क़ज़ाए इलाही से हुआ यह इंतक़ाल पूरे मुल्तानी बिरादराने में ग़म की लहर ले आया। “इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजेऊन” — यह आयत आज हर ज़बान पर थी। बी गौरी का जनाज़ा नमाज़-ए-असर के बाद गोरे गरीबाँ कब्रिस्तान में दफन किया गया, जहाँ नम आँखों के साथ सैकड़ों लोगों ने उनकी आख़िरी विदाई में शिरकत की।
मरहूमा की दीर्घ उम्र और उनके सादगी भरे जीवन ने उन्हें इलाके की “ज़िंदा दास्तान” बना दिया था। कहा जाता है कि उन्होंने तीन पीढ़ियों को बढ़ते, सँवरते और बसते देखा था। अब वही घर, वही गली, और वही आँगन — एक अजीब सी ख़ामोशी में डूबे हैं।
मरहूमा के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए जनाब मोहम्मद साबिर मुल्तानी से मोबाइल नंबर 9827042292 पर राब्ता किया जा सकता है।🕊️
एक ज़रूरी ऐलान — बिरादरी तक सही ख़बर पहुँचाने की दरख़्वास्त
अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की ख़बर देर से पहुँचने या अधूरी जानकारी के कारण लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से दरख़्वास्त करती है कि जब भी इंतकाल की सूचना दें, नीचे दी गई बातों का ख़ास ख्याल रखें:
1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ मुकम्मल पता और मौजूदा निवास।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स के फ़ोन नंबर।
5️⃣ मर्द का इंतकाल हो तो फ़ोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम (भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह)।
इन सब बातों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोग अपने फ़र्ज़ से वाक़िफ़ रह सकेंगे।
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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत, दिल्ली से प्रकाशित —
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका
Gori Khatoon ke husband marhum Hasham Nagori
रिपोर्ट : ज़मीर आलम
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