Friday, September 12, 2025

आपकी क़ीमत आपकी मेहनत और हुनर से तय होती है

दिलचस्प बात है कि सिर्फ़ 65 रुपए की लोहे की छड़, जिसका वज़न 1000 ग्राम है, अगर यूँ ही रखी रहे तो उसकी कोई ख़ास अहमियत नहीं। मगर जैसे ही उसे किसी काम में ढाला जाता है, उसकी कीमत बदलने लगती है।

  • उसी लोहे से जब घोड़े की नाल बनाई जाती है तो कीमत 500 रुपए तक बढ़ जाती है।
  • जब वही छड़ सिलाई की सुई बन जाती है तो उसका दाम 40,000 रुपए तक पहुँच जाता है।
  • जब वह घड़ी के स्प्रिंग और गियर बनती है, तो कीमत 40 लाख रुपए हो जाती है।
  • और जब वही छड़ प्रिसिशन लेज़र पार्ट्स का रूप ले लेती है, तो कीमत सीधी 1 करोड़ रुपए तक पहुँच जाती है।

यानी फर्क लोहे में नहीं, बल्कि उसके तराशने और ढलने में है।

ठीक यही बात इंसान पर भी लागू होती है। हम सबकी शुरुआत साधारण होती है, लेकिन हमारी मेहनत, हमारा हुनर और हमारी लगन ही हमें असाधारण बनाती है। कोई भी इंसान जन्म से बड़ा या छोटा नहीं होता, बल्कि बड़ा वो बनता है जो खुद को तराशता है, अपने हुनर को पहचानता है और समाज के लिए काम आता है।

सोचिए, अगर एक साधारण छड़ करोड़ों की बन सकती है, तो इंसान क्यों नहीं? फर्क बस इतना है कि हमें अपने आप को कहाँ और कैसे ढालना है। यही असली ज़िंदगी की तहज़ीब है और यही इंसानियत का सबसे बड़ा सबक।

🌹 छोटी-सी नसीहत और दुआ 🌹
अल्लाह हम सबको अपनी असली क़ीमत पहचानने की तौफ़ीक़ दे, हमें मेहनत और हुनर से निखारे, और हमारे काम को इंसानियत व समाज के लिए फ़ायदेमंद बनाए।

✍️ ख़ास रिपोर्ट: ज़मीर आलम
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका
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