दुनिया में जहां भी आप खड़े हों, आपकी पहचान किस मुल्क से है — इसका सबसे बड़ा और मुकम्मल सबूत सिर्फ एक ही दस्तावेज़ है: पासपोर्ट।
और यही वजह है कि यह दस्तावेज़ दुनिया के किसी भी और काग़ज़ से बड़ा, मजबूत और ज़्यादा एहमियत रखने वाला माना जाता है।
आज के दौर में जब दस्तावेज़ी पहचान और कानूनी स्थिति को लेकर तरह–तरह की बहसें और उलझनें मौजूद हैं, ऐसी सूरत में पासपोर्ट की अहमियत और भी बढ़ जाती है।
पासपोर्ट क्यों है सबसे बड़ा और ताक़तवर दस्तावेज़?
पासपोर्ट किसी मुल्क का राष्ट्रपति अपने नागरिक को जारी करता है, यह कहते हुए कि —
"यह शख़्स हमारी सरज़मीं का नागरिक है और हम इसके अंतरराष्ट्रीय सफ़र की ज़िम्मेदारी लेते हैं।"
यह सिर्फ एक आईडी नहीं, बल्कि एक वैश्विक प्रमाण है कि आप कौन हैं, किस देश से ताल्लुक रखते हैं, और दुनिया आपको किस नज़र से पहचानेगी।
आधार, पैन, वोटर कार्ड — ये तमाम काग़ज़ ज़रूरी हैं, लेकिन ये नागरिकता का अंतरराष्ट्रीय सबूत नहीं हैं।
पासपोर्ट एकमात्र ऐसा दस्तावेज़ है जो पूरी दुनिया को बताता है कि:
“यह व्यक्ति भारत गणराज्य का नागरिक है।”
पासपोर्ट को क्या बनाता है सबसे खास और बे-मिसाल?
✓ फ़ोटो प्रूफ़
✓ पता प्रूफ़
✓ जन्म-तिथि प्रूफ़
तीनों का एक साथ सबसे मजबूत, सरकारी और अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्वीकार किया जाने वाला दस्तावेज़ — यही पासपोर्ट है।
इसमें शामिल होते हैं:
— पुलिस वेरिफिकेशन
— फिजिकल सत्यापन
— दस्तावेज़ों की गहन जांच
— कोर्ट एफिडेविट / मार्कशीट का मिलान
यानी यह दस्तावेज़ कई स्तर की जांच के बाद जारी होता है।
इसीलिए इसका मुकाबला कोई दूसरा पेपर कर ही नहीं सकता।
गरीब तबक़े में दस्तावेज़ों की सबसे ज्यादा कमी क्यों?
हक़ीक़त ये है कि सबसे ज्यादा दस्तावेज़ी कमी गरीब और पिछड़े तबके में पाई जाती है।
समाज के बाकी लोग, जो वक्त–बे–वक्त फालतू बहसों और व्यर्थ चर्चाओं में लगे रहते हैं, अगर इन परिवारों की मदद कर दें —
तो न जाने कितने लोगों की ज़िंदगी सुधर सकती है।
बच्चों की जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) वक़्त पर बनवाना सबसे ज्यादा जरूरी है।
इसमें देरी आगे चलकर बड़े मुसीबतों का सबब बन जाती है।
एक अहम चेतावनी — काग़ज़ पूरे न हों तो परेशानी बहुत बड़ी होती है
दुनिया में दस्तावेज़ों की जांच बेहद सख्त हो चुकी है।
गलत पहचान, अधूरी जानकारी या दस्तावेज़ों की कमी की वजह से कई बार लोग ऐसी मुसीबत में फंस जाते हैं जिससे निकल पाना बहुत मुश्किल होता है।
डिटेंशन सेंटर में जाने के बाद वापसी आसान नहीं होती।
जो दूसरे मुल्क से आया हो — वह बाहर जाए, इसमें कोई बुराई नहीं।
लेकिन कोई ऐसा शख़्स न फंस जाए जो इसी मिट्टी का बेटा हो —
बस यही बात सबसे ज़्यादा एहम और क़ाबिल-ए-तवज्जोह है।
और एक बात याद रखिए —
ऐसे मामलों में बड़े–बड़े ओहदेदार, रिश्तेदार और पदाधिकारियों की भी सीमाएँ होती हैं।
सब कुछ काग़ज़ पर ही तय होता है।
क़ौम और बिरादरी के लिए ज़िम्मेदारी का पैग़ाम
यह वक्त है कि हम अपने भाइयों की, अपने गरीब तबके की, और उन परिवारों की मदद करें जिनके काग़ज़ आज भी अधूरे हैं।
उनके दस्तावेज़ पूरे करवाना, उन्हें जागरूक करना और सही रास्ता दिखाना —
यही आज की सबसे बड़ी समाजी ज़रूरत है।
मुल्तानी समाज की ओर से एक जरूरी अपील:
पासपोर्ट बनवाएँ।
अपने बच्चों का भी पासपोर्ट बनवाएँ।
और दस्तावेज़ों को वक़्त रहते पूरा करें।
भविष्य की सुरक्षा काग़ज़ों से ही होती है।
मुल्तानी समाज के लिए ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,दिल्ली से प्रकाशित,
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी की
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