Friday, October 31, 2025

“दीवार नहीं, पुल बनाइए — मोहब्बत का वो सबक़ जो ज़िंदगी बदल दे”




लेखक: ज़मीर आलम
(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित — "मुल्तानी समाज" के लिए विशेष लेख)


कभी-कभी ज़िंदगी के सबसे बड़े सबक़ हमें किताबों में नहीं, इंसानी रिश्तों में मिलते हैं।
यह कहानी दो भाइयों की है — जो चालीस साल से मोहब्बत, इत्तेफ़ाक़ और भरोसे के साथ एक ही ज़मीनी फ़ार्म में रहते थे। उनके घर आमने-सामने थे, बच्चों में भाईचारा था, और मोहल्ले में उनकी मिसाल दी जाती थी।

मगर एक दिन, ज़रा सी बात पर तकरार हुई और फिर वही हुआ जो अक्सर रिश्तों की मजबूती को तोड़ देता है — अहंकार और ग़ुस्सा।

छोटे भाई ने नादानी में दोनों घरों के बीच एक गहरी खाई खुदवा दी, जिसमें नहर का पानी छोड़ दिया, ताकि अब एक-दूसरे से कोई आना-जाना न रहे।


अगले दिन, बड़े भाई ने एक मिस्त्री बुलाया और कहा —
“यहाँ आठ फ़ुट ऊँची दीवार बना दो... ताकि अब मैं उसका चेहरा न देखूँ।”

मिस्त्री मुस्कुराया और बोला —
“ठीक है हज़ूर, लेकिन पहले वो जगह दिखा दीजिए जहाँ से बाड़ शुरू करनी है।”

जगह देखकर मिस्त्री सामान लेने गया, कारीगर साथ लाया और बोला,
“अब आप आराम कीजिए, काम हम पर छोड़ दीजिए... सुबह तक सब हो जाएगा।”


सुबह जब बड़ा भाई बाहर निकला, तो उसकी आँखें हैरान रह गईं —
दीवार की जगह वहाँ एक खूबसूरत “पुल” बना था!

पुल के उस पार उसका छोटा भाई खड़ा था — आँखों में आँसू, चेहरे पर शर्म और दिल में मोहब्बत लिए।
वो धीरे से बोला,
“भाई जान... मैंने खाई खुदवाकर ग़लती की थी, मगर आपने फिर भी हमें जोड़ा। आपने दीवार नहीं, पुल बनाया।”

बड़े भाई की आँखें भी भर आईं — दोनों गले मिले, आँसूओं ने ग़ुस्से को धो डाला।
उनके बच्चे भी दौड़कर आए और उस पुल पर रिश्तों की सबसे खूबसूरत तस्वीर बन गई।


जब दोनों भाई मिस्त्री को ढूँढ़ने लगे, तो वो जाने की तैयारी कर रहा था।
बड़े भाई ने कहा,
“भाई, अपनी मज़दूरी तो लेते जाओ।”

मिस्त्री मुस्कुराया और बोला —
“इस पुल की मज़दूरी मैं आपसे नहीं लूँगा, बल्कि उससे लूँगा जिसका वादा है —
‘जो अल्लाह की रज़ा के लिए लोगों में सुलह करवाए, अल्लाह उसे बड़ा इनाम देगा।’

इतना कहकर वो “अल्लाह हाफ़िज़” कहता हुआ चला गया।


🌿 सबक़:

दुनिया में बहुत लोग दीवारें उठाते हैं —
नफ़रत की, ग़लतफ़हमी की, और अहंकार की।
मगर इंसान वही है जो इस मिस्त्री की तरह “पुल” बनाए —
दिलों को जोड़े, रिश्तों को सँवारे, और मोहब्बत फैलाए।

क्योंकि दीवारें हमेशा जुदाई लाती हैं,
और पुल हमेशा रिश्ते जोड़ जाते हैं।


✍️ रिपोर्ट: ज़मीर आलम
प्रधान संपादक, “मुल्तानी समाज” — देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित
📞 8010884848
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मुल्तानी समाज की बड़ी ख़बर — राष्ट्रीय चेयरमैन मोहम्मद आलम ने पद से दिया इस्तीफ़ा

✍️ अज़हर खान की ख़ास रिपोर्ट, “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, दिल्ली से


दिल्ली / जाफराबाद, 31 अक्टूबर 2025 (दिन जुमा)

निहायत ही अदब और तहज़ीब के साथ यह अहम इत्तला अहले पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को दी जाती है कि
“मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट (रजि.)” के मौजूदा राष्ट्रीय चेयरमैन मोहम्मद आलम साहब ने आज दिन जुमा, 31 अक्टूबर 2025 को अपने पद से स्वेच्छा से इस्तीफ़ा दे दिया है।

मोहम्मद आलम साहब, जो तंजीम के संस्थापक जनाब ज़मीर आलम साहब के बाद संगठन के दूसरे राष्ट्रीय चेयरमैन रहे, ने अपने तीन वर्ष से अधिक के कार्यकाल को पूर्ण करते हुए यह निर्णय लिया।


🌿 मोहम्मद आलम का बयान

अपने इस्तीफ़े की घोषणा करते हुए मोहम्मद आलम साहब ने कहा —

“मैंने हमेशा बिरादरी की तरक्की और खुशहाली को अपना मक़सद बनाया। तंजीम ने मुझे जो भरोसा दिया, वह मेरे लिए इज़्ज़त और एहतिराम की बात है।
अब जबकि मेरा कार्यकाल तीन साल से अधिक हो चुका है, तो मैंने अपनी मर्ज़ी से राष्ट्रीय चेयरमैन के पद से इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला किया है, ताकि बिरादरी के दूसरे साथियों को भी इस पद पर सेवा करने का मौक़ा मिल सके।”

उन्होंने आगे कहा —

“मेरा अनुभव और मेरी कोशिशें, आगे आने वाले तीसरे राष्ट्रीय चेयरमैन और उनकी टीम के साथ हमेशा बनी रहेंगी। मैं कंधे से कंधा मिलाकर बिरादरी के अधूरे पड़े कामों को पूरा करने में साथ दूंगा।
क्योंकि ‘मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट (रजि.)’ की यही खूबी है कि यहां कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी हर पूर्व पदाधिकारी को वही इज़्ज़त और तरजीह दी जाती है जैसी पद पर रहते हुए दी जाती है।”


🌍 नई कार्यकारिणी के गठन की तैयारी

मोहम्मद आलम साहब ने यह भी बताया कि तंजीम द्वारा उन्हें पूरे देश में नई राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला, नगर और शहर स्तर की कार्यकारिणी के गठन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।

उन्होंने मुल्तानी बिरादरी से अपील की —

“जो बिरादरी भाई समाजी संस्थाओं में काम करने का अनुभव रखते हैं, वे अपने नाम मुझे या हमारे संस्थापक ज़मीर आलम साहब को भेजें ताकि उन्हें नई जिम्मेदारियां दी जा सकें और मुल्तानी समाज के नये प्रोजेक्ट्स पर मिलकर काम किया जा सके।”

📞 संपर्क हेतु:

  • मोहम्मद आलम (पूर्व राष्ट्रीय चेयरमैन): 7503296786
  • ज़मीर आलम (संस्थापक / पूर्व राष्ट्रीय सदर): 8010884848

🌹 मोहम्मद आलम की सेवाओं को सलाम

मुल्तानी समाज की तंजीम में मोहम्मद आलम का योगदान हमेशा यादगार रहेगा। उनके नेतृत्व में ट्रस्ट ने कई कल्याणकारी योजनाओं, सामाजिक कार्यक्रमों और बिरादरी एकता के प्रोजेक्ट्स पर सराहनीय काम किया।
उनके इस्तीफ़े के बाद भी तंजीम में उनका रुतबा और रहनुमाई का सफ़र जारी रहेगा।


📜 पत्रिका के बारे में

“मुल्तानी समाज” — सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित,
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित
देश की एकमात्र राष्ट्रीय समाचार पत्रिका।


✍️ विशेष रिपोर्ट: अजहर खान 
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Thursday, October 30, 2025

🕊️ निहायत ही अफ़सोस और रंज के साथ ग़मगीन इत्तला 🕊️

भीलवाड़ा (राजस्थान)
बा-तारीख़ : 31 अक्टूबर 2025, दिन जुमा
إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ

निहायत ही अफ़सोस और ग़म के साथ अहले मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरान को यह ग़मगीन खबर दी जाती है कि
मरहूम हाजी मोहम्मद इस्माईल उस्ता के फ़रज़ंद हाजी मोहम्मद शरीफ़ उस्ता का आज सुबह क़ज़ाए इलाही से इंतिक़ाल हो गया है।

मरहूम एक नेकदिल, सादगीपसंद और बिरादरी में मोहब्बत व खिदमत के लिए जाने जाते थे। उनके इंतिक़ाल की खबर से पूरे भीलवाड़ा शहर और आसपास के इलाक़ों में ग़म की लहर दौड़ गई है।

जनाज़े का वक़्त व मकाम:
मरहूम का जनाज़ा आज 31 अक्टूबर 2025, दिन जुमा, नमाज़-ए-जुमा के बाद उठाया जाएगा।
दफ़न: सूफ़ियान कब्रिस्तान, भीलवाड़ा में किया जाएगा।
तमाम अहबाब से दरख़्वास्त है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाब-ए-दारेन हासिल करें और मरहूम की मग़फ़िरत के लिए दुआ फरमाएं।

दुआ:
अल्लाह तआला मरहूम को जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए, उनकी मग़फ़िरत फरमाए और उनके अहल-ए-ख़ाना को सबर-ए-जमील अता करे।
आमीन सुम्मा आमीन।

📞 राब्ता:
मरहूम के बारे में तफ्सीलात के लिए हाफ़िज़ मोहम्मद सद्दीक़ साहब से इस नंबर पर राब्ता करें — 9460376196


📢 एक ज़रूरी ऐलान – इंतिक़ाल की खबर भेजने वालों के लिए अहम हिदायतें

अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतिक़ाल की खबर बिरादरी तक देर से या अधूरी पहुँचती है, जिससे लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि इंतिक़ाल की खबर भेजते समय इन बातों का ख़ास ख़्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम और वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता (कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे)।
3️⃣ दफन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के फोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतिक़ाल हुआ है तो मरहूम का फोटो शामिल करें।
6️⃣ इंतिक़ाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाकी अहल-ए-ख़ाना के नाम (जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह)।

इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों तक सही जानकारी पहुँच सकेगी।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer):

पत्रिका में प्रकाशित किसी भी समाचार, लेख, संपादकीय, टिप्पणी, विज्ञापन या अन्य सामग्री के विचार लेखक, संवाददाता या विज्ञापनदाता के स्वयं के हैं।
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न्याय क्षेत्र (Jurisdiction): केवल दिल्ली रहेगा।


🕊️ “मुल्तानी समाज”

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✍️ विशेष रिपोर्ट: ज़मीर आलम
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बड़ौत की फ़िज़ाओं में मातम — हाजी बिल्लू साहब का इंतक़ाल, बिरादरी में छा गया ग़म का साया

मुल्तानी समाज राष्ट्रीय समाचार पत्रिका की रिपोर्ट — अलीहसन मुल्तानी

निहायत ही रंज-ओ-ग़म, अफ़सोस और हैरानी के साथ आप तमाम बिरादराना हज़रात को यह इत्तिला दी जाती है कि —

आज बा-तारीख़ 31 अक्टूबर 2025, दिन जुमा, सुबह तक़रीबन साढ़े चार बजे,
हाजी चमन साहब (सिकोहपुर वाले) के साहबज़ादे हाजी महमूद उर्फ़ हाजी बिल्लू का
बड़ौत ज़िला बागपत (उत्तर प्रदेश) में बडौली रोड पर क़ज़ा-ए-इलाही से इंतक़ाल हो गया।

मरहूम का आशियाना डॉ. रिहान के भोपाल नर्सिंग होम के क़रीब, बडौली रोड, बड़ौत में वाक़े है।
हाजी बिल्लू साहब अपने पीछे अपनी अहलिया,
चार भाई — मुहम्मद हनीफ़, मुहम्मद नौशाद अली, शमशाद अली, मुहम्मद अंसार अली,
एक बहन-बहनोई, बे-वा मां, दो बेटे, तीन बेटियां, दामाद, बहू,
और तमाम अज़ीज़-ओ-अक़ारिब सहित पूरा ख़ानदान और बिरादरी छोड़कर
इस फ़ानी दुनिया से हमेशा-हमेशा के लिए रुख़्सत कर गए।

अल्लाह तआला की यही मर्ज़ी थी।
इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैहि राजिऊन।

उनके इंतक़ाल की खबर सुनकर बड़ौत, बागपत, और आस-पास के इलाक़ों में
ग़म और सदमे की लहर दौड़ गई।
हर आँख नम है, हर दिल पुकार रहा है —
“या अल्लाह, हमारे हाजी बिल्लू साहब की मग़फ़िरत फरमा।”

दफीने की जगह और वक़्त 

बाद नमाज़ जुमा सवा बजे किया जाएगा मय्यत को सपुर्दे ख़ाक 

हम तमाम अहल-ए-बिरादरी और मुल्तानी समाज परिवार की जानिब से
मरहूम की मग़फ़िरत के लिए दुआ-ए-ख़ैर करते हैं —

"ऐ ख़ालिक-ए-कायनात! मरहूम को जन्नतुल फ़िरदौस में आला मक़ाम अता फ़रमा,
उनके क़ब्र को नूर और सुकून का ठिकाना बना,
और घर वालों को सब्र-ए-जमील व हिम्मत अता फरमा। आमीन।"


🕊️ एक अहम ऐलान — इंतक़ाल की खबर भेजने से पहले इन बातों का रखें ख़ास ख़्याल

अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतक़ाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी की वजह से लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतक़ाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ध्यान रखें —

1️⃣ मरहूम / मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत या शोहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता — कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख़्स (कम से कम दो) के मोबाइल नंबर।
5️⃣ अगर मरहूम मर्द हैं तो उनका हालिया फोटो।
6️⃣ इंतक़ाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना — जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह के नाम।

इन तमाम जानकारी से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों को सही-सही मालूमात मिलने से आसानी होगी।


📜 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत

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🕯️ मरहूम हाजी बिल्लू साहब की मग़फ़िरत के लिए फ़ातेहा ज़रूर पढ़ें।
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Wednesday, October 29, 2025

झूठी शोहरत की साज़िश या बिरादरी की बदनामी? — सच्चाई सामने लाएगा “मुल्तानी समाज”

✍️ ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट | “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका

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🔥 निहायत ही अफ़सोसनाक मगर हैरतअंगेज़ मंजर

आज वाक़ई अफ़सोस होता है यह देखकर कि हमारी बिरादरी में कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो अपनी झूठी शान, बनावटी तारीफें और सस्ती शोहरत के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं।
जी हाँ — वही लोग, जो खुद को “बिरादरी का खैरख्वाह” बताकर अपने ही बनाए वीडियो में खुद अपनी झूठी तारीफें करवा रहे हैं।
सवाल यह है कि — क्या इस नीच हरकत से बिरादरी को कोई फ़ायदा पहुँचने वाला है या यह केवल ओछी राजनीति और दिखावे का नया तरीका है?


🎥 झूठ का वीडियो और सच की तलाश

दो दिन पहले मुस्लिम मुल्तानी लोहार बिरादरी के एक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक वीडियो सामने आया।
उस वीडियो में एक व्यक्ति दावा कर रहा है कि —

“मैंने अपनी समस्या बिरादरी के कई व्हाट्सएप ग्रुप में डाली, मगर किसी जिम्मेदार ने मेरी मदद नहीं की... फिर मैंने एक ग्रुप में लिखा, और 24 घंटे के अंदर जिम्मेदार हमारे पास पहुँच गए।”

वीडियो में वह व्यक्ति कुछ नाम भी ले रहा है और साथ ही कुछ तथाकथित समाजसेवियों की तारीफें करता नज़र आता है।

लेकिन जब यह वीडियो “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका और यूट्यूब चैनल तक पहुँचा — तो हमने फैसला किया कि इस वीडियो को वायरल कर असलियत सामने लानी होगी।
क्योंकि ज़रूरी था कि बिरादरी को सच्चाई तक पहुँचाया जाए।


💥 सवाल जो उठना लाज़मी है

सच्चाई तक पहुँचने से पहले कुछ सवाल बिरादरी के ज़हन में भी उठने चाहिए —

1️⃣ यह समस्या आखिर किस ग्रुप में और कब पोस्ट की गई थी?
2️⃣ अगर मामला इतना खुला और जायज़ था, तो फिर वीडियो में अपनी पहचान क्यों छुपाई गई?
3️⃣ ग्रुप में या वीडियो में आपने अपना और अपने वालिद का नाम-पता क्यों छिपाया?
4️⃣ आप “मुल्तानी समाज” ग्रुप में शामिल ही नहीं थे, तो वहां पोस्ट कैसे कर दी?
5️⃣ क्या आपने कभी एडमिन या जिम्मेदार लोगों से पर्सनल कॉल या मैसेज कर अपनी समस्या साझा की?
6️⃣ वीडियो में जिनके साथ आप खड़े हैं — क्या वो लोग वाकई सलाह देने आए थे या कैमरा चालू करने?


⚡ “मुल्तानी समाज” की साफ़ अपील

हमारी बिरादरी से गुज़ारिश है कि अगर आप वाक़ई किसी परेशानी के शिकार हैं —
तो अपनी पूरी पहचान के साथ, खुले मंच पर अपनी बात रखें।
हमारी पत्रिका “मुल्तानी समाज” का मंच हमेशा सच और बिरादरी के हक़ के लिए खुला है।
आप नीचे दिए गए नंबर पर कॉल करके अपनी बात रख सकते हैं —
📞 8010884848

लेकिन अगर आपने ऐसा कुछ नहीं किया और यह वीडियो सिर्फ़ किसी की झूठी शोहरत की चाल है,
तो बिरादरी समझेगी कि यह महज़ अपनी बनावटी तारीफें करवाकर “मुल्तानी समाज” को बदनाम करने की साज़िश है।


😡 बिरादरी को गुमराह करने वालों के नाम खुला पैग़ाम

यह बात कान खोलकर सुन लो —

“बिरादरी की इज़्ज़त, उसकी एकता और उसका भरोसा किसी के झूठे कैमरे के आगे नहीं बिकेगा।”

आप चाहें जितनी झूठी तारीफें करवा लो,
लेकिन बिना सबूत, बिना सच्चाई के दूसरों पर कीचड़ मत उछालो।
क्योंकि अगर बिरादरी एक बार उठ खड़ी हुई —
तो वही लोग जिन्हें आप बदनाम करने निकले हैं,
आपकी झूठी शोहरत की दीवार को ईंट दर ईंट गिरा देंगे।


💬 आखिर में सिर्फ़ एक बात

“सच्चे समाजसेवी वो नहीं जो कैमरे के सामने खड़े होकर तारीफें लूटें,
बल्कि वो हैं जो चुपचाप बिरादरी के लिए कुछ कर गुज़रें — बिना दिखावे, बिना शोर के।”


“मुल्तानी समाज”
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Tuesday, October 28, 2025

🕊️ इंतेकाल की खबर — धामपुर (बिजनौर, उत्तर प्रदेश) से एक दर्दनाक ख़बर 🕊️

निहायत ही ग़म और अफ़सोस के साथ आप सभी बिरादराना हज़रात को यह इत्तला दी जाती है कि क़स्बा धामपुर, ज़िला बिजनौर (उत्तर प्रदेश) निवासी — जनाब अमीर अहमद पुत्र बशीर अहमद (मरहूम), जो मुल्तानी किराना स्टोर के मालिक थे, का आज दिन बुध, 29 अक्टूबर 2025 की सुबह फ़ज्र से पहले इंतक़ाल हो गया है।

इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैहि राजिऊन —
सब लोग मरहूम की मग़फ़िरत और बुलंदी-ए-दर्जात के लिए दुआ फ़रमाएं, क्योंकि पीछे छोटे-छोटे मासूम बच्चे रह गए हैं।


नोट 🚫 मरहूम के बारे में और ज्यादा मालूमात के लिए जनाब अतर मिर्ज़ा जी के मोबाईल नंबर - 9458047294 पर राब्ता क़ायम करके पूरी जानकारी ली जा सकती है।


📢 एक ज़रूरी ऐलान — इंतेकाल की खबर भेजने के लिये अहम् हिदायतें

अक्सर यह देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतक़ाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी होने की वजह से लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते

इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से ख़ास गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतक़ाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ज़रूर ख़्याल रखें 👇

1️⃣ मरहूम / मरहूमा का पूरा नाम, साथ में वल्दियत या शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता — कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे।
3️⃣ दफ़ीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (1-2) के फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मरहूम मर्द हैं तो उनका फ़ोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतक़ाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना — जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद आदि के नाम।

इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल बनेगी और बिरादरी के लोगों को सही-सही जानकारी मिलने में आसानी होगी।


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“106 बरस की रूह का सफ़र-ए-आख़िर : गौरी बी का इंतकाल, अजमेर में पसरा सन्नाटा”

फ़ोटो मरहूमा गौरी खातून 

कभी-कभी ज़िंदगी अपने आख़िरी पड़ाव पर भी एक ऐसी इबादत बन जाती है, जो आने वाली नस्लों के लिए सबक़ छोड़ जाती है। आज बरोज़ मंगल, 28 अक्टूबर 2025 को अजमेर की गली नंबर 2, एकता नगर, राती डांग से एक ऐसी ही रूह रवाना हुई, जिसने एक सदी से ज़्यादा उम्र का सफ़र तय किया — मरहूमा बी गौरी, उम्र तक़रीबन 106 साल।

क़ज़ाए इलाही से हुआ यह इंतक़ाल पूरे मुल्तानी बिरादराने में ग़म की लहर ले आया। “इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजेऊन” — यह आयत आज हर ज़बान पर थी। बी गौरी का जनाज़ा नमाज़-ए-असर के बाद गोरे गरीबाँ कब्रिस्तान में दफन किया गया, जहाँ नम आँखों के साथ सैकड़ों लोगों ने उनकी आख़िरी विदाई में शिरकत की।

मरहूमा की दीर्घ उम्र और उनके सादगी भरे जीवन ने उन्हें इलाके की “ज़िंदा दास्तान” बना दिया था। कहा जाता है कि उन्होंने तीन पीढ़ियों को बढ़ते, सँवरते और बसते देखा था। अब वही घर, वही गली, और वही आँगन — एक अजीब सी ख़ामोशी में डूबे हैं।

मरहूमा के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए जनाब मोहम्मद साबिर मुल्तानी से मोबाइल नंबर 9827042292 पर राब्ता किया जा सकता है।

🕊️
एक ज़रूरी ऐलान — बिरादरी तक सही ख़बर पहुँचाने की दरख़्वास्त
अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की ख़बर देर से पहुँचने या अधूरी जानकारी के कारण लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से दरख़्वास्त करती है कि जब भी इंतकाल की सूचना दें, नीचे दी गई बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ मुकम्मल पता और मौजूदा निवास।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स के फ़ोन नंबर।
5️⃣ मर्द का इंतकाल हो तो फ़ोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम (भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह)।

इन सब बातों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोग अपने फ़र्ज़ से वाक़िफ़ रह सकेंगे।

✍️

“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत, दिल्ली से प्रकाशित —
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका

Gori Khatoon ke husband marhum Hasham Nagori

रिपोर्ट : ज़मीर आलम
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Monday, October 27, 2025

🕊️ इंतकाल की इत्तला – मुल्तानी बिरादरी के ख़ास और दुःख भरी खबर

निहायत ही अफ़सोस और रंज के साथ तमाम बिरादराने इस्लाम को यह इत्तला दी जाती है कि गांव छाबड़िया, तहसील सरधना, जिला मेरठ (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले मरहूम जनाब रफ़ीक साहब के फरज़ंद जनाब शफीक साहब का आज इंतेकाल हो गया है।

जानकारी के मुताबिक, जनाब शफीक साहब मुंबई कुर्ला से संगम विहार,दिल्ली रिश्तेदारी में शादी में शरीक होने आए थे। स्टेशन से स्कूटर द्वारा किसी रिश्तेदार के साथ संगम विहार जाते समय तेज़ रफ़्तार ट्रक ने भयंकर टक्कर मार दी। हादसे में गंभीर रूप से घायल शफीक साहब को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने आज दिनांक 27 अक्टूबर 2025, दिन सोमवार, शाम तकरीबन 7 बजे के आसपास, लगभग 65 वर्ष की उम्र में क़ज़ा-ए-इलाही से इंतकाल फरमा लिया। मरहूम अपने पीछे अपनी अहलिया हुस्नों बी सहित 3 लड़के जनाब शकील साहब, जनाब समीर साहब, जनाब अकील साहब सहित पूरा कुनबा, खानदान और रिश्तेदारों सहित तमाम अजीज - ओ - क़रीब को रोता बिलखता छोड़कर इस फ़ानी दुनियां से हमेशा हमेशा के लिए विदा हो गए 

अल्लाह तआला मरहूम को जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील अता करे — आमीन।

खबरनवीसों के मुताबिक़, जनाजे की नमाज़ और दफीना कल दिन मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को क़स्बा सरधना, जिला मेरठ (उत्तर प्रदेश) में अदा किया जाएगा।
दफीने के वक़्त की सही जानकारी इंशाअल्लाह कल तक अपडेट कर दी जाएगी।

📞 राप्ता हेतु: जनाब मिर्ज़ा इस्माईल साहबमोबाइल नंबर: 7983626951


📢 एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने के लिये अहम् हिदायतें

अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी की वजह से लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें —

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम और वल्दियत / शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता (कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे)।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम का फोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाकी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह।

इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल बनेगी और बिरादरी के लोगों तक सही-सही जानकारी पहुँच सकेगी।


✍️ “मुल्तानी समाज” की विशेष रिपोर्ट

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित,
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित
देश की एकमात्र राष्ट्रीय समाचार पत्रिका —
"मुल्तानी समाज" के लिए
📜 पत्रकार ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

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Friday, October 24, 2025

"आख़िर ‘मिर्ज़ा’ कौन हैं? — वो सच्चाई जो सदियों से लोगों की नज़रों से ओझल रही!"

✍️ विशेष लेख: अली हसन मुल्तानी

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका — ‘मुल्तानी समाज’ के लिए विशेष आलेख।


कभी मुग़ल दरबारों की शोभा रही “मिर्ज़ा” उपाधि आज भी लोगों के नामों में चमकती है — मगर क्या आपने कभी सोचा है कि ये “मिर्ज़ा” आखिर है कौन? क्या ये किसी एक बिरादरी या नस्ल की निशानी है? या फिर ये एक उपाधि थी जो बादशाहों से लेकर शायरों, और सैनिकों से लेकर आम इंसान तक को दी जाती थी?

सवाल बड़ा है, जवाब और भी दिलचस्प।


🏰 मिर्ज़ा की हकीकत — एक उपाधि, न कि कोई जाति!

“मिर्ज़ा” शब्द फ़ारसी मूल का है — ‘अमीरज़ादा’ यानी “राजकुमार” या “राजवंश का पुत्र”
मुग़ल साम्राज्य में यह उपाधि उच्च कुलों, राजपरिवारों या योग्य अधिकारियों को दी जाती थी।
यह किसी एक जाति, बिरादरी या समुदाय तक सीमित नहीं थी।

आप खुद देखिए —

  • मिर्ज़ा जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर – मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक, तैमूर वंशज।
  • मिर्ज़ा नसीरुद्दीन बेग़ मुहम्मद खान हुमायूं – बाबर का बेटा, दूसरा बादशाह।
  • मिर्ज़ा मुहम्मद हकीम – अकबर का सौतेला भाई, काबुल का शासक।
  • शहरयार मिर्ज़ा – जहांगीर का छोटा बेटा।
  • मिर्ज़ा मुग़ल जहीरुद्दीन – बहादुर शाह ज़फ़र का बेटा, 1857 के विद्रोह का वीर सेनानी।
  • मिर्ज़ा अज़ीम-उश-शान – बहादुर शाह ज़फ़र का बड़ा बेटा।
  • मिर्ज़ा खुजिस्ता अख़्तर जहां शाह – बहादुर शाह प्रथम का पुत्र।
  • वाजिद अली शाह मिर्ज़ा – अवध के 11वें और अंतिम नवाब।
  • मिर्ज़ा मुहम्मद सिराजुद्दौला – बंगाल के अंतिम नवाब।
  • मिर्ज़ा नजफ़ ख़ान बलूच – मुग़ल साम्राज्य का मशहूर सेनापति।
  • मिर्ज़ा ग़ालिब और दाग़ देहलवी – उर्दू अदब के बेताज बादशाह।
  • और आज की दुनिया में सानिया मिर्ज़ा – भारत का गौरव, विश्व की मशहूर टेनिस खिलाड़ी।

अब सोचिए, ये सब एक ही बिरादरी के कैसे हो सकते हैं?
इनमें बादशाह भी हैं, नवाब भी, शायर भी और खिलाड़ी भी।


🧩 सवाल उठता है — जब इतने अलग-अलग लोग ‘मिर्ज़ा’ हैं, तो फिर ये किसी एक बिरादरी की निशानी कैसे?

दरअसल, “मिर्ज़ा” किसी वंशगत जाति का नाम नहीं बल्कि एक सम्मानजनक उपाधि थी।
यह मुग़ल काल में उस व्यक्ति को दी जाती थी जो राजदरबार, सेना, या शासन व्यवस्था में विशेष योग्यता या राजकुल से नाता रखता हो।
समय के साथ यह उपाधि नामों में जुड़ती चली गई — और लोग इसे वंशानुगत नाम की तरह इस्तेमाल करने लगे।


🛠️ तो क्या मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी का “मिर्ज़ा” उपाधि से कोई संबंध है?

स्पष्ट रूप से — नहीं।
मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी का इतिहास मेहनत, हुनर और कारीगरी से जुड़ा है।
यह बिरादरी अपने लोहे, लकड़ी और इंजीनियरिंग कौशल के लिए जानी जाती रही है, न कि दरबारी उपाधियों के लिए।
इनका संबंध “मिर्ज़ा” उपाधि से कभी नहीं रहा — न वंशानुगत रूप में, न सामाजिक स्तर पर, न वैवाहिक रिश्तों में।


⚖️ निष्कर्ष: सच्चाई जानिए, भ्रम नहीं फैलाइए!

“मिर्ज़ा” कोई जाति नहीं, बल्कि सम्मानसूचक उपाधि है —
जो विभिन्न वर्गों, धर्मों और समुदायों के लोगों को उनकी स्थिति या योग्यता के आधार पर दी जाती थी।
इसका मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी से कोई सीधा रिश्ता नहीं है।

इसलिए, आज जब हम अपने समाज की पहचान की बात करते हैं —
तो हमें इतिहास के इन पन्नों को सही नज़र से पढ़ना होगा,
ताकि हमारी बिरादरी की असली पहचान — मेहनत, कारीगरी और ईमानदारी — खो न जाए।


📜 (Disclaimer)

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Thursday, October 23, 2025

“हम हैं मुल्तानी — सऊदी की सरज़मीं से निकले, हिंदोस्तान की मिट्टी में रचे-बसे तबलीगी लोहार-बढ़ई!”

लेखक – अलीहसन मुल्तानी

(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए लिखा गया विशेष लेख)


“इतिहास वो आईना है जिसमें अपने अतीत की झलक देख कर हम अपने भविष्य की राह पहचानते हैं।”

मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी का इतिहास कोई मामूली दास्तान नहीं, बल्कि वो सुनहरी कहानी है जो सऊदी अरब की रेतों से उठकर हिंदुस्तान की मिट्टी में अमन, मेहनत और तबलीग की ख़ुशबू फैलाती चली आई।

हमारे बुज़ुर्ग उस दौर के लोग थे जब न माल था, न मकान — मगर ईमान और तबलीग की लगन का ख़ज़ाना उनके पास था। वो बाबा क़ासिम साहब की सरपरस्ती में सऊदी अरब से निकले — न सत्ता के लिये, न शोहरत के लिये, बल्कि इस्लाम की तबलीग और इंसानियत की भलाई के लिये।


🌍 मुल्क से मुल्तान तक – तबलीग का सफ़र

जब हमारे बुजुर्ग हिंदोस्तान पहुँचे, तब ये सरज़मीं मूर्तिपूजा, सती प्रथा, दहेज, सूदखोरी, और नशाखोरी जैसी बुराइयों में जकड़ी हुई थी। राजे-रजवाड़ों की आपसी लड़ाइयों ने अमन की चूलें हिला रखी थीं।

मगर इन हालात में मुल्तान से निकली तबलीगी जमात ने जो किरदार निभाया, वो इतिहास में मिसाल बन गया।
उन्होंने तलवारों से नहीं, इल्म और अख़लाक से फतह हासिल की।
जिन जगहों पर नफ़रत की आग थी, वहाँ अमन के दीये जलाये।

धीरे-धीरे जब तबलीगी काम के साथ रोज़ी-रोटी की ज़रूरत बढ़ी, तो हमारे बुज़ुर्गों ने मेहनत-मज़दूरी को अपनाया। लकड़ी और लोहे के काम में ऐसी ईमानदारी और हुनर दिखाया कि गैर-मुस्लिम कबीलों ने भी उन पर भरोसा किया — और यही भरोसा इस्लाम की सबसे बड़ी तबलीग साबित हुआ।


🕌 मुल्तान – हमारी पहचान की जड़

मुल्तान उस वक्त हिंदोस्तान का बड़ा और इज़्ज़तदार शहर था। जब हमारे बुज़ुर्गों ने वहीं क़याम किया, तो “मुल्तानी” लक़ब हमारे साथ जुड़ गया।
बाद में केरला में ठहरे हुए तबलीगी भाइयों ने तालीम और व्यापार को आगे बढ़ाया, जबकि मुल्तान वाले दस्तकारी और तबलीग में मशगूल रहे।

हिंदोस्तान की ज़मीन पर हमारे लोहार-बढ़ई बुज़ुर्गों के हाथों से इस मुल्क ने तरक्की की इमारतें खड़ी कीं।
वो अपने काम में इतने माहिर थे कि कहा जाने लगा –

“जहाँ मुल्तानी लोहार हैं, वहाँ लोहा भी झुक जाता है।”


🪓 हमारे हुनर ने मुल्क को ‘सोने की चिड़िया’ बनाया

हिंदोस्तान की बढ़ती ताक़त में मुल्तानी दस्तकारों का योगदान वो सुनहरी सच्चाई है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
लोहे को मोड़ना हो या लकड़ी को तराशना –
हर ठोंकाई में सच्चाई, हर कटाई में खुदाई का नाम था।

हमारे बुज़ुर्गों ने साबित किया कि रोज़ी मेहनत से मिलती है, और इज़्ज़त ईमान से।


👑 ‘मिर्जा’ नाम और हमारी असलियत

आजकल कुछ लोग “मिर्जा” नाम के साथ अपनी पहचान जोड़ने की कोशिश करते हैं।
मगर सच्चाई ये है कि —
“मिर्जा” कोई बिरादरी नहीं, बल्कि सिर्फ़ एक लक़ब (टाइटल) है,
जो राजाओं, नवाबों और जमींदारों के बेटों द्वारा शोहरत के लिये नाम के साथ लगाया जाता था।

हमारे मुल्तानी लोहार-बढ़ई का न तो मिर्जाओं से कोई पुराना नाता था, न नया ताल्लुक है।
हमारी बिरादरी की असल शान मेहनत, इमानदारी और दस्तकारी में रही है — न कि किसी झूठे सरनेम में।

“हम लोहे को आग में गढ़ते हैं, और अपनी नस्ल को सच्चाई में।”

इसलिए मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को चाहिये कि वो अपने नाम और काम पर फख्र करे —
क्योंकि हमारी पहचान सरनेम से नहीं, सदियों की सेवा और सच्चाई से है।


🧱 हम कौन हैं — और किस राह के मुसाफ़िर हैं

हम वो लोग हैं जो सऊदी अरब की तबलीगी सरज़मीं से निकले,
मुल्तान को मर्कज़ बनाया,
और फिर पूरे हिंदोस्तान में अमन, इल्म और दस्तकारी की मशाल फैलाई।

हमारे क़बीले अलग-अलग हुनरों से पहचाने गए —

  • रंगरेज़ मुल्तानी लीलागर कहलाए,
  • कुम्हार मुल्तानी मिट्टी के फ़न में माहिर हुए,
  • सुनार मुल्तानी ने सोने को जन्नत बना दिया,
  • क़ाज़ी मुल्तानी ने इल्म और इंसाफ़ को जिंदा रखा,
  • और लोहार-बढ़ई मुल्तानी ने मेहनत को ईबादत बना दिया।

🌿 अख़लाक और तहज़ीब की विरासत

हमारी बिरादरी की पहचान सिर्फ़ काम से नहीं, बल्कि तहज़ीब, अदब और अख़लाक से है।
आज ज़रूरत है कि हम फिर वही रौशनी अपने बच्चों में जगाएँ —
तालीम, तबलीग और तहज़ीब की वो तीन तमीज़ें, जिनसे मुल्तानी समाज पहचान रखता आया है।


🕊️ नतीजा

हम मुल्तानी हैं – तबलीग के मुसाफ़िर, दस्तकारी के उस्ताद और अमन के परवाने।
हमारी नस्ल की पहचान किसी मिर्जा के लक़ब में नहीं,
बल्कि उन हाथों में है जो लकड़ी और लोहे को आकार देकर ज़िंदगी को आसान बनाते हैं।

“हमारा अतीत मज़हबी भी है, मज़दूरी भी;
हमारी कहानी तबलीग की भी है, तरक़्क़ी की भी।”


लेखक: अलीहसन मुल्तानी
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"बलटाना, चंडीगढ़ से तशरीफ़ लाए मोहम्मद यासीन साहब — आसान निकाह पर हुई अहम और मोहब्बत भरी चर्चा"

 रिपोर्ट (ज़मीर आलम की कलम से)

सहारनपुर।
आज शहर में मुल्तानी लोहार बिरादरी के बीच एक खास और पाक मौक़ा रहा, जब बलटाना (चंडीगढ़, पंजाब) से तशरीफ़ लाए जनाब मोहम्मद यासीन साहब से बिरादरी के अज़ीज़ शख्सियतों की गर्मजोशी भरी मुलाक़ात हुई। इस मौके पर सदर हाजी क़ासिम साहब, जनाब हाजी आदिल साहब और जनाब मोहम्मद कामिल साहब मौजूद रहे।

बैठक का केंद्र बिंदु रहा — आसान निकाह का मुद्दा, जिस पर तमाम हज़रतों ने दिल से बात रखी और समाज में सादगी और रहमत वाले निकाह को बढ़ावा देने का इरादा दोहराया। जनाब मोहम्मद यासीन साहब ने इस नेक मुहिम में “रियल मुल्तानी लोहार बिरादरी” के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का वादा किया।

इस अवसर पर जनाब हाजी तौकीर साहब से भी फोन पर बातचीत हुई। उन्होंने शहर से बाहर होने के बावजूद अपने विचार साझा किए और इस मुहिम को एक सामाजिक इंक़लाब की दिशा में अहम कदम बताया।

“आसान निकाह” न सिर्फ एक रिवायत की सादगी का पैग़ाम है, बल्कि समाज में बराबरी, रहमदिली और इंसानियत की नई रोशनी फैलाने की कोशिश भी है।


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✨“मुल्तानी समाज ने किया सलाम उस वर्दी को — जब सिराजुद्दीन बने सहारनपुर पुलिस की ईमानदारी का चेहरा”✨

(ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट, मुल्तानी समाज न्यूज़, सहारनपुर से)


सहारनपुर की सुबह आज कुछ खास थी। थाना मणडी का माहौल सामान्य दिनों से बिल्कुल अलग था। यहां न तो किसी अपराध की चर्चा थी और न ही कोई गिरफ्तारी का शोर — बल्कि हवा में सम्मान और अपनत्व की ख़ुशबू घुली थी। वजह थी — थाना मणडी के अतिरिक्त प्रभारी, उपनिरीक्षक सिराजुद्दीन, जिनका नाम आज पूरे जिले में ईमानदारी और जज़्बे की मिसाल बन चुका है।

आज उन्हें युवा मुल्तानी लोहार बिरादरी के प्रतिनिधियों ने सम्मानित किया — एक ऐसा सम्मान जो सिर्फ एक अफसर को नहीं, बल्कि उस वर्दी के वफ़ादार फर्ज़ को सलाम था, जिसने अपराधियों के हौसले तोड़ दिए और जनता के दिलों में भरोसा जगा दिया।


🏅 “बुके से बढ़कर मिला समाज का विश्वास”

थाना मणडी में हुए इस छोटे लेकिन भावनात्मक सम्मान समारोह में जब सिराजुद्दीन को बुके भेंट किया गया, तो वह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी — वह जनता की ओर से एक सच्चा सलाम था।

इस अवसर पर मुल्तानी लोहार बिरादरी के कई सम्मानित नागरिक उपस्थित रहे जिनमें मोहम्मद असलम मिर्जा, मोहम्मद अरशद मिर्जा, मोहम्मद चांद मिर्जा, मोहम्मद आक़िल मिर्जा, मोहम्मद ज़ुल्फ़ान मिर्जा, मोहम्मद रिहान मिर्जा सहित वरिष्ठ समाजसेवी अमित शर्मा प्रमुख रूप से शामिल रहे।

सभी ने एक स्वर में कहा —

“सिराजुद्दीन जैसे अफसर समाज के लिए प्रेरणा हैं। वर्दी में ईमानदारी और इंसानियत का मेल देखना गर्व की बात है।”


⚖️ “जहां कानून का डर है, वहीं जनता का भरोसा भी”

सिराजुद्दीन की पहचान जिले में एक सख्त, निष्पक्ष और कर्मठ पुलिस अधिकारी के रूप में होती है। अपराध और अपराधियों के प्रति उनका दृष्टिकोण स्पष्ट है — “जीरो टॉलरेंस।”

मणडी क्षेत्र में तैनाती के दौरान उन्होंने कई संगीन मामलों को न सिर्फ सुलझाया बल्कि अपराधियों पर ऐसी कार्रवाई की जिससे क्षेत्र का माहौल पूरी तरह बदल गया।
उनकी मुस्तैदी के कारण अपराधियों के हौसले पस्त हुए और जनता ने पुलिस पर भरोसा करना शुरू किया।

एक बुज़ुर्ग नागरिक की जुबान पर बस एक ही वाक्य था —

“अब मणडी में अपराधी नहीं, सिराज साहब का डर चलता है।”


💫 “वर्दी के भीतर धड़कता इंसान”

सिराजुद्दीन केवल एक पुलिस अफसर नहीं, बल्कि एक संवेदनशील इंसान भी हैं।
वे गरीबों की मदद करते हैं, बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते हैं और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हमेशा सजग रहते हैं।

अमित शर्मा ने कहा —

“सिराजुद्दीन जैसे अधिकारी पुलिस और जनता के बीच की दूरी मिटाते हैं। वे इस रिश्ते को सम्मान और भरोसे की डोर से जोड़ते हैं।”


🔥 “सख्त लेकिन न्यायप्रिय”

उनकी कार्यशैली अनुशासन और संवेदना का अनोखा मिश्रण है। अपराधियों के खिलाफ सख्ती दिखाने वाले सिराजुद्दीन, जनता के प्रति दयालु और सुलभ हैं।

उन्होंने समारोह में कहा —

“यह सम्मान मुझे और भी जिम्मेदारी के साथ काम करने की प्रेरणा देगा। वर्दी सिर्फ अधिकार का नहीं, सेवा और त्याग का प्रतीक है।”

इस कथन ने पूरे वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा भर दी।


🌟 “जनता की सलामी, पुलिस की जीत”

आज थाना मणडी में यह साबित हो गया कि जब पुलिस ईमानदारी से काम करे, तो जनता उसे सिर्फ अधिकारी नहीं, बल्कि अपना रक्षक मानती है।
कार्यक्रम के अंत में सभी लोगों ने सिराजुद्दीन के साथ समूह फोटो खिंचवाया — और यह तस्वीर उस विश्वास की कहानी कह गई जो जनता और पुलिस के बीच मजबूत होता जा रहा है।


🙏 “सिराजुद्दीन — वो नाम जो भरोसे का प्रतीक बन गया”

सम्मान ग्रहण करते हुए सिराजुद्दीन ने कहा —

“मेरा लक्ष्य अपराध को जड़ से मिटाना और हर नागरिक को सुरक्षा का एहसास कराना है। जनता का भरोसा ही पुलिस की सबसे बड़ी जीत है।”

उनकी यह पंक्ति हर उस पुलिसकर्मी के दिल में गूंजती रही जो अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभा रहा है।


✍️ निष्कर्ष:

आज का दिन न सिर्फ थाना मणडी के लिए, बल्कि पूरे सहारनपुर के लिए गौरव का क्षण रहा।
जहां जनता ने एक सच्चे प्रहरी को सम्मान दिया, वहीं पुलिस प्रशासन ने यह संदेश पाया कि ईमानदारी और इंसाफ की राह पर चलने वाला अफसर कभी अकेला नहीं होता — उसके साथ पूरा समाज खड़ा रहता है।


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🖋️ ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट
📍सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)
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Wednesday, October 22, 2025

🌙 ग़मगीन खबर — बिरादरी में गहरा सन्नाटा 🌙"मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका की खास रिपोर्ट

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन —

निहायत ही दुःख और अफ़सोस के साथ यह इत्तला दी जाती है कि मोहम्मद शकील वल्द जनाब शमशुद्दीन साहब (मूल निवासी — गांव बिराल, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश) हाल मुक़ीम ईदगाह कॉलोनी, सोनीपत (हरियाणा) का इंतकाल बीती रात दिन जुमेरात, 23 अक्टूबर 2025 को तक़रीबन रात 3 बजे क़ज़ा-ए-इलाही से हो गया।
मरहूम की उम्र लगभग 39 वर्ष थी और वह पिछले कुछ अरसे से किडनी की बीमारी में मुबतला थे।

मरहूम अपने पीछे वालिदैन, भाई, बहन, अहलिया, दो बेटे और एक बेटी सहित पूरा कुनबा, खानदान और तमाम अज़ीज़-ओ-अक़ारिब को रोता-बिलखता छोड़कर इस फ़ानी दुनिया से हमेशा के लिए रहमत-ए-ख़ुदा की आगोश में चले गए।

मरहूम का जनाज़ा नमाज़-ए-जुहर के बाद सोनीपत में ही अदा किया जाएगा और वहीं सुपुर्दे-ख़ाक किया जाएगा।
तमाम अहबाब और बिरादराने इस्लाम से दरख़्वास्त है कि जनाज़े में शिरकत फ़रमाकर सवाबे दारेन हासिल करें और मरहूम की मग़फिरत की दुआ करें।

اللّٰھم اغفرله و ارحمہ و عافہ و اعف عنہ
(ऐ अल्लाह! मरहूम को माफ़ फ़रमा, रहमत नाज़िल कर और उनके दर्जात बुलंद फ़रमा — आमीन)

नोट: मय्यत से संबंधित मालूमात के लिए जनाब नौशाद साहब (बिराल वाले) से मोबाइल नंबर 9027210585 पर राब्ता क़ायम किया जा सकता है।


🕊️ एक ज़रूरी ऐलान

अक्सर देखा गया है कि इंतकाल की खबरें अधूरी या देर से पहुंचने की वजह से बहुत से लोग जनाज़े में शिरकत नहीं कर पाते। इस कमी को दूर करने के लिए "मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख़याल रखें —

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शौहर का नाम
2️⃣ स्थायी पता व हाल मुक़ाम
3️⃣ जनाज़े का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स का एक-दो नंबर
5️⃣ मर्द के इंतकाल की सूरत में मरहूम की तस्वीर (यदि मुनासिब हो)
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना ठीक समझें)
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम — भाई, बहन, औलाद, वालिदैन आदि

इन तमाम मालूमात से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी तक सही जानकारी आसानी से पहुंच सकेगी।


📜 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका
“मुल्तानी समाज” के लिए
ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट

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🌹 بسم اللہ الرحمن الرحیم 🌹अन्नीकाहू मिन सुन्नती – बिरादराने अहले मुल्तानी



اسلام علیکم ورحمت اللہ وبرکاتہ

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

बहुत ही खुशी के साथ यह तहरीर है कि

💐🌹अल्लाह के फज़लो करम से और हमारे आका मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहू अलैहि वसल्लम के सदका ए तुफैल से🌹💐

🌹 हमारे भाई हाजी उस्मान गनी मक्कड़ इमलीवाले 🌹 की पोतियों की शादी हस्बे जेल प्रोग्राम के मुताबिक तय की गई है!

🌹 इंशाअल्लाह 🌹

लख्ते जिगर:

🌹 नाजिया नूर 🌹
बिन्ते अब्दुल हकीम मक्कड़ इमलीवाले पारोली
💐 हमराह 💐
🌹 नेक फरजंद 🌹
अबरार हुसैन
इब्ने जनाब अहमद हुसैन साहब पूवांर, उदयपुर

🌹 लख्ते जिगर 🌹
🌹 अलसबा नूर 🌹
बिन्ते अब्दुल हकीम मक्कड़ इमलीवाले पारोली
💐 हमराह 💐
🌹 अब्दुल्ला 🌹
नेक फरजंद जनाब अब्दुल कदीर साहब मक्कड़ (भीचोर वाले) बीगोद

🌹🌹🌹

कार्यक्रम (इंशाअल्लाह):

  • 24 जमाद अल अव्वल 1447 हिजरी / 16 नवम्बर 2025 बरोज इतवार – दरमियान असर मगरिबनिकाह
  • 25 जमाद अल अव्वल 1447 हिजरी / 16 नवम्बर 2025 बरोज इतवारमगरिब बाददावत ए तआम

अद्दाईयान:

हाजी मोहम्मद इब्राहिम, हाजी अब्दुल रज्जाक, हाजी अब्दुल अजीज, हाजी उस्मान गनी, हाजी उस्मान उर्फ़ (बाबू), हाजी अब्दुर्रहमान, हाजी अब्दुल हमीद, अब्दुल गफूर, हाजी अब्दुर्रहमान, हाजी मोहम्मद इब्राहिम, हाफिज मोहम्मद सिद्दीक, अब्दुल कय्यूम, मोहम्मद युनुस, हाजी मोहम्मद जमालुद्दीन, हाजी मोहम्मद कमालुद्दीन, अब्दुल हकीम, अलारख हुसैन, मोहम्मद उमर, हाजी मोहम्मद सद्दीक, मोहम्मद हनीफ, मुबारिक हुसैन, मोहम्मद शरीफ, हाजी मोहम्मद हनीफ, मोहम्मद शफीक, हाजी मोहम्मद आरिफ, हाजी मोहम्मद इरफान, मोहम्मद आसिफ

💐 अलमुकल्लेफिन 💐

हाजी मोहम्मद हनीफ उर्फ़ (बाबू), मोहम्मद अय्यूब, मोहम्मद याकूब, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद उमर, अब्दुल हकीम, अब्दुल हकीम, मोहम्मद सलीम, अब्दुल गफ्फार, मोहम्मद शकील, अब्दुल कदीर, अब्दुल रसीद, मोहम्मद नूर, मोहम्मद रईस, अब्दुल गफ्फार, मोहम्मद सद्दीक, मोहम्मद फारूक, अब्दुल गनी, मोहम्मद जफर, अब्दुल रसीद, अब्दुल समद, मोहम्मद इलयास, मोहम्मद उस्मान, अब्दुल वहीद, अब्दुल जब्बार, उस्मान गनी, वाहिद नूर, मोहम्मद बिलाल, अहमद नूर

🌹 चश्मे बराह 🌹

मोहम्मद शोएब, मोहम्मद रिहान, मोहम्मद आमान, मोहम्मद अदनान, मोहम्मद असद रजा, मोहम्मद ओवेस रजा, मोहम्मद हसनैन रजा, मोहम्मद कोनेन रजा, व अहले मक्कड़ खानदान पारोली

नन्ही गुजारिश:

मेरी भतीजी और पोतियों की शादी में जरूर शिरकत फरमाएँ, ताकि दूल्हा-दुल्हन को अपनी नेक दुआओं और आशीर्वाद मिल सके:
इरम फातेमा, अशरा नूर, अक्सा नूर, अशफिया नूर, अर्शिदा फातेमा, उम्में कुलसुम, अदीबा नूर, अलीशा नूर, अलीज फातेमा

पता:

लोहार मोहल्ला, पारोली, तहसील कोटड़ी, जिला भीलवाड़ा, राजस्थान

फर्म:

🌴 इमलीवाला एंड ब्रदर्स पारोली
🌴 इमलीवाला एंड संस पारोली
🌴 गरीब नवाज इंजीनियरिंग वर्क्स पारोली
🌴 इमलीवाला एग्रिको पारोली
🌴 अक्शा आयरन पंडेर

संपर्क नंबर:

  • हाजी उस्मान गनी – 9664172429
  • हाजी मोहम्मद इब्राहिम – 9799160848
  • हाजी मोहम्मद जमालुद्दीन – 9414175959
  • हाजी मोहम्मद कमालुद्दीन – 9929581990
  • हाजी मोहम्मद हनीफ – 9460201490
  • अब्दुल हकीम – 9828317290
  • अब्दुल रसीद – 6376364806

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट।

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Tuesday, October 21, 2025

🌙 रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी में नई जान — बिरादरी के मशवरे ने एकता और खिदमत का नया पैग़ाम दिया

सहारनपुर। अल्लाह के फ़ज़ल और रहमत के साथ दिनांक 20 अक्टूबर 2025, दिन इतवार को मुल्तानी बिरादरी के ज़िम्मेदार साथियों की एक अहम और मुबारक बैठक हाजी तौकीर साहब के घर पर सहारनपुर में मुनक्कद हुई। इस ख़ास मुलाक़ात में मुल्तानी बिरादरी की एकता, तरक्की और खिदमत के मौज़ू पर तफ्सील से मशवरा हुआ।

इस मौके पर जनाब मोहम्मद असलम साहब, मोहम्मद फारूक साहब (मुल्तानी गाज़ियाबाद), मोहम्मद शाहनवाज़ मिर्जा (सरधना), मोहम्मद अफज़ल (खुशावली वाले, खतौली) और डॉ. शाजिया नाज़ एडवोकेट (देवबंद) तशरीफ़ लाए। वहीं मेज़बानी के फ़राइज़ अंजाम दिए हाजी तौकीर अहमद साहब ने, और उनकी सरपरस्ती के साथ हाजी कासिम साहब ने भी बैठक में अहम किरदार निभाया।

इस मौके पर मिर्जा मोहम्मद नसीम साहब (राजपुरा, पंजाब), हाजी मोहम्मद आरिफ साहब, और मोहम्मद अफज़ल (मुगल होटल वाले, सहारनपुर) भी हाज़िर रहे।
मशवरे के दौरान जनाब शाहनवाज़ मिर्जा ने अपनी पूरी टीम की राय से “रियल मुल्तानी लोहार वेलफेयर सोसाइटी” के बैनर तले खिदमत जारी रखने की सहमति दी।
इस नेक इरादे का खैरमकदम करते हुए हाजी नसीम साहब, नौशाद साहब, और जमीरउद्दीन साहब (खतौली) ने भी अपनी पुरज़ोर हामी भरी।
इसी तरह हाजी ताहिर साहब (मुजफ्फरनगर) ने भी अपनी टीम को रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी के साथ जोड़ने का ऐलान किया।

जो साथी किसी वजह से मौके पर शरीक नहीं हो सके — जनाब जमील अहमद साहब, मोबीन अहमद साहब, शानू मिर्जा साहब, रईस-ए-आज़म साहब (खतौली), वसीम साहब (देवबंद) और कामिल साहब (खतौली) — उन्होंने वीडियो कॉलिंग के ज़रिए अपने कीमती मशवरे से महफ़िल को रोशन किया।

मशवरे के दौरान माहौल पूरी तरह खुशनुमा, भाईचारे से लबरेज़ और अल्लाह की रहमतों से मुअत्तर रहा।
इस ऐतिहासिक फैसले के साथ रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी के परिवार में एक बड़ा इज़ाफ़ा हुआ है, जिसने मुल्तानी बिरादरी में नई रूह फूंक दी है।

जैसे ही यह खबर इलाके में पहुँची, बिरादरानों में खुशी की लहर दौड़ गई
एक-दूसरे को गले लगाकर मुबारकबाद दी गई और हाजी मोहम्मद आरिफ साहब ने दुआ की कि —

“अल्लाह हमें एकजुट होकर खिदमते-खल्क करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए, और हमारी बिरादरी को तरक्की, इत्तेहाद और मोहब्बत की राह पर कायम रखे।”

दुआओं और मुहब्बत के इस खुशनुमा माहौल में मशवरा मुकम्मल हुआ।
यह दिन मुल्तानी बिरादरी की एकता और बेहतरीन मुआशरती मिसाल के तौर पर याद रखा जाएगा।

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💞 जब मोहब्बत इम्तिहान से गुज़री — “उमर और ज़ैनब” की दास्तान जिसने इंसानियत और वफ़ा को नया मतलब दिया 💞

✍️ ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट
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💠 जब मोहब्बत ने तकलीफ़ों से टकराने की ठान ली

कहते हैं कि मोहब्बत जब सच्ची होती है, तो वह मुश्किलों से डरती नहीं, बल्कि उन्हें मात देती है।
ऐसी ही एक मोहब्बत की दास्तान है “उमर और ज़ैनब” की — दो मासूम दिलों की कहानी, जिसने दुनिया को यह यकीन दिलाया कि वफ़ा आज भी ज़िंदा है

साल 2011 में पाकिस्तान के लाहौर की पंजाब यूनिवर्सिटी में दो नौजवान छात्र-छात्रा, उमर और ज़ैनब, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दाखिल हुए।
एक ही क्लास, एक जैसे ख्वाब, और धीरे-धीरे दोनों के दिलों में पनपी वो मासूम मोहब्बत, जो वक्त के साथ मुकम्मल रिश्ता बनने जा रही थी।


💍 मोहब्बत ने जब निकाह का वादा किया

सालों की दोस्ती और अपनापन आखिरकार रिश्ते में बदलने जा रहा था।
दोनों परिवारों की सहमति से 10 अगस्त 2018 की तारीख निकाह के लिए तय हुई।
हर तरफ खुशियां थीं, तैयारियां चल रही थीं, और दोनों अपने नए जीवन के ख्वाब देख रहे थे।
मगर किसे पता था कि ज़िंदगी एक ऐसा मोड़ लेने वाली है, जो हर दिल को हिला देगा।


💔 खुशियों के बीच आई वह तकलीफ़

निकाह से सिर्फ 10 दिन पहले, ज़ैनब को अचानक तबियत में तकलीफ महसूस हुई।
डॉक्टरों से जांच करवाई गई, तो रिपोर्ट देखकर सबके होश उड़ गए —
ज़ैनब को कैंसर था, और वो भी आखिरी स्टेज पर

घर में सन्नाटा पसर गया। रिश्तेदारों ने कहा, “शादी रोक दो, इलाज पर ध्यान दो।”
लेकिन उमर ने वह फैसला लिया, जो किसी आम इंसान के बस की बात नहीं थी।
उसने कहा —

“मैं उससे मोहब्बत करता हूं, उसकी बीमारी से नहीं डरता। मैं उससे निकाह करूंगा और उसे ज़िंदगी दूंगा।”


🌹 निकाह, इलाज और सात करोड़ की जंग

10 अगस्त के दिन, उमर ने शरिया के मुताबिक ज़ैनब से निकाह किया।
निकाह के कुछ ही दिन बाद दोनों इलाज के लिए चीन रवाना हुए।
इलाज इतना महंगा था कि करीब सात करोड़ रुपये की ज़रूरत पड़ी।

उमर ने अपनी मोहब्बत का वास्ता देकर हर दरवाज़ा खटखटाया —

  • उसके भाइयों ने अपना विदेशी कारोबार बेच दिया,
  • मां ने अपने सारे गहने बेच डाले,
  • ज़ैनब के मां-बाप ने भी सब कुछ लगा दिया,
  • और पूरे पाकिस्तान के नेकदिल लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया।

यह सिर्फ एक इलाज नहीं था — यह इंसानियत, मोहब्बत और वफ़ा की जंग थी।


🌺 जब मोहब्बत ने मौत को हराया

कई महीनों के संघर्ष, इलाज और प्रार्थनाओं के बाद आखिरकार वह दिन आया,
जब डॉक्टरों ने कहा —
“ज़ैनब अब कैंसर से बाहर है।”

अब बस दो साल तक दवाइयां जारी रहेंगी।
उमर के चेहरे पर तसल्ली थी, ज़ैनब की आंखों में शुक्र था,
और दुनिया ने एक मिसाल देखी — वो मोहब्बत जो ज़िंदगी से भी ज़्यादा सच्ची निकली।


💬 ज़िंदगी का सबक

इस दास्तान से दो बातें साफ होती हैं —

  1. बीमारी और तकलीफ में साथ देना ही असली मोहब्बत है।
  2. वादा निभाने वाला इंसान ही सच्चा आशिक़ होता है।

आज जहां बहुत से लोग मामूली वजहों से रिश्ते तोड़ देते हैं,
वहीं उमर ने दुनिया को दिखा दिया कि वफ़ा आज भी इंसानियत की सबसे खूबसूरत पहचान है।


💞 आखिर में...

ज़ैनब वाक़ई खुशक़िस्मत है, जिसे उमर जैसा पति मिला।
और उमर, वो नाम है जो आने वाली नस्लों के लिए एक मिसाल बन चुका है।
जब भी मोहब्बत की दास्तानें लिखी जाएंगी —
उमर और ज़ैनब का नाम ज़रूर लिया जाएगा। ❤️


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Monday, October 20, 2025

🌙 इत्तेहाद-ए-ग़म — एक प्यारे इंसान का बिछड़ जाना 🌙

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन

निहायत ही दुःख और अफ़सोस के साथ तमाम बिरादराने इस्लाम को यह इत्तला दी जाती है कि हमारे अज़ीज़, खुश-मिज़ाज, मिलनसार और मेहमाननवाज़ शख़्सियत जनाब जमील अहमद साहब वल्द सैदुद्दीन साहब, मुकीम गांव कल्याणपुर, तहसील बुढ़ाना, जिला मुज़फ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) का आज दिन मंगल, 21 अक्टूबर 2025 की सुबह कज़ा-ए-इलाही से इंतेकाल हो गया है।

मरहूम अपनी ज़िंदगी में नेक अख़लाक़, दीनी सोच और इंसानियत के पैरोकार थे। अल्लाह तआला मरहूम की मग़फ़िरत फरमाए, उनके दर्जात बुलंद करे, उन्हें जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील से नवाज़े।
आमीन या रब्बुल आलमीन।

मरहूम की नमाज़-ए-जनाज़ा आज नमाज़-ए-जुहर के बाद 1:30 बजे, कल्याणपुर में अदा की जाएगी, और वहीं पर तदफ़ीन अमल में आएगी।

आप तमाम हजरात से गुज़ारिश है कि मरहूम के लिए दुआ-ए-मग़फ़िरत करें और उनके घरवालों से हमदर्दी का इज़हार करें।


🕋 ज़रूरी ऐलान — इंतेकाल की खबर भेजने के लिये अहम् हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी होने की वजह से लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए "मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से दरख़्वास्त करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें —

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शोहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता – कहाँ के रहने वाले थे और फिलहाल कहाँ रह रहे थे।
3️⃣ तदफ़ीन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार अफ़राद (1-2) के मोबाइल नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम का फोटो भी ज़रूर भेजें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे माँ-बाप, भाई, बहन, औलाद वग़ैरह।

इन तमाम मालूमात से खबर मुकम्मल और सही बनेगी, ताकि बिरादरी के लोग जनाज़े और तदफ़ीन में शरीक होकर अख़ेरत की दुआओं में हिस्सा ले सकें।


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
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गम और शोक की खबर — जनाब महमूद साहब का इंतकाल

✍️ ज़मीर आलम की कलम से, मुल्तानी समाज, दिल्ली

सूप गाँव, जिला बागपत (उत्तर प्रदेश) के निवासी जनाब महमूद हसन साहब, वल्द जनाब मोहम्मद यूसुफ़ साहब, उम्र लगभग 71 साल जो फिलहाल गोहाना रोड, मेहराना, जिला पानीपत, हरियाणा में रह रहे थे।  कई दिनों से बीमारी से जूझ रहे थे। अफ़सोस के साथ यह इत्तला दी जाती है कि उनका आज, दिन पीर बा — तारीख़ 20 अक्टूबर 2025 की रात लगभग 9 बजे, कज़ा-ए-ईलाही से इंतकाल हो गया।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन
“हम सब अल्लाह के हैं और उसी की ओर लौट कर जाने वाले हैं।”

अल्लाह तआला मरहूम की मग़फिरत फरमाए, उनके नेक आमाल को कुबूल करें, और उनके घरवालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।
आमीन या रब्बुल आलमीन।

मिली जानकारी के मुताबिक, मय्यत का सुपुर्द-ए-खाक कल, दिन मंगल बा — तारीख़ 21 अक्टूबर 2025 (सुबह 10 बजे) किया जाएगा।

📌 मय्यत और जनाज़े की जानकारी:

मय्यत को गांव मेहराना, जिला पानीपत, हरियाणा के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।सभी बिरादरी और रिश्तेदारों से इल्तज़ा है कि जनाज़े में शामिल होकर दुआएँ और सवाब-ए-दारन हासिल करें।


📞 अधिक जानकारी के लिए संपर्क:

जनाब शकूर अहमद

मोबाइल नंबर: 9671955918

मय्यत और जनाज़े से जुड़ी पूरी जानकारी के लिए उनसे राब्ता किया जा सकता है।

🕊️ इंतकाल की खबर भेजने वालों के लिए अहम हिदायतें:

अक्सर देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी होने के कारण लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शौहर का नाम लिखें।
2️⃣ पूरा पता — कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे।
3️⃣ दफीन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम ज़रूर बताएं।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के फोन नंबर शामिल करें।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है, तो मरहूम का फोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो) का ज़िक्र करें।
7️⃣ घर के बाकी अहल-ए-ख़ाना के नाम — जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह।

👉 इन सभी जानकारियों के साथ खबर भेजने से यह मुकम्मल और भरोसेमंद रहेगी, और बिरादरी के लोगों को सही-सही जानकारी मिलने में आसानी होगी।


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एक अज़ीज़ का बिछड़ना — बिरादरी के लिए ग़म और दुआओं का वक्त

✍️ ज़मीर आलम की कलम से

सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), 20 अक्टूबर 2025, दिन सोमवार।
निहायत ही अफसोस और रंज के साथ यह इत्तला दी जाती है कि हमारे बिरादरी के बुजुर्ग और मोहतरम शख्सियत जनाब मोहम्मद राशिद साहब, वल्द हाजी असगर साहब (ठेकेदार), जो कि याहया शाह, पक्का बाग, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले थे और फिलहाल लॉर्ड महावीरा स्कूल, चिलकाना रोड, बजाज कॉलोनी, सहारनपुर में रह रहे थे, आज बरोज़ पीर, 20 अक्टूबर 2025 की शाम को कज़ा-ए-इलाही से इंतेकाल फरमा गए।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन
“हम सब अल्लाह के हैं और उसी की ओर लौट कर जाने वाले हैं।”

अल्लाह तआला मरहूम की मग़फिरत फरमाए, उनके नेक आमाल को कुबूल फरमाए और उन्हें जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए।
साथ ही अल्लाह तआला उनके घरवालों और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील से नवाज़े।
आमीन या रब्बुल आलमीन।

फिलहाल तदफीन का वक्त मुकर्रर नहीं हुआ है।
जिम्मेदारों के जरिए ताज़ा जानकारी मिलते ही “मुल्तानी समाज” के माध्यम से खबर अपडेट कर दी जाएगी, इंशा’अल्लाह।
तमाम बिरादराने इस्लाम से इल्तिज़ा है कि मरहूम के लिए इसाले सवाब और मग़फिरत की दुआएँ फरमाएं।


🕊️ एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने वालों के लिए अहम् हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी होने के कारण बहुत से लोग जनाज़े और तदफीन में शामिल नहीं हो पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से यह दरख्वास्त करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें 👇

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शौहर का नाम लिखें।
2️⃣ पूरा पता लिखें – वह कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे।
3️⃣ तदफीन का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम अवश्य बताएं।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के मोबाइल नंबर शामिल करें।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है, तो मरहूम का एक पासपोर्ट साइज़ फोटो भेजें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो) का ज़िक्र करें।
7️⃣ घर के अहल-ए-ख़ाना – जैसे भाई, बहन, औलाद, माँ-बाप के नाम भी बताएं।

👉 इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों को सही-सही जानकारी मिलने में आसानी होगी।


📡 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
📜 देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका — “मुल्तानी समाज” के लिए

✍️ ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट
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रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी – एकता, मोहब्बत और खिदमत का नया सफ़ा

सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), 20 अक्टूबर 2025, दिन इतवार।

आज का दिन मुल्तानी बिरादरी के इतिहास में एक नई रौशनी लेकर आया। सहारनपुर की सरज़मीं पर हाजी तौकीर अहमद साहब के घर पर एक अहम और पायेदार बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें बिरादरी के कई जिम्मेदार और सरगर्म साथी तशरीफ लाए।

इस खुशनुमा और खालिस बिरादराना माहौल में जनाब मोहम्मद असलम साहब, मोहम्मद फारूक साहब (मुल्तानी गाजियाबाद), मोहम्मद शाहनवाज मिर्जा (सरधना), मोहम्मद अफजल साहब (खुशावली, खतौली) और डॉ. शाजिया नाज एडवोकेट (देवबंद) ने शिरकत की।
मौके पर हाजी कासिम साहब, हाजी मोहम्मद आरिफ साहब, मोहम्मद अफजल (मुगल होटल वाले, सहारनपुर) और मिर्जा मोहम्मद नसीम (राजपुरा, पंजाब) भी मौजूद रहे।

हाजी कासिम साहब और हाजी तौकीर अहमद साहब की सरपरस्ती में हुए इस मशवरे का मकसद था — बिरादरी में एकता, तालीम और तरक्की के नए रास्ते तलाशना
मशवरे के दौरान जनाब शाहनवाज मिर्जा ने अपनी पूरी टीम की सहमति से घोषणा की कि वे आगे से रियल मुल्तानी लोहार वेलफेयर सोसाइटी के बैनर तले खिदमत करेंगे।

इस फैसले की ताईद करते हुए जनाब हाजी नसीम साहब, जनाब नौशाद साहब, जनाब जमीरउद्दीन साहब (खतौली) और जनाब हाजी ताहिर साहब (मुजफ्फरनगर) ने भी अपनी सहमति जाहिर की।
यह फैसला सुनते ही उपस्थित सभी साथियों के चेहरों पर मुस्कान और आंखों में उम्मीद की चमक दिखाई दी।

जो साथी किसी मसरूफियत की वजह से मौके पर हाजिर नहीं हो सके — जनाब जमील अहमद साहब, जनाब मोबीन अहमद साहब, जनाब शानू मिर्जा साहब, रईस-ए-आज़म साहब खतौली और वसीम साहब देवबंद, कामिल साहब खतौली — उन्होंने भी वीडियो कॉलिंग के ज़रिये इस बैठक में शिरकत की और अपने कीमती मशवरे से महफिल को नवाज़ा।

इस ऐतिहासिक मशवरे के नतीजे में रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी को न सिर्फ एक बड़ी कामयाबी मिली बल्कि मुल्तानी बिरादरी के परिवार में मोहब्बत, यकजहती और खिदमत का एक नया जोश भी पैदा हुआ।
यह खबर पूरे इलाके में बिजली की तरह फैल गई, और बिरादरी के हर कोने से खुशी, दुआओं और मुबारकबादों का सिलसिला शुरू हो गया।

इस मौके पर हाजी आरिफ साहब ने दुआ की कि —

“अल्लाह तआला हमें एकजुट होकर खिदमत-ए-खल्क की तौफीक अता फरमाए, और हमारी इस बिरादरी को तरक्की, तालीम और इत्तेहाद की बुलंदियों तक पहुंचाए।”

दुआओं और मुहब्बतों के इस माहौल में मशवरा मुकम्मल हुआ।
यकीनन, यह दिन मुल्तानी बिरादरी के लिए एकता और तालीम की नई शुरुआत साबित होगा।


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रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी को बड़ी कामयाबी – कई जिम्मेदार साथियों ने जताई एकजुटता

सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), 20 अक्टूबर 2025, दिन रविवार।
आज बिरादरी के जिम्मेदार और सक्रिय साथियों की एक अहम मुलाक़ात सहारनपुर में हाजी तौकीर साहब के निवास स्थान पर आयोजित हुई। इस मौके पर जनाब मोहम्मद असलम साहब, मोहम्मद फारूक साहब (मुल्तानी गाजियाबाद), मोहम्मद शाहनवाज मिर्जा (सरधना), मोहम्मद अफजल (खुशावली, खतौली) तथा डॉ. शाजिया नाज एडवोकेट (देवबंद) ने शिरकत की।

इस बैठक में हाजी कासिम साहब, हाजी मोहम्मद आरिफ साहब, मोहम्मद अफजल (मुगल होटल वाले, सहारनपुर) और मिर्जा मोहम्मद नसीम (राजपुरा, पंजाब) भी मौजूद रहे।

हाजी कासिम साहब और हाजी तौकीर अहमद साहब की सरपरस्ती में हुए इस मशवरे में बिरादरी की बेहतरी और एकजुटता पर विस्तृत चर्चा हुई।
मौके पर जनाब शाहनवाज मिर्जा ने अपनी पूरी टीम की सहमति से घोषणा की कि वे अब रियल मुल्तानी लोहार वेलफेयर सोसाइटी के बैनर तले कार्य करेंगे।

इस निर्णय का समर्थन जनाब हाजी नसीम साहब, जनाब नौशाद साहब, जनाब जमीरउद्दीन साहब (खतौली) और हाजी ताहिर साहब (मुजफ्फरनगर) ने भी किया।
सभी साथियों के इस निर्णय से रियल मुल्तानी लोहार बिरादरी को एक बड़ी कामयाबी और मजबूती मिली है।

इस फैसले के बाद पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई और बिरादरी के लोगों ने इसे “एकता और सहयोग की नई शुरुआत” बताया।

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