Wednesday, November 26, 2025

अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान: दो दशकों की ख़ामोशी पर उठते सवाल

लेखक: अलीहसन मुल्तानी, बड़ौत जिला बागपत, उत्तर प्रदेश
(मुल्तानी समाज — विशेष रिपोर्ट)

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से पंजीकृत और दिल्ली से प्रकाशित, मुल्तानी इंजीनियर, मुस्लिम मुल्तानी लोहार तथा बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” की इस विशेष रिपोर्ट में आज हम बीते लगभग तीन दशकों में रजिस्टर्ड सोसायटी—
“अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान, बड़का मार्ग, बड़ौत (जिला बागपत, उप्र)”
की गतिविधियों को लेकर समाज में उठ रही चिंताओं और सवालों को सलीके से पेश कर रहे हैं।

यह रिपोर्ट किसी पर इल्ज़ाम नहीं, बल्कि समाज की सोच और भावनाओं का सजग दस्तावेज़ है

1999 से 2025 तक—कई राष्ट्रीय व स्थानीय मौकों पर अंजुमन की अनुपस्थिति

लंबे वक़्त से समाज के लोगों का ये कहना है कि 1999 के कारगिल युद्ध से लेकर 2025 तक राष्ट्रीय और सामाजिक परिस्थितियों में अंजुमन की भूमिका नगण्य रही है।

कारगिल युद्ध 1999
देशहित में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।

बाबरी मस्जिद फैसले 2010 व 2019
अमन-चैन की अपील या कोई सामाजिक पहल दर्ज नहीं हुई।

मुज़फ्फरनगर कवाल काण्ड 2013
क्षेत्र में तनाव के समय अंजुमन की सक्रियता नहीं दिखी।

चिकनगुनिया महामारी 2016
जनता मुश्किल में थी लेकिन अंजुमन नदारद रही।

नोटबंदी 2016
लोगों को राहत देने की कोई गतिविधि सामने नहीं आई।

पुलवामा हमला 2019
देश शोक में था, पर अंजुमन की प्रतिक्रिया अनुपस्थित रही।

कोविड महामारी 2020
यह समय सामूहिक सेवा का था, लेकिन अंजुमन कहीं दिखाई नहीं दी।

2025 पहलगांव हमला और पंजाब बाढ़
राष्ट्रीय दर्द के इन मौकों पर भी कोई बयान या सहयोग दर्ज नहीं हुआ।

स्थानीय गतिविधियों में भी नज़रअंदाज़

1995 से 2025 तक दर्जनों दीनी जलसे और इजलास हुए—अंजुमन की मौजूदगी नहीं रही।

हर साल सैकड़ों हाजी हज यात्रा पर रवाना होते हैं—अंजुमन कभी खिदमत में नहीं दिखी।

समाज की कई ज़रूरतों पर भी वर्षों से कोई गतिविधि दिखाई नहीं दी।

समाज में उठ रही आवाज़ें

कई वरिष्ठ लोगों का मानना है कि अंजुमन अपने उद्देश्य से भटक चुकी है।
इसी संदर्भ में मुहम्मद समीर वल्द सईद अहमद वल्द हाजी अब्दुल रसीद का बयान काफ़ी चर्चा में है:

> “अंजुमन को खंडहर बना दिया गया है।”



समाज के कई लोग इस कथन को मौजूदा स्थिति का प्रतिबिंब मानते हैं।

क्या अब नई शुरुआत व समय की ज़रूरत है?

अंजुमन एक रजिस्टर्ड सोसायटी है—और समाज का मानना है कि इसका सक्रिय होना समय की मांग है।
युवाओं को जोड़कर, ईमानदार नेतृत्व लाकर और पारदर्शी काम शुरू करके अंजुमन फिर से अपने पहले वाली पहचान हासिल कर सकती है।

निष्कर्ष

यह रिपोर्ट किसी की आलोचना नहीं, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए उठाई गई चिंताओं का संकलन है।
उम्मीद है कि अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान अपने पुराने वजूद को ताज़ा करेगी, और आने वाले समय में समाज, क्षेत्र और देशहित की गतिविधियों में आगे बढ़कर काम करेगी।

संपर्क व स्रोत

लेखक: अलीहसन मुल्तानी
स्थान: बड़ौत, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश
पत्रिका: मुल्तानी समाज
📞 8010884848
🌐 www.multanisamaj.com
🌐 www.msctindia.com
✉️ multanisamaj@gmail.com
#multanisamaj

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