इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इल्यहि राजिऊन
بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
एक रंजअंगेज ख़बर और एक अज़ीम शख्सियत का साया उठ गया
गांव पठलोकर, तहसील बेहट, ज़िला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) से "मुल्तानी समाज" के लिए एक दिल को चीर देने वाली ख़बर सामने आई है।
निहायत अफ़सोसनाक और ग़मगीन लहजे में ये इत्तिला दी जा रही है कि — मिर्ज़ा फ़ज़लुर्रहमान साहब वल्द जनाब ख़लीलुर्रहमान साहब का आज दिन जुमेरात, तारीख़ 03 जुलाई 2025 को तक़रीबन दिन के 11:00 बजे लम्बी बीमारी के बाद इंतिक़ाल हो गया।
إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ
(हम अल्लाह के लिए हैं और उसी की तरफ़ लौट कर जाना है)
मिर्ज़ा फ़ज़लुर्रहमान साहब एक शरीफ़, मिलनसार और दीनी मिज़ाज शख़्स थे। उनकी पूरी ज़िंदगी ख़िदमत, सादगी और बिरादरी के लिए वफ़ादारी से लबरेज़ रही। गांव में उनका रुतबा एक बुज़ुर्ग, सुलझे हुए और नेक सलाहियतों वाले शख्स के तौर पर था।
उनकी बीमारी एक मुद्दत से चली आ रही थी, लेकिन सब्र और शुक्र के साथ उन्होंने हर तकलीफ़ को बर्दाश्त किया। उनकी ज़बान पर हमेशा अल्लाह का ज़िक्र रहता था और चेहरे पर रज़ामंदी की शफ्फाक झलक।
उनके इंतेक़ाल की ख़बर ने पूरे इलाक़े को सदमे में डाल दिया है। अहल-ए-खाना, अज़ीज़ो-अक़ारिब, पड़ोसी और तमाम बिरादरी के अफ़राद इस अलमनाक घड़ी में ग़मज़दा हैं।
तदफीन:
उनका जनाज़ा आज ही गांव पठलोकर में असर की नमाज़ के बाद अदा किया जाएगा। सैकड़ों अफ़राद की मौजूदगी में उनकी सुपुर्द-ए-ख़ाकी अमल में लाई जाएगी।
दुआएं:
अल्लाह तआला मरहूम की मग़फ़िरत फरमाए, क़ब्र को जन्नत का बाग़ बना दे, हज़रात अनबिया और औलिया का पड़ोसी बनाए, और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।
آمین یا رب العالمین
"मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय पत्रिका से — ज़मीर आलम की तरफ़ से दिली ताज़ियत और अलफ़ाज़-ए-दुआ के साथ।
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हमेशा याद रखे जाएंगे — मिर्ज़ा फ़ज़लुर्रहमान साहब
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