अगर आप किसी भी वायरल डीज़ीज़ से हमेशा के लिए सुरक्षित रहना चाहते हैं तो नेचुरल तरीक़े से "विटामिन सी" की उचित मात्रा (0.2 gram/day) लेते रहें। जैसे:- "एक अमरूद" या "दो संतरे या मौसम्मी" या "तीन आम" या "चार टमाटर" प्रति दिन का रूटीन बना लें और अपने "ईम्युनिटी पावर यानी ईम्युन सिस्टम"(IMMUNITY POWER OR IMMUNE SYSTEM) को चुस्त-दुरुस्त रखें।
बिलगेट्स,राकफेलर जैसे शुभचिंतकों का अबतक का सबसे क्रूरतम कार्यक्रम
HEALTH CARE + AGENDA 21
(स्वास्थ्य का सपना दिखाकर)
जिसके अंतर्गत दुनिया की 15% - 20% आबादी को ख़त्म करना है।
02/04/2020 - 31/03/2025 तक का ये प्रोजेक्ट है।जो लोग वैक्सीन के पक्ष में हैं और जनता को इसे लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, चाहे वे चिकित्सा विशेषज्ञ हों या विद्वान या देश के बुद्धिजीवी। उनकी सेवा में कुछ संक्षिप्त बिंदु हैं:
1. साबित कीजिए कि यह रोग भी अन्य रोगों की तरह ही प्राकृतिक है या मानव षडयंत्रों के परिणामस्वरूप कृत्रिम है, जो जैव-जीवाणु हथियार के रूप में जनसंहार कर रहे हैं? मेरे कहने का सीधा सा मतलब यह है कि आप पहले यही साबित कर दो कि ये महामारी है?
अगर यह वास्तव में एक महामारी है, तो गांवों और शहरों को तबाह कर देती और देखते ही देखते सब कुछ तबाह कर देती ? यह पहली लहर,फिर दूसरी लहर,यह सब तमाशा क्या है? एक गांव में दस मरे, दूसरे में चार, किसी गांव में कोई नहीं मरा क्या ऐसी ही महामारी होती है? और अगर यह कोई ईश्वरीय दंड है, तो इस्राएल, जो कि दुनिया में सबसे अधिक उत्पीड़कों और काफिरों का निवास है, कोविड मुक्त कैसे हो गया? क्या पूरी दुनिया में दैवीय दण्ड रखकर इस्राएल से दैवीय दण्ड हटा लिया गया है?
2. संयुक्त राष्ट्र (यहूदियों के प्रभाव में) के आदेशों को जिस तत्परता से लागू किया जा रहा है और इसके लिए सरकारी तंत्र का जिस तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, वह अपने आप में एक रहस्य है।
3. इस बीमारी की वास्तविकता और इसकी गंभीरता को स्पष्ट करें कि आप इसे किस श्रेणी में रखेंगे? हालांकि, यह एक सामान्य सर्दी और फ्लू बुखार से ज्यादा कुछ नहीं है, और लापरवाही से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है ? इसे घातक और घातक साबित करें।
4. एक सामान्य सर्दी और फ्लू के लिए टीकाकरण का क्या औचित्य है, जब इसके घातक और खतरनाक प्रभाव सिद्ध नहीं हुए हैं, तब भी जब वैक्सीन का प्रयोगशाला में परीक्षण नहीं किया गया है?
5. हमें यह साबित करना होगा कि इस बीमारी का एकमात्र इलाज वैक्सीन है और दुनिया में इसका कोई इलाज नहीं है।
6. क्या यह सुनिश्चित करना जरूरी नहीं है कि टीकाकरण इस बीमारी को मिटा देगा? दुनिया में किसी भी संस्था या शोधकर्ता ने ऐसा नहीं कहा है, तो क्यों अपनी जान जोखिम में डालें और वैक्सीन के घातक परिणाम अपने सिर पर क्यों लें?
7. नबी की हदीस वैक्सीन को सही ठहराने के लिए सुनाई जा रही है और तर्क दिया जा रहा है कि अगर कोई बीमारी है तो उसका इलाज करें। लेकिन वैक्सीन बीमारी होने से पहले ही दी जा रही है। दुनिया भर में सात अरब लोगों को टीका लगाने का ये कौन सा क्या इलाज है?
जब आप, अपने आप चल सकते हैं तो आप एक छड़ी क्यों पकड़ रहे हैं?
क्या किसी इंसान के मरने से पहले कफन खरीदना एहतियात है? क्या ऐसी घटना में हदीस का इस्तेमाल सही है?
फिर इन तमाम सबूतों और सबूतों के साथ लोगों को एक व्याख्यात्मक लिखित पत्र जारी करना होता है, चाहे वे दारुल इफ्ता के मुफ्ती हों या किसी इलाके के काजी हों या शरीयत के अमीर हों। यह जीवन से संबंधित है। विद्वानों के कहने पर टीका लगवाने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और महिलाएं विधवा हो जाती हैं और बच्चे अनाथ हो जाते हैं, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जबकि टीकाकरण से न केवल मृत्यु होती है बल्कि पक्षाघात जैसी विभिन्न बीमारियां भी होती हैं, बहरापन, बूढ़ी महिलाओं को मासिक धर्म होने लगता है, मासिक धर्म फिर समाप्त होता है, मस्तिष्क में रक्त के थक्के, कमजोर पुरुष जननांग,नपुंसकता आदि। ऐसे कई दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं।
इजराइल की योजना है कि वो मीडिया में कैंपेन चलाकर और मोबाइल टोन में कोरोना सुना कर हमें अपने ही हाथों से मार रहे हैं.
*हम कोई जानवर नहीं हैं जिनका दिल चाहे जो इंजेक्शन दे.. खुदा के लिए बोलो.. आवाज़ उठाओ.. ये हमारी अपनी और पीढ़ियों की बात है..
हकीम मुहम्मद अबू रिजवानी
बीयूएमएस, ऑनर्स (बीयू)
यूनानी चिकित्सक
लाइफस्टाइल रोगों के विशेषज्ञ
जमशेदपुर झारखंड
मोबाइल 9334518872 & 8651274288
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