Saturday, September 13, 2025

मोहम्मद अनवर साहब का इंतकाल – बिरादरी के लिए एक बड़ा सदमा


शामली। निहायत ही रंजो-ग़म और भारी दिल के साथ यह इत्तिला दी जाती है कि मोहल्ला खैरादियान शामली के मूल निवासी और हाल मुक़ीम मोहल्ला सलेक विहार शामली, जनाब मोहम्मद अनवर साहब वल्द मरहूम जनाब अब्दुल हमीद साहब का इंतकाल हो गया।

बीती रात शनिचर 13 सितंबर 2025 को तक़रीबन 12 बजे, महज़ 35–36 बरस की उम्र में ही वे इस फ़ानी दुनिया से रुख़सत कर गए।

मोहम्मद अनवर साहब काफ़ी अरसे से एक बड़ी बीमारी में मुब्तिला थे। बिरादरी का कहना है कि उनकी कमसिनी की उम्र में इस तरह दुनिया छोड़ जाना एक ऐसा सदमा है जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं।
ग़ौरतलब है कि कुछ ही महीने पहले इनके बड़े भाई, जनाब शकील साहब का भी बीमारी की वजह से इंतकाल हो गया था।

मरहूम के कुल दो भाई और एक बहन थे। भाइयों में से मरहूम शकील साहब का पहले ही इंतकाल हो चुका है, अब जनाब नफ़ीस साहब ही बचे हैं। बहन हयात बेगम का भी काफ़ी अरसे पहले इंतकाल हो चुका था।
मरहूम अनवर साहब अपने पीछे एक भाई नफीस साहब, अहलिया असमा बी, दो बेटे अब्दुल गनी, अबदुल रहमान एक बेटी अमीरा जहां समेत पूरे ख़ानदान को रोता-बिलखता छोड़कर इस दुनिया से हमेशा के लिए रुख़सत कर गए।


सुपुर्द-ए-ख़ाक की जानकारी

मिली जानकारी के मुताबिक मरहूम की मय्यत को आज दिन इतवार, 14 सितंबर 2025 को दोपहर 12 बजे मोहल्ला गुलशन नगर, टायर मार्किट स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
सभी अहबाब और बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शिरकत करके सवाबे दारेन हासिल करें।


मरहूम के लिए दुआ

اللَّهُمَّ اغْفِرْ لَهُ وَارْحَمْهُ، وَعَافِهِ وَاعْفُ عَنْهُ، وَأَكْرِمْ نُزُلَهُ، وَوَسِّعْ مُدْخَلَهُ، وَاغْسِلْهُ بِالْمَاءِ وَالثَّلْجِ وَالْبَرَدِ، وَنَقِّهِ مِنَ الْخَطَايَا كَمَا يُنَقَّى الثَّوْبُ الْأَبْيَضُ مِنَ الدَّنَسِ۔

"ए अल्लाह! मरहूम मोहम्मद अनवर साहब की मग़फ़िरत फरमा, उन पर रहमत नाज़िल कर, उनकी ख़ातिर अफ़्वो-दरगुज़र कर, उनके मक़ाम को बुलंद कर, उनकी क़ब्र को रोशन और फ़ैला हुआ बना, उन्हें पानी, बर्फ और ओलों से धो कर पाक साफ़ कर दे, और उनके गुनाहों को ऐसे दूर कर दे जैसे सफेद कपड़े से दाग़ को दूर किया जाता है।"

इल्तिज़ा है तमाम अहबाब और बिरादराने इस्लाम से कि मरहूम की मग़फ़िरत के लिए दुआएँ करें और अल्लाह से यह तलब करें कि उनके अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।


एक ज़रूरी ऐलान – इंतकाल की खबर भेजने के लिये अहम् हिदायतें

अक्सर देखा जाता है कि किसी अज़ीज़ का इंतकाल हो जाने पर खबर बिरादरी तक देर से या अधूरी पहुँचती है, जिसकी वजह से कई लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम और उनकी वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता – कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे।
3️⃣ दफ़ीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख़्स (एक-दो) के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम का फोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वग़ैरह।

👉 इन तमाम जानकारियों के साथ खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी को सही-सही जानकारी मिलने से आसानी होगी।


🖊️ ख़ास रिपोर्ट: ज़मीर आलम
📰 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका "मुल्तानी समाज"

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