Monday, November 9, 2020

13 दिसम्बर 2018 ,19 को मिर्ज़ा मुल्तानी समाज का पहला कुल हिन्द इजलास दिल्ली के ग़ालिब ऑडिटोरियम में मुन्नाकिद हुआ


जिसमें देश भर से बिरादरी कि मुअज़ीज़ शख्सियतें तशरीफ़ फरमा रही

साथ ही फैसला लिया गया था कि हर साल 13 दिसम्बर को यह दिन

कबीले की याद में मनाया जायगा कोरोना के चलते अब की बार शायद

कोई प्रोग्राम न हो सके लेकिन अपने कबीले के बुजर्गो ,मुअज़ीज़

,शख्सियतों नोजवान ,साथियो के दिल्ली प्रोग्राम फैसले को मानते हुए

हर 13 दिसम्बर को बिरादरी की बुलन्दी व तरक्की के लिये यादगार बनाने के लिए 

इंशा अल्लहा काम करेंगेअल्लहा के फ़ज़लों क्रम से इतनी बड़ी कांफ्रेंस थी ये सभी की मेहनत का नतीजा था ये कॉन्फ्रेंस खालिश मुल्तानी बिरादरी के लोगो की थी।मुल्तानी बिरादरी के डाक्टर, इंजिनियर,


टीचर,मास्टर, और दूसरे अहम सोबो के माहिर और सियासी हजरात शामिल थे।बिरादरी के बाहर का न कोई नेता था,न कोई अमीर था,न कोई anchor था।

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