Monday, August 4, 2025

इत्तिला-ए-इंतिक़ाल: जनाब लतीफ़ साहब के इंतिक़ाल पर मुल्तानी बिरादरी शदीद रंज व ग़म में डूबी

स्थान: गांव निम्बरी, सनौली रोड, पानीपत, हरियाणा

📆 तारीख़: 5 अगस्त 2025, दिन मंगलवार
🕙 जनाज़े की नमाज़: सुबह 10 बजे

इंसानी ज़िंदगी की हक़ीक़त यही है कि हर आने वाला एक दिन रुख़्सत होता है, लेकिन कुछ शख़्सियतें ऐसी होती हैं जिनकी रुख़्सती बिरादरी भर को मायूस कर जाती है।

निहायत अफ़सोस और ग़म के साथ यह इत्तिला दी जाती है कि मुल्तानी बिरादरी के मुख़लिस, शरीफ़ और मिलनसार अफ़राद में शुमार किए जाने वाले जनाब लतीफ़ वल्द जनाब मोहम्मद सादिक साहब का बीती रात इंतेक़ाल हो गया। उनकी उम्र तक़रीबन 58 बरस थी।

मरहूम का सुकूनतगाह गांव निम्बरी, सनौली रोड, जिला पानीपत (हरियाणा) रहा है। उनकी नमाज़े जनाज़ा आज मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को सुबह 10 बजे अदा की जाएगी। तमाम अज़ीज़ों, अहबाबों और बिरादराने हज़रत से इल्तिजा है कि आप इस इज्तिमा-ए-जनाज़ा में शिरकत फरमाएं और सवाबे दारेन हासिल करें।


तस्ली से भरी यह दुआ है कि:
"अल्लाह तआला मरहूम को अपनी बेपनाह रहमतों से नवाज़े, उनके दर्जात बुलंद फरमाए और लवाहिक़ीन को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।"


रब्त के लिए:
अगर आप मरहूम के बारे में ज्यादा मालूमात चाहते हैं तो आप जनाब इरशाद अहमद मुल्तानी साहब से इस नंबर पर राब्ता कर सकते हैं:
📞 8053991786

भतीजा मोहम्मद नसीम

📞 9896603076



मुल्तानी समाज का पैग़ाम:
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित तथा संपूर्ण भारत में प्रसारित राष्ट्रीय समाचार पत्रिका "मुल्तानी समाज" बिरादरी की हर ख़ुशी और ग़मी की खबरें सबसे पहले आप तक पहुंचाने का वसीला है।

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ख़िदमत में:
ज़मीर आलम
प्रधान संपादक
“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📍 निम्बरी, पानीपत, हरियाणा
#multanisamaj
📞 8010884848


इंसानी ज़िंदगी फ़ानी है और हर ज़िंदा को एक न एक दिन अपने रब के पास लौटना है। इसी हकीकत के साथ दिल बोझिल और आँखें नम हैं कि हरियाणा के ज़िला पानीपत के गांव निम्बरी में महज़ 10 दिनों के भीतर दूसरी मर्तबा मौत की खबर ने पूरे गांव और बिरादरी को ग़म में डुबो दिया है।


पहले 26 जुलाई 2025 को जनाब मोहम्मद शाक़िल साहब का इंतिक़ाल हुआ था और अब आज, 4 अगस्त 2025 को उनके रिश्तेदार और गांव निम्बरी के रहने वाले जनाब अब्दुल लतीफ़ साहब (उम्र लगभग 58 वर्ष) इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कह गए।


मरहूम मामूदीन खोज की पुलिया निम्बरी के पोते, सलीमुद्दीन हेवा समालखा के नवासे और मोहम्मद सादिक साहब के चौथे बेटे थे। उनका ताल्लुक चौधरी इक़बाल सनौली, पानीपत से भी चचेरा भाई होने के नाते जुड़ता है।


अब्दुल लतीफ़ साहब, मुलाजमत के साथ-साथ एक नेकदिल, शरीफ़, मिलनसार और बिरादरी से मोहब्बत रखने वाले इंसान थे। उनका निकाह हबीब नांगलिया सरन रोड, सोनीपत के घराने में हुआ था, और वे वहीं के दामाद थे।


अल्लाह ने उन्हें दो बेटे और एक बेटी से नवाज़ा, जो सभी शादीशुदा हैं और खुद अपने-अपने परिवारों के साथ जिंदगी बसर कर रहे हैं।


अब्दुल लतीफ़ साहब के परिवार में अब उनके बड़े भाई जनाब अब्दुल मजीद साहब ही रह गए हैं, जबकि उनके दो भाई और तीन बहनें थीं। भाई के जाने का यह सदमा अब्दुल मजीद साहब के लिए बेहद भारी है।


दुआ की दरख्वास्त:

हम अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि वो मरहूम को अपनी बेपनाह रहमतों से नवाज़े, जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए और तमाम पसमांदगान को सब्र-ए-जमील अता करे।

आमीन या रब्बल आलमीन


इंसानी ज़िंदगी फ़ानी है और हर ज़िंदा को एक न एक दिन अपने रब के पास लौटना है। इसी हकीकत के साथ दिल बोझिल और आँखें नम हैं कि हरियाणा के ज़िला पानीपत के गांव निम्बरी में महज़ 10 दिनों के भीतर दूसरी मर्तबा मौत की खबर ने पूरे गांव और बिरादरी को ग़म में डुबो दिया है।

पहले 26 जुलाई 2025 को जनाब मोहम्मद शाक़िल साहब का इंतिक़ाल हुआ था और अब आज, 4 अगस्त 2025 को उनके रिश्तेदार और गांव निम्बरी के रहने वाले जनाब अब्दुल लतीफ़ साहब (उम्र लगभग 58 वर्ष) इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कह गए।

मरहूम मामूदीन खोज की पुलिया निम्बरी के पोते, सलीमुद्दीन हेवा समालखा के नवासे और मोहम्मद सादिक साहब के चौथे बेटे थे। उनका ताल्लुक चौधरी इक़बाल सनौली, पानीपत से भी चचेरा भाई होने के नाते जुड़ता है।

अब्दुल लतीफ़ साहब, मुलाजमत के साथ-साथ एक नेकदिल, शरीफ़, मिलनसार और बिरादरी से मोहब्बत रखने वाले इंसान थे। उनका निकाह हबीब नांगलिया सरन रोड, सोनीपत के घराने में हुआ था, और वे वहीं के दामाद थे।

अल्लाह ने उन्हें दो बेटे और एक बेटी से नवाज़ा, जो सभी शादीशुदा हैं और खुद अपने-अपने परिवारों के साथ जिंदगी बसर कर रहे हैं।

अब्दुल लतीफ़ साहब के परिवार में अब उनके बड़े भाई जनाब अब्दुल मजीद साहब ही रह गए हैं, जबकि उनके दो भाई और तीन बहनें थीं। भाई के जाने का यह सदमा अब्दुल मजीद साहब के लिए बेहद भारी है।

दुआ की दरख्वास्त:
हम अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि वो मरहूम को अपनी बेपनाह रहमतों से नवाज़े, जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए और तमाम पसमांदगान को सब्र-ए-जमील अता करे।
आमीन या रब्बल आलमीन

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन
"हम सब अल्लाह के हैं और उसी की तरफ लौटकर जाना है।"



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