निहायत ही अफसोस और रंज व ग़म के साथ यह इत्तिला दी जाती है कि सहारनपुर की एक बुज़ुर्ग और मुहतरम खातून हज्जन रशीदा बी अहलिया हाजी खुरशीद साहब ने इस फानी दुनिया को अलविदा कह दिया।
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन।
मरहूमा की रिहाइश मौहल्ला विजय सिनेमा के पास, हाजी फरहत साहब के मकान में थी। जनाज़े की नमाज़ आज बाद नमाज़-ए-असर, शाम 5:00 बजे अदा की जाएगी। इसके बाद उन्हें निर्जन शाह कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
मरहूमा एक नेक-सीरत, सादा तबीयत और बिरादरी में अज़मत व इज्ज़त रखने वाली खातून थीं। उनके इंतकाल से पूरा घराना और बिरादरी ग़मगीन है।
हम दुआगो हैं कि अल्लाह तआला मरहूमा की मग़फिरत फ़रमाए, उनके दरजात बुलंद करे और जन्नतुल फ़िरदौस में आला मुक़ाम अता फ़रमाए।
आमीन या रब्बुल आलमीन।
साथ ही अल्लाह से दुआ है कि घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए और इस सदमे को बर्दाश्त करने की हिम्मत दे।
एक ज़रूरी गुज़ारिश
अक्सर ऐसा देखा गया है कि इंतकाल की खबर अधूरी जानकारी या देर से पहुँचने की वजह से बिरादरी के कई लोग जनाज़े तक शरीक नहीं हो पाते। “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादरान-ए-इस्लाम से दरख्वास्त करती है कि जब भी इंतकाल की खबर भेजें तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:
1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और उनकी वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता – (कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे)।
3️⃣ दफीन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के मोबाइल नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ हो तो मरहूम का फोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाकी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे औलाद, भाई, बहन, माँ-बाप आदि।
👉 इन जानकारियों से खबर मुकम्मल और भरोसेमंद बनेगी, ताकि बिरादरी के लोग वक़्त पर जनाज़े में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल कर सकें।
📌 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका – “मुल्तानी समाज” के लिए यह रिपोर्ट सहारनपुर से खादिम अब्दुल खालिक ने पेश की।
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