Saturday, April 24, 2021

समाज सेवक बनना और नाराज होना दोनों चीजे साथ नहीं चल सकती है! इसलिए समाज सेवा छोड़ो या नाराज होना छोड़े : ज़मीर आलम मुलतानी

 


*मेरा फोटो नहीं छपा, इसलिए मैं नहीं आया!*

*मेरा नियंत्रण पत्रिका में नाम नहीं आया था, इसलिए मैं नहीं आया!*

*मुझे इसमें कुछ मिलने वाला नहीं था, इसलिए मैं नहीं आया!*

*मुझे कोई पद नहीं मिला, इसलिए मैं नहीं आया!*

*मुझे कोई सुनता नहीं है, इसलिए मैं नहीं आया!*

*मुझे स्टेज पर नहीं बैठाया, इसलिए मैं नहीं आया!*

*मेरा सम्मान नहीं किया, इसलिए मैं नहीं आया!*

*मुझे बोलने का मौका नहीं दिया, इसलिए मैं नहीं आया!*

*बार-बार  आर्थिक बोझ मुझ पर डाल दिया जाता है, इसलिए मैं नहीं आया!*

*सभी काम मुझे सौप जाता है, इसलिए मैं नहीं आया!*

*कोई सुझाव लेते नहीं है, इसलिए मैं नहीं आया!*

*टाइम नहीं मिल रहा है, इसलिए मैं नहीं आया....*

*सच्चा कार्य वही है जो समाज के हित को सर्वोपरि बन सके....*

*इसलिए कहा है कि समाज सेवा मतलब तलवार की धार पे चलाने का कार्य, और वह कोई कायरो का काम नही....*

*जिंदगी में संघर्ष जरूरी है!* *इसलिए जो लोग समाज सेवा में आपना मूल्यवान समय दे रहे है, उन लोगों को तन-मन-धन से सहयोग देकर समाज के अच्छे कार्यों को आगे बढ़ाएं!*

    *संगठित रहें और संघर्ष करें*

          *🙏🌹दुआओं का तलबगार🌹🙏*

2 comments:

  1. सच और हक बात।
    आलम साहब सच और हक के साथ आप लगे रहो एक दिन वो भी आयेंगे जो कभी नहीं आए,
    सच्चाई के साथ जो हिम्मत से चलते है उनके साथ तो खुदा चलता है तुम चलते रहो वो भी आयेंगे जो कभी नही आए।।
    #ArshadMirza

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  2. सच है विपत्ति जब भी आती है
    कायरों की ही दहलाती है
    सूरमा नहीं विचलित होते
    क्षण एक नहीं धीरज खोते
    विघ्नों को गले लगाते हैं
    कांटों में राह बनाते हैं...

    Do all the good you can...

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