Tuesday, October 14, 2025

फर्जी मुल्तानी-डे की साज़िश! बिरादरी के नाम पर धोखा या दिखावा?

ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट | "मुल्तानी समाज" (दिल्ली से प्रकाशित)

(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत)

सहारनपुर /मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश):
बिरादरी के नाम पर चल रही एक तथाकथित "राष्ट्रीय संस्था" की करतूतों ने मुल्तानी समाज के होश उड़ा दिए हैं। बताया जाता है कि यह संस्था सहारनपुर में रजिस्टर्ड है, मगर जब भी रजिस्ट्रेशन नंबर मांगा गया, जवाब में मिला — "अभी नहीं बताया जा सकता!"

हैरत की बात तो यह है कि यह संस्था सन 2017 में बनी, और वर्ष 2022 में इसका रजिस्ट्रेशन व मान्यता दोनों खत्म हो चुकी हैं। इसके बावजूद इनके "आका" खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संगठन के पदाधिकारी राष्ट्रीय पदाधिकारी बताते नहीं थकते।

अब सवाल यह उठता है — किसने इन्हें यह हक़ दिया कि वो पूरे मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी के नाम पर कोई “मुल्तानी-डे” घोषित करें?

और अगर किया है, तो उसका सबब क्या है?
सैकड़ों दफ़ा पूछने पर भी इस दिन का कोई तर्क, कोई वजह आज तक किसी को नहीं बताई गई।

जनता का ग़ुस्सा इतना बढ़ गया कि लोग इनका विरोध करने, इनके प्रोग्राम स्थल पर धरना देने को तैयार हो गए थे। मगर समझदार समाज के बुज़ुर्गों ने सोच-समझकर फिलहाल टकराव से बचने की सलाह दी — ताकि पहले बिरादरी को जागरूक किया जा सके और फिर पूरी सच्चाई सामने लाकर जवाब मांगा जाए।

दरअसल, यह पूरा खेल "जनता को मूर्ख बनाकर समाज से ऐंठे गए रुपयों को ठिकाने लगाने" का है। इस संस्था के पास न कोई समाजसेवी योजना है, न कोई कल्याणकारी खाका। जो भी कुछ है, वह बस दिखावा और प्रचार है।

सूत्रों के मुताबिक़, पहले 15 अक्टूबर को होने वाले इस कथित “मुल्तानी डे” में केवल ₹600 पैड मेंबरों को ही बुलाया गया था। जब विवाद बढ़ा, तो "पैसे देने वालों" की बात छिपा दी गई, मगर निमंत्रण फिर भी उन्हीं को मिला जिनसे पैसा ऐंठा गया था।
अब कहा जा रहा है कि बिरयानी और कोरमा से लोगों की याददाश्त मिटाई जाएगी — "जो दावत खाएगा, वो हिसाब भूल जाएगा!"

अरे भाई, 600 रुपए की दावत के लिए अपनी बिरादरी की इज़्ज़त और एकता मत बेचो!
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब हमारी बिरादरी के नहीं थे — वो पूरे हिंदुस्तान के थे, हैं और रहेंगे!
अगर वाक़ई उनका सम्मान करना है, तो ऐसे करो कि हर मज़हब, हर बिरादरी का भाई उस महफ़िल में शामिल हो सके — न कि सिर्फ़ कुछ चंद लोगों की साज़िशी सभा बन जाए।

यह संस्था "मिसाइल मैन" के नाम पर मुल्तानी समाज को बाँटने की नापाक कोशिश कर रही है। “मुल्तानी-डे” या “मिर्ज़ा मुल्तानी डे” जैसे नाम देकर समाज को गुमराह किया जा रहा है — ताकि असली मुद्दों, बेरोज़गारी, शिक्षा और कल्याण के सवालों से ध्यान भटकाया जा सके।

भाइयों! अब वक्त है जागने का —
अपनी मेहनत की कमाई और बिरादरी के चंदे को इन फर्जी संगठनों के हवाले मत करो।
मांगो जवाब — कहाँ गया हमारा पैसा, और क्या मिला समाज को?


"मुल्तानी समाज" — बिरादरी की आवाज़, सच्चाई की पहचान।
📞 8010884848
🌐 www.multanisamaj.com | www.msctindia.com
✉️ multanisamaj@gmail.com

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