Friday, July 3, 2020

*सरकार की अपराध और अपराधियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति..?*

आखिर पुलिस की ऐसी सक्रियता और सख्ती का असर विकास दुबे जैसे अपराधी पर क्यों नहीं पड़ा?*

*राजनीतिक दलों में पैठ वाले अपराधियों पर काबू पाना ज्यादा बड़ी और प्राथमिक चुनौती..!*

*अपराधी की अनदेखी से लेकर खुफिया तंत्र की नाकामी तक का नतीजा कि पुलिस को इतना बड़ा उठाना पड़ा नुकसान..!*

उत्तरप्रदेश के जिला कानपुर में शुक्रवार तड़के एक अपराधी माफिया विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस पर जैसा हमला हुआ, वह अपने आप में यह बताने के लिए काफी है कि योगी सरकार के बढ़-चढ़ कर किए जाने वाले दावों के बरक्स सच्चाई क्या है!ऐसा नहीं है कि विकास दुबे कोई अचानक उभरा माफिया है, जो किसी पर्दे में छिपा हुआ था। पिछले कई सालों से अपने अपराधों और लगभग हर राजनीतिक पार्टी में अपनी पहुंच के बूते उसने रसूख कायम की थी। जिस नामजद और जाने-माने अपराधी के खिलाफ साठ से ज्यादा मामले दर्ज हैं, वह अलग-अलग घटनाओं में थाने में घुस कर एक नेता और पुलिसकर्मी समेत अन्य लोगों की हत्या करने का अपराधी है, आखिर वह किससे संरक्षण में या फिर किन वजहों से बिना किसी हिचक के अपना सामान्य जीवन जीता रहता है और स्थानीय राजनीति में
सक्रिय भी रहता है। क्या सामान्य स्थितियों में यह स्वीकार्य हो सकता है कि कोई अपराधी इतने मामलों में संलिप्तता के बावजूद जेल की जगह किसी भी वजह  से बाहर आजाद रहे! खबरों के मुताबिक, उसका घर किसी किले जैसी बनावट में है। क्या केवल सुरक्षा के तर्क पर इस तरह के ढांचे की पुलिस आमतौर पर अनदेखी कर देती है? दूरदराज के इलाकों में भी बहुत मामूली जानकारी चुपचाप जुटा लेने वाली पुलिस को विकास दुबे की मंशा या योजना के बारे में कोई खुफिया सूचना क्यों नहीं मिल सकी? जाहिर है, यह किसी अपराधी की अनदेखी से लेकर खुफिया तंत्र की नाकामी तक का नतीजा है कि पुलिस को इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।पिछले कई सालों से लगातार उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार का सबसे बढ़-चढ़ कर किया जाने वाला दावा यही रही है कि उसने अपराध की घटनाओं और अपराधियों  पर पूरी तरह काबू पा लिया है। करीब आठ महीने पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार ने अपराध और अपराधियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई है, जिसके चलते बहुत सारे अपराधी मारे गए या फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया। आखिर पुलिस की ऐसी सक्रियता और सख्ती का असर विकास दुबे जैसे अपराधी पर क्यों नहीं पड़ा? राज्य में भाजपा की सरकार ने सत्ता में आने के लिए पूर्व समाजवादी पार्टी की सरकार के खिलाफ कानून-व्यवस्था को ही सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था और जनता से यह वादा किया था कि उत्तर प्रदेश को अपराध और अपराधियों से मुक्त कर दिया जाएगा। लेकिन मुठभेड़ में अपराधियों के मारे जाने की खबरों से समांतर ही आपराधिक घटनाओं और उसकी प्रकृति कुछ अलग हकीकत का बयान करती है! यह ध्यान रखने की जरूरत है कि राजनीतिक दलों में पैठ वाले अपराधियों पर काबू पाना ज्यादा बड़ी और प्राथमिक चुनौती है, जिनकी वजह से दूसरी स्थानीय अपराधी बदस्तूर अपनी हरकतों को अंजाम देते हैं।

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