Thursday, July 3, 2025

इन्तेकाल की इत्तिला — मिर्ज़ा शरीफुद्दीन साहब का फलावदा में इन्तिक़ाल, मुल्तानी बिरादरी में रंज और ग़म का माहौल

✍️ "मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका से ज़मीर आलम की तर्ज़ से पेश है ख़ास रिपोर्ट


फलावदा (ज़िला मेरठ), 03 जुलाई 2025, दिन जुमेरात
आज फलावदा की फिज़ा में एक गहरा सन्नाटा और दिलों में अदम बयान ग़म का आलम देखा गया, जब यह दुखद ख़बर आम हुई कि मिर्ज़ा शरीफुद्दीन साहब — जो कि हमदम मिर्ज़ा  साहब के सगे छोटे भाई थे — का तक़रीबन 11:30 बजे दिन में इन्तिक़ाल हो गया।

मरहूम काफी अरसे से एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे, लेकिन हमेशा सब्र व शुक्र के साथ इस दर्द को सहते रहे। आज अल्लाह ने उन्हें अपनी रहमत में बुला लिया।
إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ

मरहूम मिर्ज़ा शरीफुद्दीन साहब एक शख्सियत थे जिनका मिज़ाज सौम्य, लहजा नफ़ीस और दिल बेहद नरम था। उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में हर शख्स से मोहब्बत और इज़्ज़त से पेश आना अपना उसूल बना रखा था। उनका उठ जाना फलावदा ही नहीं बल्कि पूरी मुल्तानी बिरादरी के लिए एक ऐसा नुक़सान है जिसकी भरपाई मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।


जनाज़ा और तदफीन का एलान

मरहूम की नमाज़े जनाज़ा आज ही बाद मग़रिब, फलावदा में अदा की जाएगी, जिसके बाद तदफीन उनके आबाई क़ब्रिस्तान में अमल में लाई जाएगी।

तमाम अ़हबाब, अहल-ए-क़लम, बिरादरी के बुज़ुर्ग और नौजवानों से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें और इस नेक रुह को आख़िरी विदाई दें।


मुल्तानी बिरादरी में ग़म और ताज़ियत का सिलसिला

मरहूम की इत्तिफ़ाक़िया मौत की खबर से फलावदा में शोक की लहर दौड़ गई। दूर-दराज़ से रिश्तेदार, अ़हबाब और जानने वाले उनके घर पहुंच रहे हैं। ताज़ियत पेश कर रहे हैं और परिजनों को सब्र की तल्कीन कर रहे हैं।

बुज़ुर्गों की दुआ है कि:
"अल्लाह तआला मरहूम को जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए, क़ब्र को रोशन और आसान बनाए, और लवाहिक़ीन को सब्र जमील अता करे।"
आमीन या रब्बुल आलमीन।


रंजीदा:
"मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका से
ज़मीर आलम
(फलावदा/मेरठ)



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