Saturday, July 10, 2021

एक यहूदी किसी मुसलमान का पडोसी था।


उस यहूदी का मुसलमान पडोसी बहुत ख़्याल रखता था ।उस मुसलमान की यह आदत थी कि वह हर थोडी देर बाद यह जुमला कहता था कि हुज़ूर ﷺ पर दुरूद भेजने से हर दुआ क़बूल होती है और हर हाजत और मुराद पूरी होती है । जो कोई भी उस मुसलमान से मिलता, वह मुसलमान उसे अपना यह जुमला ज़रूर सुनाता, और जो भी उसके साथ बैठता उसे भी, एक महफिल में कई बार यह जुमला मुकम्मल यक़ीन के साथ  सुनाता था कि हुज़ूर ﷺ पर दुरूद भेजने से हर दुआ क़बूल होती है और हर

हाजत और मुराद पूरी होती है, इस मुसलमान का यह जुमला उसके दिल का यक़ीन था ।उस यहूदी ने एक साज़िश तैय्यार की ताकि उस मुसलमान को ज़लील और रुसवा किया जा सके, और दुरूद शरीफ की तासीर पर उसके यक़ीन को कमज़ोर किया जाये, और उससे यह जुमला कहने की आदत छुडवाई जाये । यहूदी ने एक सुनार से एक अंगूठी बनवाई, और उसे ताकीद की के ऐसी अंगूठी बनाऐ कि इस जैसी अंगूठी पहले किसी के लिए ना बनाई हो, सुनार ने अंगूठी बना दी ।

वह यहूदी अंगूठी लेकर मुसलमान के पास आया, हाल अहवाल के बाद मुसलमान ने अपना वही जुमला दोहराया, हुज़ूर ﷺ पर दुरूद भेजने से हर दुआ क़बूल होती है हर हाजत और मुराद पूरी होती है, यहूदी ने दिल में कहा कि अब बहुत हो गई, बहुत जल्द यह जुमला तुम भूल जाओगे । कुछ देर बात चीत के बाद यहूदी ने कहा कि में सफर पर जा रहा हूं, मेरी एक क़ीमती अंगूठी है वह आपके पास अमानत रख कर जाना चाहता हूं, वापसी पर आपसे ले लूंगा ।

मुसलमान ने कहा कि कोई बात नही आप बे फिक्र होकर अंगूठी मेरे पास छोड जाऐं ।यहूदी ने वह अंगूठी  मुसलमान के हवाले की, और अंदाज़ा लगा लिया कि मुसलमान ने वह अंगूठी कहां रखी है, रात को वह छुपकर उस मुसलमान के घर कूदा, और बिल आख़िर अंगूठी तलाश कर ली, और अपने साथ ले गया ।अगले दिन वह समन्दर पर गया और एक किश्ती पर बैठकर समन्दर की गहरी जगह पहुंचा और वहां वह अंगूठी फैंक दी ।और फिर अपने सफर पर रवाना हो गया, उसका ख़्याल था कि जब वापस आऊंगा और उस मुसलमान से अपनी अंगूठी मागू्ंगा तो वह नहीं दे सकेगा तब में उस पर चोरी और ख़्यानत का इल्ज़ाम लगाकर ख़ूब चीख़ूंगा और हर जगह उसे बदनाम करूंगा, वह मुसलमान जब अपनी इतनी बदनामी होते देखेगा तो उसे ख़्याल होगा कि दुरूद शरीफ़ से काम नहीं बना और यूं वह अपना जुमला और अपनी दावत छोड देगा ।मगर उस बेवक़ूफ़ यहूदी को क्या पता था कि दुरूद शरीफ कितनी बडी नैमत है यहूदी अगले दिन सफर से वापस आ गया, सीधा मुसलमान के घर गया और जाते ही अपनी अंगूठी तलब की ।

मुसलमान ने कहा आप इतमेनान से बैठें, आज दुरूद शरीफ़ की बरकत से में सुबह दुआ करके शिकार के लिए निकला था तो मुझे एक बडी मछली हाथ लग गई, आप सफर से आयें हैं वह मछली खाकर जायें ।फिर उस मुसलमान ने अपनी बीवी को मछली साफ़ करने और पकाने पर लगा दिया, अचानक उसकी बीवी ज़ोर से चीख़ी और उसे बुलाया वह मुसलमान भाग कर घर में गया तो बीवी ने बताया कि मछली के पेट से सोने की अंगूठी निकली है, और यह बिल्कुल वैसी है जैसी हमने अपने पडोसी यहूदी की अंगूठी अमानत रखी थी ।वह मुसलमान जल्दी से उस जगह गया जहां, उसने यहूदी की अंगूठी रखी थी, अंगूठी वहां मौजूद नही थी, वह मछली के पेट वाली अंगूठी यहूदी के पास ले आया ,और आते ही कहा कि हुज़ूर ﷺ पर दुरूद शरीफ़ भेजने से हर दुआ क़बूल होती है हर हाजत पूरी होती है ।


फिर उसने वह अंगूठी यहूदी के हाथ पर रखकर दी, यहूदी की आंखें हैरत से बाहर, रंग काला पीला और होंट कांपने लगे उसने कहा कि यह अंगूठी कहां से मिली  ?मुसलमान ने कहा, जहां हमने रखी थी वहां तो नही मिली, मगर जो मछली आज शिकार की उसके पेट से मिल गई है ।मामला मुझे भी समझ नही आ रहा  मगर *अल्हमदो लिल्लाह* आपकी अमानत आपको पहुंची और अल्लाह तआला ने मुझे परैशानी से बचा लिया, बैशक हुज़ूर ﷺ पर दुरूद भेजने से हर दुआ क़बूल होती है हर हाजत और मुराद पूरी होती है ।यहूदी थोडी देर कांपता रहा फिर बिलक बिलक कर रोने लगा, मुसलमान उसे हैरानी से देख रहा था ।

यहूदी ने कहा कि मुझे ग़ुस्ल की जगह दे दें, ग़ुस्ल करके आया और फ़ौरन कलमऐ तय्यबा और कल्मऐ शहादत पढने लगा, वह भी रो रहा था और उसका मुसलमान दोस्त भी, और मुसलमान उसे कल्मा पढा रहा था और यहूदी यह अज़ीम कल्मा पढ रहा था, जब उसकी हालत संभली तो मुसलमान ने उससे "वजह" पूछी, तब उस नौ मुसलिम ने सारा वाक़्या सुना दिया ।मुसलमान के आंसू बहने लगे और वह बे साख़ता कहने लगा कि हुज़ूर ﷺ पर दुरूद भेजने से हर दुआ क़बूल होती है हर हाजत और मुराद पूरी होती है ।


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