Wednesday, July 14, 2021

यह कमाल सिर्फ 'हुनूद' की तहज़ीब का है,जिस के रंग मे हम रंगते चले गए |


हिंदू तहज़ीब वालो की तरफ से इस ईद को 'बकरा ईद' कहा है, कोई बता दे मुझे कि 'इंडिया' के अलावा पूरी दुनिया में इस ईद को कोई 'बकरा ईद' कहता हो | इस्लाम मे इस ईद को "ईद-उल-अज्हा" कहा गया है| ईद' के मायने है मुसलमानों के जश़न का दिन और 'अज्हा' के मायने है चाश़्त का वक्त| लेकिन आवाम मे 'ईद-उल-अज्हा' के मायने क़ुरबानी की ईद से मशहूर है| फिर भी लौग 'क़ुरबानी की ईद' ना कहते हुए सीधे 'बकरा ईद' कह देते है, जाहिलों की तरह, फिर मीडिया वाले जब ईद को जानवरों से मंसूब करके मुसलमान और इस्लाम की तस्वीर बिगाड़ते हें तो इसमे अफ़सोस की क्या बात है ! तुम्हारी तहज़ीब को तो तुमने ही बिगाड़ा है |

बहुत से इस्लामी केलेंडरों में भी बेधड़क आज भी 'बकरा ईद' लिखा जा रहा है | जब इस्लाम की तारीख़ मे इस ईद को "ईद-उल-अज्हा" कहा गया है फिर इसे 'बकरा ईद क्यों कहा जाता है ? किसी भी बुज़ुर्ग ने इस ईद को 'बकरा ईद' नही कहा है| बराए करम ये अहद करें के आज से हम इस ईद को सिर्फ और सिर्फ "ईद-उल-अज्हा" ही कहेंगे और ये पैग़ाम सभी मुसलमान भाईयों तक पहुँचायेंगे| क्योकि इल्म का सीखना फराईज मे से है |

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