लेखक या प्रेषक की होगी।
संस्थान किसी भी दावे या सत्यता के लिए ज़िम्मेदार नहीं है।
किसी भी विवाद की स्थिति में न्यायिक क्षेत्र केवल दिल्ली रहेगा।


✍️ ख़ास रिपोर्ट

मोहम्मद एहसान
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Friday, November 14, 2025

“जनाब इज़हार अहमद साहब के इंतेकाल की दुखद इत्तिला — बिरादरी ग़म में डूबी”

सहारनपुर, उत्तर प्रदेश से — ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट

अहले मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को निहायत ही दुःख और रंजीदा दिल के साथ यह इत्तिला दी जाती है कि आज दिन जुमा, 14 नवंबर 2025 को सहारनपुर (62 फ़ुटा, गोल्डन पैलेस के बराबर वाली गली) में रहने वाले जनाब इज़हार अहमद साहब वल्द जनाब जहीर अहमद (मरहूम) का क़ज़ा-ए-इलाही से इंतकाल हो गया।
मरहूम की उम्र लगभग 57 साल थी।

अल्लाह तआला मरहूम की मग़फिरत फ़रमाए, उनकी क़ब्र को नूर से भर दे और जन्नत-उल-फिरदौस में आला से आला मक़ाम अता फ़रमाए।
अल्लाह उनके घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए।
आमीन सुम्मा आमीन।


📌 जनाज़े की तफ़सील

मिली जानकारी के मुताबिक, मरहूम को कल (शनिवार) 15 नवंबर 2025, सुबह 11 बजे सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
तमाम अहबाब-ए-बिरादरी से गुज़ारिश है कि ज्यादा से ज्यादा तादाद में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें।


ℹ️ ज़रूरी मालूमात के लिए संपर्क करें:

📞 मोहम्मद नौशाद साहब – 8077249223


📢 एक अहम ऐलान — इंतेकाल की खबर भेजने के लिए ज़रूरी हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि इंतकाल की खबर देर से मिलने या अधूरी जानकारी होने की वजह से कई लोग जनाज़े तक नहीं पहुंच पाते।
इसलिए मुल्तानी समाज राष्ट्रीय समाचार पत्रिका पूरी बिरादरी से गुज़ारिश करती है कि इंतेकाल की खबर भेजते समय निम्न बातों का खास ख़याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता — इससे लोग सही जगह पहुंच पाते हैं
3️⃣ दफन का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स के एक-दो फोन नंबर
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ हो तो मरहूम की तस्वीर
6️⃣ इंतकाल की वजह — अगर बताना मुनासिब हो
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना जैसे भाई, बहन, औलाद, वालिदैन के नाम

इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल बनती है और बिरादरी को वक्त पर सही-सही इत्तिला पहुँचती है।


📰 डिस्क्लेमर

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इनका पत्रिका, संपादक, प्रकाशक या प्रबंधन से आवश्यक रूप से कोई सहमति अभिप्रेत नहीं है।

प्रकाशित सामग्री की सत्यता, विश्वसनीयता और किसी भी प्रकार के दावे के लिए लेखक/विज्ञापनदाता स्वयं जिम्मेदार होंगे।
पत्रिका एवं प्रबंधन किसी भी कानूनी, सामाजिक या वित्तीय जिम्मेदारी से पूर्णतः मुक्त रहेंगे।

किसी भी विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र (Jurisdiction) केवल दिल्ली ही माना जाएगा।


मुल्तानी समाज — बिरादरी की आवाज़

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
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