अस्सलामु अलैकुम / आदाब, मुल्तानी समाज के जागरूक दानवीरों को एक करुण आह्वान...
यह सिर्फ एक संदेश नहीं, बल्कि हमारी रूह की पुकार है...
✍️ आपने मस्जिदें सजाईं, दरगाहें बनाई, हज़ारों-लाखों रुपये खर्च किए...
लेकिन क्या आपने उन आँखों को देखा है जो रोज़ उम्मीद से आपकी तरफ़ देखती हैं?
🌾 क्या आपने उन हाथों की थकान महसूस की है जो दिन-रात मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं?
🚫 यह वक़्त है — सजग होने का, सोच बदलने का।
🧠 जागो मुल्तानी दानवीरों, अब और देर मत करो...
👉 आपने ₹1000 से लेकर ₹10 करोड़ तक दान किया — अगर यही पैसा बिना ब्याज के मुल्तानी नौजवानों को क़रज़-ए-हसन (interest-free loan) के रूप में दिया जाए, तो न जाने कितने घरों की तक़दीर बदल सकती है।
👉 कोई ड्राइवर बन जाएगा, कोई इंजीनियर... कोई बहन बुटीक खोल लेगी, कोई भाई कारोबार शुरू कर देगा।
एक परिवार नहीं, पूरी नस्ल बदल सकती है।
🏠 क्यों न हम बनाएं:
- मुल्तानी कॉलोनी — जहां हर परिवार को छत मिले।
- मुल्तानी हॉस्पिटल — जहां ग़रीब भी इलाज करवा सके।
- मुल्तानी स्कूल और कॉलेज — जहां हर बच्चा पढ़ सके।
- मुल्तानी सेवा केंद्र — जहां से उठेगी सच्ची समाजी क्रांति!
🙏 क्या अल्लाह राज़ी नहीं होंगे जब एक भूखा पेट भर जाएगा?
क्या वो सवाब नहीं होगा, जब कोई नौजवान आत्महत्या के बजाय आत्मनिर्भर बनेगा?
क्या अल्लाह की रहमत मुस्कुराएगी या वो माँ जिसके बेटे को आपने सहारा दे दिया?
🚨 क्यों भूल जाते हैं हम...
40,000 दरगाहों और मस्जिदों में सजदा करने वाले अल्लाह को आपकी बोली की ज़रूरत नहीं है —
लेकिन आपका पड़ोसी मुल्तानी भाई, जो रोज़ संघर्ष कर रहा है — उसे आपकी मदद की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।
💔 क्या मुल्तानी समाज अब सिर्फ अमीरों का समाज बनकर रह गया है?
पहली नज़राना, कुरआनख़्वानी, मजलिसें... सब पैसों पर बिक रही हैं।
जिसे मस्जिद या मजलिस तक में जगह नहीं मिलती — सिर्फ इसलिए कि उसके पास पैसे नहीं हैं।
क्या यही हमारा दीन है?
🌟 अब वक़्त है...
बोलियों पर खर्च करने के बजाय बुनियादी ज़रूरतों में निवेश करने का।
ईंट-पत्थर की इमारतें नहीं, बल्कि इंसानियत के मंदिर यानी स्कूल, अस्पताल और रोज़गार केंद्र बनाने का।
💬 एक सवाल ख़ुद से पूछिए:
क्या हम अल्लाह के सामने ऐसा समाज लेकर जा सकते हैं — जहां मस्जिदें तो जगमगा रही हों, लेकिन इंसान भूखे और बे-सहारा हों?
📣 🙏 यह संदेश ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाएँ। इसे शेयर करें, फैलाएँ, और हर मुल्तानी भाई-बहन को जागरूक करें।
सच्चा दान — वो होता है जो किसी की ज़िंदगी बदल दे।
🔁 यह आंदोलन है — "बोली नहीं, बदलाव चाहिए!"
अगर आप इस सोच से सहमत हैं — तो आज से ही किसी एक मुल्तानी नौजवान को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी लीजिए।मिलकर समाज को फिर से मज़बूत और सशक्त बनाईए
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