(एक पत्रकार की ख़ामोशियों के पीछे छिपी कड़वी हक़ीक़त)
कभी–कभी कलम उठाना आसान होता है, लेकिन उसे सच के साथ चलाना बेहद मुश्किल। आज मैं, ज़मीर आलम, उसी कड़वी सच्चाई का सामना कर रहा हूँ—जहाँ अपने ही बिरादरी के चंद लोग, जो खुद को खिदमतगार कहते हैं, मेरे सच से इतने बौखला गए कि अब वे मुझे धमकियों के सहारे चुप कराना चाहते हैं।
मुझे लगातार यह धमकी दी जा रही है कि “या तो चैन से पत्रकारिता छोड़ दो, वरना हम तुम्हें चैन से बैठने नहीं देंगे।”सबसे अफ़सोस की बात यह है कि यह सब किसी गैर ने नहीं बल्कि हमारी ही बिरादरी की एक तंजीम के कुछ शोहदेदारों ने पूरी चालाकी और होशियारी के साथ किया।
📌 मामला शुरू कहाँ से हुआ?
कुछ दिन पहले, हमारे चैनल पर एक शादी का वीडियो—जो खुद बिरादरी के लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल किया था—समाचार के रूप में चलाया गया।शीर्षक था:
“अब बिरादरी की शादियों में खिदमतगार नहीं, कैमरा और कुर्सी तलाशते ओहदेदार नज़र आते हैं।”
सच्चाई कड़वी थी—इसलिए चुभ गई।
यही वो चिंगारी थी, जिसके बाद मेरे ख़िलाफ़ एक सुनियोजित साज़िश शुरू कर दी गई।
⚠️ दबंग, बाहुबली और साहूकार हाजी जी का इस्तेमाल
इन्हीं शोहदेदारों ने मुज़फ्फरनगर के एक दबंग और बाहुबली हाजी जी को भड़का कर मेरे पीछे लगा दिया।उनकी धमकी भरी ऑडियो में बार-बार मुझे टॉर्चर किया गया—
“तुमने मेरी शादी की वीडियो ख़बर में क्यों चलाई?”
जबकि मैं इस शादी में मौजूद तक नहीं था।
वीडियो तो उन्हीं शोहदेदारों ने बनाई, उन्हीं ने वायरल की, और उनकी आवाजें आज भी वीडियो में साफ़ सुनाई देती हैं।
जब वीडियो वायरल हुई, तब किसी दबंग हाजी जी को आपत्ति नहीं हुई।
आपत्ति तब हुई जब सच्चाई ख़बर बनकर सामने आई।
❗बार–बार सवाल, धमकियां और उकसावे
अब हालात यह हैं कि रोज़ाना धमकी भरी ऑडियो, वाट्सऐप कॉल और छींटाकशी की जाती है—“16 गरीब लड़कियों की शादी कहाँ कराई? बच्चों के एडमिशन कहाँ कराए? सबूत दो!”
मैं पूछता हूँ—
क्या मैंने कभी किसी मंच, प्रेस नोट, पोस्ट या बयान में कहा कि मैंने ऐसा किया?
क्या किसी को इससे पहले कभी ऐसा दावा सुनाई दिया?
सवाल उन लोगों से होना चाहिए जिन्होंने वीडियो वायरल की…
लेकिन निशाना मैं हूँ—क्योंकि मैंने सच बोलने की हिम्मत की।
🙏 मेरी अपील (ग़म और अदब के साथ)
मेरी किसी से दुश्मनी नहीं।ना ही मैं किसी के घर, शादी या इज़्ज़त को निशाना बनाता हूँ।
लेकिन मैं झूठ, ड्रामा, राजनीति और बिरादरी को बपौती समझने वाली मानसिकता के आगे झुकने वाला भी नहीं।
मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ—
मुझे धमकियाँ देना बंद करें।
यदि मानसिक दबाव, डिजिटल टॉर्चर और उकसावे का सिलसिला जारी रहा…
तो मुझे मजबूरन कानूनी कदम उठाने पड़ेंगे।
📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer):
पत्रिका में प्रकाशित किसी भी प्रकार की खबर, विचार, विज्ञापन, संपादकीय या सामग्री लेखक या संवाददाता के स्वयं के विचार हैं।इनसे पत्रिका, संपादक, प्रकाशक या प्रबंधन का समर्थन आवश्यक रूप से अभिप्रेत नहीं है।
सत्यता, विश्वसनीयता और दावों की जिम्मेदारी लेखक या विज्ञापनदाता की होगी।
किसी विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र केवल दिल्ली रहेगा।
✍️ “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए
मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश सेनवेद मिर्ज़ा की ख़ास रिपोर्ट
#multanisamaj
8010884848
www.multanisamaj.com
www.msctindia.com
multanisamaj@gmail.com
No comments:
Post a Comment