लेकिन जब दूसरा ग्राहक आता दुकानदार अपनी दुकान से बाहर निकल कर बाज़ार पर एक नज़र डालता जिस दुकान के बाहर कुर्सी पड़ी होती वो ग्राहक से कहता की " तुम्हारी ज़रूरत की चीज़ उस दुकान से मिलेगी,, मैं सुबह का आग़ाज़ (बोनी) कर चुका हूँ।
कुर्सी का दुकान के बाहर रखना इस बात की निशानी होती थी के अभी तक इस दुकानदार ने आग़ाज़ नही किया है।
ये मुस्लिम ताजीरों का अख़लाक़ और मोहब्बत थी नतीजतन इन पर बरकतों का नुज़ूल होता था।
अरबी से तर्जुमा
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