लेखक – अलीहसन मुल्तानी
(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए लिखा गया विशेष लेख)
“इतिहास वो आईना है जिसमें अपने अतीत की झलक देख कर हम अपने भविष्य की राह पहचानते हैं।”
मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी का इतिहास कोई मामूली दास्तान नहीं, बल्कि वो सुनहरी कहानी है जो सऊदी अरब की रेतों से उठकर हिंदुस्तान की मिट्टी में अमन, मेहनत और तबलीग की ख़ुशबू फैलाती चली आई।
हमारे बुज़ुर्ग उस दौर के लोग थे जब न माल था, न मकान — मगर ईमान और तबलीग की लगन का ख़ज़ाना उनके पास था। वो बाबा क़ासिम साहब की सरपरस्ती में सऊदी अरब से निकले — न सत्ता के लिये, न शोहरत के लिये, बल्कि इस्लाम की तबलीग और इंसानियत की भलाई के लिये।
🌍 मुल्क से मुल्तान तक – तबलीग का सफ़र
जब हमारे बुजुर्ग हिंदोस्तान पहुँचे, तब ये सरज़मीं मूर्तिपूजा, सती प्रथा, दहेज, सूदखोरी, और नशाखोरी जैसी बुराइयों में जकड़ी हुई थी। राजे-रजवाड़ों की आपसी लड़ाइयों ने अमन की चूलें हिला रखी थीं।
मगर इन हालात में मुल्तान से निकली तबलीगी जमात ने जो किरदार निभाया, वो इतिहास में मिसाल बन गया।
उन्होंने तलवारों से नहीं, इल्म और अख़लाक से फतह हासिल की।
जिन जगहों पर नफ़रत की आग थी, वहाँ अमन के दीये जलाये।
धीरे-धीरे जब तबलीगी काम के साथ रोज़ी-रोटी की ज़रूरत बढ़ी, तो हमारे बुज़ुर्गों ने मेहनत-मज़दूरी को अपनाया। लकड़ी और लोहे के काम में ऐसी ईमानदारी और हुनर दिखाया कि गैर-मुस्लिम कबीलों ने भी उन पर भरोसा किया — और यही भरोसा इस्लाम की सबसे बड़ी तबलीग साबित हुआ।
🕌 मुल्तान – हमारी पहचान की जड़
मुल्तान उस वक्त हिंदोस्तान का बड़ा और इज़्ज़तदार शहर था। जब हमारे बुज़ुर्गों ने वहीं क़याम किया, तो “मुल्तानी” लक़ब हमारे साथ जुड़ गया।
बाद में केरला में ठहरे हुए तबलीगी भाइयों ने तालीम और व्यापार को आगे बढ़ाया, जबकि मुल्तान वाले दस्तकारी और तबलीग में मशगूल रहे।
हिंदोस्तान की ज़मीन पर हमारे लोहार-बढ़ई बुज़ुर्गों के हाथों से इस मुल्क ने तरक्की की इमारतें खड़ी कीं।
वो अपने काम में इतने माहिर थे कि कहा जाने लगा –
“जहाँ मुल्तानी लोहार हैं, वहाँ लोहा भी झुक जाता है।”
🪓 हमारे हुनर ने मुल्क को ‘सोने की चिड़िया’ बनाया
हिंदोस्तान की बढ़ती ताक़त में मुल्तानी दस्तकारों का योगदान वो सुनहरी सच्चाई है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
लोहे को मोड़ना हो या लकड़ी को तराशना –
हर ठोंकाई में सच्चाई, हर कटाई में खुदाई का नाम था।
हमारे बुज़ुर्गों ने साबित किया कि रोज़ी मेहनत से मिलती है, और इज़्ज़त ईमान से।
👑 ‘मिर्जा’ नाम और हमारी असलियत
आजकल कुछ लोग “मिर्जा” नाम के साथ अपनी पहचान जोड़ने की कोशिश करते हैं।
मगर सच्चाई ये है कि —
“मिर्जा” कोई बिरादरी नहीं, बल्कि सिर्फ़ एक लक़ब (टाइटल) है,
जो राजाओं, नवाबों और जमींदारों के बेटों द्वारा शोहरत के लिये नाम के साथ लगाया जाता था।
हमारे मुल्तानी लोहार-बढ़ई का न तो मिर्जाओं से कोई पुराना नाता था, न नया ताल्लुक है।
हमारी बिरादरी की असल शान मेहनत, इमानदारी और दस्तकारी में रही है — न कि किसी झूठे सरनेम में।
“हम लोहे को आग में गढ़ते हैं, और अपनी नस्ल को सच्चाई में।”
इसलिए मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को चाहिये कि वो अपने नाम और काम पर फख्र करे —
क्योंकि हमारी पहचान सरनेम से नहीं, सदियों की सेवा और सच्चाई से है।
🧱 हम कौन हैं — और किस राह के मुसाफ़िर हैं
हम वो लोग हैं जो सऊदी अरब की तबलीगी सरज़मीं से निकले,
मुल्तान को मर्कज़ बनाया,
और फिर पूरे हिंदोस्तान में अमन, इल्म और दस्तकारी की मशाल फैलाई।
हमारे क़बीले अलग-अलग हुनरों से पहचाने गए —
- रंगरेज़ मुल्तानी लीलागर कहलाए,
- कुम्हार मुल्तानी मिट्टी के फ़न में माहिर हुए,
- सुनार मुल्तानी ने सोने को जन्नत बना दिया,
- क़ाज़ी मुल्तानी ने इल्म और इंसाफ़ को जिंदा रखा,
- और लोहार-बढ़ई मुल्तानी ने मेहनत को ईबादत बना दिया।
🌿 अख़लाक और तहज़ीब की विरासत
हमारी बिरादरी की पहचान सिर्फ़ काम से नहीं, बल्कि तहज़ीब, अदब और अख़लाक से है।
आज ज़रूरत है कि हम फिर वही रौशनी अपने बच्चों में जगाएँ —
तालीम, तबलीग और तहज़ीब की वो तीन तमीज़ें, जिनसे मुल्तानी समाज पहचान रखता आया है।
🕊️ नतीजा
हम मुल्तानी हैं – तबलीग के मुसाफ़िर, दस्तकारी के उस्ताद और अमन के परवाने।
हमारी नस्ल की पहचान किसी मिर्जा के लक़ब में नहीं,
बल्कि उन हाथों में है जो लकड़ी और लोहे को आकार देकर ज़िंदगी को आसान बनाते हैं।
“हमारा अतीत मज़हबी भी है, मज़दूरी भी;
हमारी कहानी तबलीग की भी है, तरक़्क़ी की भी।”
लेखक: अलीहसन मुल्तानी
📞 8010884848
🌐 www.multanisamaj.com | www.msctindia.com
📩 multanisamaj@gmail.com
#MultaniSamaj #MulaniHistory #MuslimLoharBadhai #TareekhEMultan #AmanKaPaighaam #TablighiVirasat #MulaniPride
✅_*आप भी बिरादरी तक अपनी कोई बात पहुंचना चाहते है तो अपना लेख, फ़ोटो, वीडियो, पीडीएफ या किसी भी रूप में हमें ई- मेल, व्हाट्सएप के जरिए भेजे आपका लेख पसंद आने पर पूरे हिन्दुस्तान सहित देश विदेशों तक फैली बिरादरी तक पहुंचने का काम हम करेंगे ।।
📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer):
पत्रिका में प्रकाशित किसी भी प्रकार का लेख, समाचार, संपादकीय, विचार, टिप्पणी, प्रेस विज्ञप्ति, विज्ञापन या अन्य सामग्री लेखक, संवाददाता या विज्ञापनदाता के स्वयं के विचार हैं।
इनसे पत्रिका के संपादक, प्रकाशक, प्रबंधन या संस्थान की सहमति या समर्थन आवश्यक रूप से अभिप्रेत नहीं है।
पत्रिका में प्रकाशित सामग्री की सत्यता, विश्वसनीयता, या किसी प्रकार के दावे के लिए लेखक या विज्ञापनदाता स्वयं उत्तरदायी होंगे।
पत्रिका एवं प्रबंधन इस संबंध में किसी भी प्रकार की कानूनी, सामाजिक या वित्तीय जिम्मेदारी से पूर्णतः मुक्त रहेंगे।
किसी भी विवाद, शिकायत या न्यायिक कार्यवाही की स्थिति में न्याय क्षेत्र (Jurisdiction) केवल दिल्ली रहेगा।
No comments:
Post a Comment