Thursday, April 29, 2021

एक पैगाम आवाम के नाम


आज एक कसाई की दुकान पर बैठा था एक नौजवान सफेद लिबास में चेहरे पर दाढ़ी सर पर टोपी आंखों पर चश्मा लगाए दुकान में दाखिल हुआ दुकान पर काफी भीड़ थी लोगों की आवाज से दुकान गूंज रही थी भाई 1 किलो गोश्त देना भाई 2 किलो गोश्त देना आधा किलो को देना ऐसी आवाजें शोर पैदा कर रही थी ।


दुकान में इन्हीं आवाजों के बीच जैसे ही एक नौजवान दाखिल हुआ दुकान में कसाई ने सारे ग्राहकों को छोड़कर उस नौजवान से पूछा क्या चाहिए आपको नौजवान ने कहा आधा किलो गोश्त कसाई ने फौरन बेहतरीन गोश्त का टुकड़ा काटा और बोटी बना कर दे दिया ।


नौजवान ने पैसे देने की लिए हाथ बढ़ाया तो कसाई ने लेने से इंकार कर दिया नौजवान ने कहा जावेद भाई आप हमेशा ऐसा ही करते हो कसाई हंस दिया और नौजवान दुकान से बाहर चला गया ।


लोग तरह तरह की बातें करने लगे कि हम कब से खड़े हैं और कसाई को चर्बी चढ़ी है ग्राहक की कोई इज्जत ही नहीं मेरे दिमाग में सवाल के घोड़े दौड़ने लगे दुकान खाली होने का इंतजार करने लगा ।


सारे ग्राहकों को निपटा कर जैसे ही कसाई खाली हुआ मैंने कहा 1 किलो गोश्त मेरे लिए बनाना फिर मैंने कहा अभी जो नौजवान आपके दुकान से गोश्त लेकर गया है क्या वह आपका कोई करीबी रिश्तेदार है या दोस्त है 

सारे ग्राहक छोड़कर आप ने सबसे पहले उसको गोश्त दिया कसाई मुस्कुराया और बोला जी नहीं मैं बहुत अचंभे में पड़ गया बोला फिर कौन था वह नौजवान कसाई बोला मेरी मस्जिद के इमाम साहब ।


जो शख्स मेरी आख़िरत बनाने की फिक्र में रहता है और मेरी नमाज़ो की जिम्मेदारी ले रखी है मेरे बच्चों को कुरान और हदीस का दर्स  देता है क्या दुनिया में उसके साथ अच्छा सलूक ना करूं ।


मैंने कहा ओह्ह अच्छा मगर तुमने पैसे क्यों नहीं लिए कसाई फिर मुस्कुराया और बोला क्या तुम्हें नहीं पता मस्जिदों के इमामों को क्या दिया जाता है 

कितनी तनख्वाह है उनकी इतने का तो साहब आप लोग महीने भर में सिगरेट पी जाते हो ।


मैं सोचने लगा वाकई बात में दम है कसाई फिर बोला साहब यह हमारी कौम का खजाना है इनको बचाना हमारी जिम्मेदारी है बाजार के तमाम दुकान वालों ने मिलकर एक फैसला किया है कि मौलाना साहब से कोई पैसा नहीं लेगा सिर्फ मैं ही नहीं यह बाल दाढ़ी की दुकान वाला नाई ,राशन की दुकान वाला वह टेलर मास्टर ए डॉक्टर साहब वह मेडिकल वाला दूधवाला सब्जी वाला कोई उनसे पैसे नहीं लेता भाई इतना तो हम कर ही सकते हैं ।


और फिर मुस्कुरा कर कहा साहब आधा किलो गोश्त के बदले जन्नत मुनाफा का सौदा है 

यह लो जी आप के गोश्त की थैली उसने कहा और मैंने पैसा कसाई की तरफ बढ़ाया और कहा पर भाई मैं तो नौकरी करता हूं काश मैं भी इस तरह का कोई बिजनेस करता कसाई ने कहा बहुत आसान है सामने गली में मौलाना साहब ने साइकिल बनाने के लिए दिया है आप दुकान वाले को चुपके से बिल अदा कर दीजिए और उससे कह दीजिए कि मौलाना साहब से पैसे ना लेना

 मैं मुस्कुराया और दुकान से निकल गया उस कसाई से आज मदद का एक नया सबक जो सीखा था ।


अपने मस्ज़िदों के इमाम का ऐहतराम और मदद करो ,,, ये हमारे दींन के दाई है, क़ुरान इनके सीने में है इसलिए इज़्ज़त कीजिए।।


इनमे कमियां मत खोजो , इंसान है गलतियां हो सकती हैं

इनसे मोहब्बत और इनकी दिल से इज़्ज़त कीजिए🙏

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