मरहूम मूल रूप से लाल कुआं, पुरानी दिल्ली के रहने वाले थे और अपनी सादगी, बुज़ुर्गी, समाजी सरगर्मियों और विनम्र स्वभाव के लिए पहचाने जाते थे। उनका जाना पूरे समाज के लिए एक गहरा नुकसान है।
दफन का वक़्त और जगह
मरहूम नायाबुद्दीन साहब को नमाज़-ए-ईशा के बाद सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा। समाज के तमाम जिम्मेदार और बिरादराने हज़रात से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शिरकत फरमाकर सवाबे दारेन हासिल करें और मरहूम के लिए मग़फिरत की दुआ करें।
संपर्क हेतु जानकारी
इंतेकाल से मुतअल्लिक ज्यादा मालूमात के लिए मरहूम के भांजे
जनाब जफ़र मिर्ज़ा साहब से राब्ता किया जा सकता है:
📞 मोबाइल: 9837202170
सामूहिक जिम्मेदारी और इंसानी फर्ज
ऐसे मौके पर समाज का कर्तव्य है कि दुख की इस घड़ी में एक-दूसरे के साथ खड़ा हो। निवेदन है कि मय्यत की यह सूचना अपने-अपने बिरादरी व समाजिक व्हाट्सएप ग्रुप्स में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, ताकि कोई भी अज़ीज़ इस खबर से महरूम न रह जाए।
रब्बे करीम से दुआ है:
“अल्लाह तआला मरहूम को जन्नतुल फिरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए, उनकी क़ब्र को रौशन करे, और उनके लवाहिकीन को सब्र-ओ-जमील अता फरमाए। आमीन।”
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🕊️ नायाबुद्दीन साहब का जाना उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक रोशन चराग़ के बुझ जाने जैसा है। उनकी सादगी, नेकनामी और मिलनसार तबीयत की यादें हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेंगी।
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