मरहूमा का मकाम मोहल्ला सत्ती लुहारो वाली मस्जिद के सामने, रुड़की, हरिद्वार (उत्तराखंड) था। इनकी जनाजे की नमाज़ आज बाद नमाज-ए-ईशा ईदगाह रुड़की में अदा की जाएगी।
तमाम बिरादराने-इस्लाम से गुज़ारिश है कि ज़्यादा से ज़्यादा तादाद में जनाज़े में शरीक होकर सवाब-ए-दारेन हासिल करें।
मग़फ़िरत की दुआ
अल्लाह तआला मरहूमा की मग़फ़िरत फरमाए,
उनके कब्र को रौशन फरमाए,
जन्नत-उल-फ़िरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए,
और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।
आमीन
एक ज़रूरी ऐलान
अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतेकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुंचती है या अधूरी जानकारी होने के कारण लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने-इस्लाम से दरख़्वास्त करती है कि जब भी इंतेकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:
1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम और उनकी वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता (कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे)।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतेकाल हुआ है तो मरहूम का फोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतेकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह।
इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों तक सही-सही जानकारी पहुंचने में आसानी होगी।
✍️ ज़मीर आलम
(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए खास रिपोर्ट)
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