Thursday, July 22, 2021

2011 की बात है । मायावती की सरकार चल रही थी ।


सपा को वापसी के लिए आज़म खां की ज़रूरत महसूस हो रही थी । शिवपाल यादव उन्हें मनाने की कोशिश में लगे हुए थे । शिवपाल यादव और आज़म खां दोनो एक दूसरे की बहुत इज़्ज़त करते हैं क्यूँकि दोनो ही संघर्ष के साथी थे और दोनो ने ही पार्टी को फ़र्श से अर्श तक ले जाने में अपनी भूमिका निभायी थी । तमाम हील हुज्जत के बाद आज़म खां समाजवादी पार्टी में वापस आने को तैयार हो गए । 

आज़म खां साहब की पार्टी में वापसी के लिए मंच सजाया गया । पार्टी के नेता , कार्यकर्ता इकट्ठा हुए । मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी में आज़म खां साहब पार्टी में वापस आए । मुलायम सिंह ने उन्हें तभी सदन में विपक्ष का नेता घोषित कर दिया , शिवपाल यादव ने नेता विपक्ष के पद से उसी समय इस्तीफ़ा लिखकर मुलायम सिंह यादव को दे दिया । आज़म खां बोलने के लिए माइक पर आए , नेताजी के हाथ से शिवपाल यादव का इस्तीफ़ा लेकर फाड़ दिया और बोले कि अगर मैंने विपक्ष के नेता का पद स्वीकार कर लिया तो लोग सोचेंगे कि आज़म खां पद के लालच में पार्टी में वापस आया है । सदन में हमारे नेता शिवपाल यादव ही रहेंगे और हम सब लोग मिलकर उनके नेतृत्व में काम करेंगे । 

अगले साल विधान सभा चुनाव हुए और समाजवादी पार्टी पूर्ण बहुमत से सरकार में आयी ।

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